Monday, 14 November 2016

पढाई करने के आसान तरीके - कैसे करे परीक्षा पास?


पढाई करने के आसान तरीके - कैसे करे परीक्षा पास?

यह सवाल का हर कोई लगभग 'हा' में जवाब देगा कि, क्या आपको सफल होना है? :) इस बात मे कोइ हर्ज नही की हर कोई सफल होना चाहता है, चाहे वह विद्यार्थी हो, बिजनेसमें हो, या कोइ महिला जो अपने बलबूते पर जीना चाहती है. लेकिन क्या हर कोई सफल हो सकता है? नही. सिर्फ वही लोग सफल हो रहे है जिन्होने कुछ एसे नियम बनाये और उनका पालन भी किया जो सफलता के लिए जरुरी है. क्या है वह सफलता के सूत्र? इस ब्लोग पोस्ट के द्वारा हम ऐसे ही कुछ नियम आपको बताना चाहते है. खास तौर पर उन विद्यार्थीओ के लिए यह पोस्ट लिखा जा रहे हैं, जो पढाई कर रहे हैं. यह पोस्ट एसे बहूत से स्टूडन्टस को काम आयेगा जो स्कूल, कॉलेज के लिए पढ रहें है या कोई कम्पीटीटिव परीक्षा यानी की स्पर्धात्मक परीक्षा की तैयारी कर रहें है.

प्रेक्टिकल टाईम टेबल

यह सबसे जरुरी चीझ है, क्युंकि कई बार हमलोग टाईम टेबल तो इतना अच्छा बना लेते है की हमें ऐसा लगने लगता है की आधा काम हो गया. लेकिन, बहूत बार यह टाईम टेबल प्रेक्टिकल नही होता. यानी कि, यह टाईम टेबल सिर्फ देखने में ही अच्छा होता है. इसे लागू नही किया जा सकता.

इसलिए यह सलाह दी जाती है की, एसा टाईम टेबल बनाये जो प्रेक्टिकल हो, यानी कि उसको प्रयोग मे लाया जा सके. उदाहरण के तौर पर यदी आपके पास कोइ काम के लिए सिर्फ 3 घंटे है और आपने इसके लिए 4 घंटे दिए है, तो यह मुमकीन नही है. इससे उल्टा कोइ काम करने में आपको 4 घंटे लगते है और उस काम के लिए आपने 3 घंटे ही दिए है तो यह भी ठीक नही है.

बड़ा सोचें लेकिन छोटे से शुरुआत करें

हम सभी लोग हंमेशा बडा सोचते हैं, ओर इसमें कुछ गलत भी नही हैं. सोच हंमेशा बडी रखनी चाहीए. लेकिन कई बार इस बडी सोच को अंजाम देने के लिए कुछ काम नही करते. चूंकि, हमने बडा सोच के रखा हैं तो हम इसके लिए बडा कुछ करने का विचार ही करते है और वह हमसे तुरंत नही हो सकता. इस समस्या का एक अच्छा हल हैं.

आप जो भी बडा सपना देखे, उसके लिए जो काम आपको करना हैं उसको छोटे छोटे हिस्सो में बाँट दे. एसा करने से एक फायदा यह होगा की आपके काम की शुरुआत हो जायेगी. छोटे छोटे हिस्सो को छोटे छोटे टाईम स्लोट में बाँट देने से आपका बडा काम या सपना धीरे धीरे पुरा होता दिखेगा इसमे कोइ शक नही हैं.

चिंता के समय अवश्य काम करें

सामान्य तौर पर हम देखते है कि जब हम स्ट्रेस / चिंता / तनाव मे होते है तब हम कुछ नही करते, बेठे रहते है. विज्ञान यह कहता है की जब आप तनाव में हो तब कुछ न कुछ काम अवश्य करना चाहीए. यदी आप किसी भी काम में व्यस्त रहेंगे तो आपका दिमाग तनाव की और ध्यान देना बंध कर देगा. यदी दिमाग तनाव की और ध्यान ही नही देगा तो आपको तनाव महसूस भी नही होगा. इसीलिए जब भी कोइ चिंता या तनाव हो, कुछ न कुछ काम अवश्य करें.

पढ़ाई के लिए सभी सामान अपने पास रखें

बहूत बार देखने को मिलता है की जैसे ही स्टूडन्ट पढ़ाई शुरु करता है, उसे कुछ न कुछ याद आ जाता हैं, और उसे वहा से उठना पडता है. उदाहरण के तौर पर जैसे ही पढाई शुरु होती है, उसे अंडरलाईन करने के लिए पेन्सिल की जरुरत पडती है या तो मार्कर या फीर स्टीकी नोट्स की जरुर पडती है. एसे में विद्यार्थी को पढाई बंध करके उठना पडता है और वही पर उसका ध्यान भी भंग़ होता है.

इसलिए जब भी आप पढने के लिए बैठे तो एसी सभी चीझ अपने पास रखे जो पढाई के दौरान जरुरी है.

कठिन कार्य पहेले करे

ज्यादातर हम देखते है की लोग आसान काम पहेले करते हैं, ठीक है आसान काम करना हर किसी को अच्छा लगता हैं और हमारा दिमाग भी जो आसान हो उसे पहेले पसंद करता हैं. होता यह है की आसान काम करना अच्छा लगता है लेकिन फिर जब कठिन काम की बात आती है तो हम उससे मन बिगाड कर भागते है और इसी भागमदोड में काम अधूरा रह जाता है.

इसलिए जब भी कोइ काम उठाए तो उसमें से कठिन कार्य पहेले कर दे. एसा करने से जब आसान काम करने की बारी आयेगी तब हमें काम आगे करने के लिए होंसला मिलेगा. और इसी तरह आपका काम पूर्णता की ओर चलता जायेगा.

10 तरीके जिनसे आप याद रख पायेंगे कुछ भी-


10 तरीके जिनसे आप याद रख पायेंगे कुछ भी-

1. आत्मविश्वास 

  • कहा जाता है आत्मविश्वास सफलता की कुंजी है जी हाँ यह सच है, यदि आप सफल होना चाहते है तो सर्वप्रथम आत्मविश्वास जरुरी है आपने ये भी जरूर ही सुना होगा कि आधी जंग आत्मविश्वास से ही जीत ली जाती है, तो अपने ऊपर यकीन करें कि आप कर सकते है हममें से ज्यादातर लोग यह कहते रहते है “मुझे याद नहीं होता” पढते वक्त भी अपने मन में कहते रहते है “मुझे याद नहीं होगा” ,याद रखिये हमारा दिमाग वही काम करता है जो इसे हम करने को कहते है यदि हम कहेंगें कि हमें याद करना है तो दिमाग याद कर लेगा अगर पहले ही कह देंगें याद नहीं होगा तो याद नहीं करेगा इसीलिये अपने आप से कहना शुरु कीजिये “मुझे सब याद रहता है”,”मुझे याद हो जायेगा”, “मुझे याद है” और विश्वास कीजिये अपने दिमाग पर वो सब याद कर सकता है, फिर देखिये चमत्कार आपको सब याद रहने लगेगा 

2. दोहराव [Revision]

  • दोहराव के महत्व आप भलीभांति परचित है परन्तु शायद आप को पता ना हो कि यदि दोहराव समय पर ना हो तो आप को नुकसान हो सकता है, क्या आप जानते है कि आज जो आप पढेंगें उसका 50% भाग आप कल भूल जायेंगे या कभी-कभी सिर्फ 20% ही आप को याद रहेगा, इससे बचने के लिये आप को दोहराव का समय निश्चित करना होगा जैसे यदि आज आपने कुछ पढा है तो 24 घंटे के अंदर अवश्य दोहरा लीजिए तथा फिर से 7 दिनों के अंदर तथा दूसरा दोहराव 30 दिनों में फिर यह आपको लम्बे समय तक याद रहेगा

3. Association 

  •  इस ट्रिक से हम सब कुछ वैसे का वैसा याद कर सकते है, जैसे लोगों के नाम Vocabulary, किसी भी नयी जगह का नाम इत्यादि, कई बार हमारे साथ होता है कि कोई बात, या किसी व्यक्ति का नाम हमारे दिमाग में होता है परंतु वह जुबान पर नहीं आता या हम किसी व्यक्ति को पहचान लेते है परंतु उसका नाम याद नहीं आता , तो हमें करना सिर्फ इतना है कि किसी भी नई जानकारी को, दिमाग में पहले से मौजूद जानकारी को जोड लेना है, जैसे किसी व्यक्ति का नाम अक्षय हो तो उसे अक्षय कुमार(एक्टर) से जोड दीजिए आपको हमेशा याद रहेगा 

4. Imagination

  • Albert Einstein ने कहा था "Imagination is more important than knowledge" क्या खूब कहा था बिल्कुल तर्कसंगत बात है, आपको याद है कोई फिल्म जो आपने हाल ही में देखी हो, उसकी कहानी, Scenes, dialogues आपको भलीभांति याद होंगे, कोई कहानी जो बचपन मे दादाजी से सुनी होगी उसकी एक एक बात याद रहती थी, यहाँ तक कि अगर दादाजी भी दोबारा कहानी सुनाते वक़्त कुछ परिवर्तन करते थे तो हम उन्हें भी टोक दिया करते कि पहले तो आपने ये बताया था, ऐसा क्यूं क्यूंकि तब हम अच्छे से Imagine करते थे, हमें वो कहानी video के रूप में चलती दिखाई देती थी, वो झरना, वो तालाब, वो जंगल तथा वो बोलते जानवर सब कुछ, तो एक बार फिर से बच्चे बन जाइये और Imagine करना शुरु कर दीजिये फिर देखिये आपको कैसे सब याद रहता है 

5. दिनचर्या 

  • अक्सर ही हम लोग जब पढाई करते हैं तो दिनचर्या को अनदेखा कर देते है, देर रात तक जागते हैं, सुबह देर से उठते हैं, Physical activities कम कर देते हैं, एक ही स्थान पर बैठे रहते हैं, नियमित तौर पर पानी नहीं पीते इस सब का negative effect हमारी memory और हमारी कार्य क्षमता पर पडता है, अच्छी याद्दाश्त के लिये अच्छी नींद आवश्यक है, नींद के समय से छेडछाड ना करें, थोडा बहुत अवश्य टहलें, पानी खूब पियें, आप ही सोचिये जो काम आप 100% उर्जा के साथ कर पायेंगे वो 20% के साथ तो नहीं कर पायेंगें 

6. टाईम टेबल 

  • हम में से ज्यादातर लोगों का कोई टाईम टेबल नहीं होता, जब मन किया पढने बैठ जाते हैं, जो मन किया किताब उठा लेते हैं और पढने लगते हैं, कोई भी टॉपिक बीच से ही पढ्ने लग जाते हैं, इससे सिवाय confusion के कुछ हाथ नहीं लगता हमें ये तक पता नहीं रहता कि हमने कौन सा विषय कितना पढ लिया है, और लोग बेवजह ही अपनी meomory को दोष देते हैं, एक बेहतर रणनीति ही बेहतर जीत दिला सकती है, और रणनीति का पहला हिस्सा जो कि यहाँ पर टाईम टेबल है, यदि यह कमजोर है तो आप जीत की आशा कैसे कर सकते हैं, तो बेहतर सफलता के लिये एक बेहतर टाईम टेबल बनाईये

7. रूचि [Interest]

  • आपने देखा होगा जिस भी बिषय या काम में आपकी रुचि होती है वह आपको अच्छे से याद रहता है जैसे कुछ लोगों को क्रिकेट का शौक होता है आप उनसे किसी भी क्रिकेट मैच की एक एक बॉल का ब्योरा पूछ सकते हैं, और दूसरा उदाहरण लोगों को अपने मतलब के काम याद रहते है तो इससे एक निष्कर्ष निकलता है जो भी आपको याद करना हो उसमें रुचि पैदा कीजिये, उसमे रुचि लिजिये, आपने देखा होगा कुछ लोगों को गणित में रुचि होती है वह गणित के बारे में ही बात करना पसंद करते हैं तथा जिनको अंग्रेजी या अर्थ्व्यवस्था पसंद होती है वो उसके बारे मे बढचढ कर बातें करते हैं, चलिये जानें किसी विषय में रुचि कब आती है, जब आपको कोई विषय समझ आता है, और उस विषय में आपको थोडा ज्ञान होता है, जिस भी विषय में आपको थोडा ज्ञान होता है आप उसे बडे रुचिपूर्वक पढते हैं और आपके ज्ञान में निरंतर बृध्दि होती रहती है, तो निष्कर्ष यह निकलता है कि पहले पहले आप किसी विषय को पढ्ने मे बोरियत महसूस कर सकते हैं कुछ समय बाद जब आप उस विषय को थोडा जान जायेंगे फिर आपको रुचि स्वयं ही आने लगेगी और वह विषय आपको याद होते देर नहीं लगेगी 

8. समझ  

  • समझ और याद्दाश्त का गहरा रिश्ता है यदि आप किसी विषय को बिना समझे याद करना चाहते है जो कि सही तरीका नहीं है, हमारा दिमाग हर तार्किक चीज को अच्छे से याद रख पाता है आपको गणित को तो याद नहीं करना पडता , क्योंकि वह तार्किक है उस में गणनाऐं है इसी प्रकार जब हम अन्य विषय पढते है हमें उनमें गहरी समझ का विकास करना चाहिए हर घटना के पीछे के कारणों को अच्छे से समझना चाहिये ,ना कि हम सिर्फ रटते रहें यदि समझ विकसित करेंगे तो रुचि विकसित होगी और अगर आपको आप का विषय रुचिकर लगने लगे तब तो आप के और सफलता के मध्य किसकी मजाल है जो आ जाये ,निष्कर्ष के तौर पर हमें प्रत्येक विषय की समझ विकसित करनी होगी उसे अच्छे से याद करने के लिये 

9. पढ़ाई को रोचक व मनोरंजक बनाईये 

  • मनोरंजन किसे पसंद नहीं होता तथा मनोरंजक चीजें किसे याद नहीं होते जाहिर है सभी को याद हो जाती है चलिए जानें कैसी चीजें हमें याद रहती है (a) जिनसे भावत्मक जुडाव हो (b) जिन पर हमें हँसी आती हो (c) वो चीजें जो संसार में इकलौती हो यानि Unique (d) वो जो अजीब है (e) वो चीजें जिनमें कुछ भिन्नता है आप जिन चीजों में भावात्मक जुडाव महसूस करते है वे आप को सदैव याद रहती है जिन पर हम को हँसी आ जाये वह भी जैसे किसी वैज्ञानिक का नाम उदाहरण के तौर पर एक वैज्ञानिक का नाम लेते है मारकोनी बचपन में मैंनें इसे पढा तो मुझे मार कोहनी लगा तथा सभी बच्चे भी क्लास में इसे मार कोहनी कहके एक दूसरे को कोहनी मारते मुझे यह सदैव के लिए याद हो गया , अनोखी चीजें हमें हमेशा याद रहती है जैसे यदि आप कोई बहुत बडे कुत्ते को देख ले तो आपको सदैव याद रहेगा आपने कहाँ देखा था तो निष्कर्ष के तौर पर आप अपनी भावनाओं को यदि पढाई से जोडे तो प्रतिफल अच्छा ही आयेगा , आप ये कर सकते है (1) जब कोई अजीब तथ्य आये तो उसे दोस्तों के साथ शेयर करके थोडा हँस लीजिये (2) जब कोई किसी बडे महापुरुष के बारे में पूछे तो अवश्य चिंतन करें कि क्या कठिनाईयां उन्हें झेलनी पडी होंगी (3) किसी की तारीफ करने में गुरेज न करें " बहुत महान व्यक्ति था" आप कुछ भी अपनी तरफ से बोलेंगें तो आपको सदैव याद रहेगा (4) हमें अजीब चीजें सदैव याद रहती है तो प्रयास करें कि आप अपनी पढाई के विषयों में कुछ अजीब ढूढ सकें, न मिले तो खुद उसे अजीब बना लें आपको सदैव याद रहेगा 

10. सुनते रहिये Hindi Audio Notes 

  • सामान्य अध्ययन के विषयों जैसे इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान , तथा विज्ञान इत्यादि को याद करने में हम अपना दिन रात एक कर देते हैं परंतु कभी भी उसे अच्छे से याद नही कर पाते या तो उसे समझ नही पाते, क्योंकि समझ और याददाश्त का बहुत गहरा सम्बन्ध है, अगर हम किसी भी विषय को अच्छे से नही समझ पाते तो वो हमें याद नही होता, अच्छी समझ विकसित करने के लिए कई तरीके हो सकते हैं वह अलग अलग तरह के दिमाग पर निर्भर करता है तथा समझाने के तरीके पर भी ,दिमाग 3 प्रकार के होते हैं 1. EAR MINDED- जिन्हें सुनकर याद होता है 2. EYE MINDED- जिन्हें देखकर याद होता है 3. MOTOR MINDED- जिन्हें देखकर तथा सुनकर याद होता है यहाँ HINDI AUDIO NOTES में हम यही प्रयास करते हैं कि सभी विषय सभी की समझ आ सकें जिसके लिए हमारे ऑडियो तथा TEXT नोट्स बेहद सरल भाषा शैली में बनाये गए हैं जो सामान्य बोलचाल की भाषा में है तो बेहतर समझ तथा बेहतर याद करने के लिए 

xam Study Tips in Hindi

xam Study Tips in Hindi

Exam Study Tips in Hindi
मित्रो परीक्षा में पढाई कैसे करे Exam Study Tips in Hindi जिसके बारे में आपको अलग अलग से Tips लेनी पडती है जिससे आपका ध्यान एकाग्रचित हो सके | मुझे बहुत से छात्र पूछते है कि Padhai Kaise Kare जिससे Merit में आ जाए | कुछ छात्र पूछते है कि Study Kaise Kare कि प्रथम श्रेणी से पास हो जाए और कुछ छात्र केवल ये पूछते है कि Pareeksha Me Pass Kaise Ho Jaaye | ये तीन प्रकार के प्रश्न आपको भी सुनने को मिलते है जिससे आप समझ जायेंगे कि छात्र किस श्रेणी का है | इसके अलावा हबी आपके समक्ष कई प्रश्न होंगे जो ऐसे हो सकते है
  • मुझे सब कुछ आता है लेकिन नम्बर कम आते है ?
  • पढाई करने बैठता हु तो डर लगता है ?
  • पढाई करते वक़्त मेरा ध्यान भटकता रहता है ?
  • मैं पढना चाहता हु लेकिन कुछ पढ़ नही पाता हु
  • मुझे केवल पास होना है ?
  • मेरा क्लास में पढ़ाने वाले टीचर की पढाई समझ नही आती है ?
  • मै पढ़ता हु लेकिन परीक्षा में सब भूल जाता हु ?
वैसे ये सारे प्रश्न 12वी कक्षा से कम Class में पढने वाले छात्र पूछते है और उसके बाद के छात्र आत्म मंथन से पढ़ते है | मित्रो मेरा ऐसा मानना है कि 8वी तक Pass होने के लिए आपको कोई Study Tips की जरूरत नही होगी क्योंकि सामान्यत: आठवी कक्षा तक लगभग सभी छात्र Pass जो जाते है और उनके लिए Study Tips के भी कोई मायने नही होते है | 9वी कक्षा में आने के बाद सामान्यत:छात्र पढाई के प्रति सचेत हो जाता है और जो सचेत नही होता है उसके लिए वही प्रश्न उसके दिमाग में घूमता रहता है कि  Pareeksha Me Pass Kaise Ho Jaaye |
9वी कक्षा और 10वी कक्षा वाले छात्र यदि प्रतिदिन 3 घंटे भी मन लगाकर पढाई करे तो उनके लिए Merit में आना कोई बड़ी बात नही है | 9वी कक्षा में आने के बाद आपके दिमाग का स्वत: विकास होना शूरू हो जाता है और आप अपना Decision लेने में सक्षम हो जाते है | इसी कारण जिन छात्रों को अपनी स्थिथि का पता होता है वो अक्सर Coaching जाने लग जाते है | मित्रो मेरा ऐसा मानना है कि अगर कोई छात्र 9वी या 10वी कक्षा के लिए Coaching जाता है तो वो कमजोर छात्र है क्योंकि इन दो कक्षाओ में Coaching जाने की कतई आवश्यकता नही होती है |
10 वी कक्षा में आने के बाद छात्र का दिमाग ओर विकसित होता है जिससे उसके अंदर Decision लेने की क्षमता आ जाती है | 10वी कक्षा पास करने के बाद जो छात्र अपनी योग्यता को समझ लेता है वो सही दिशा में जाता है अन्यथा अधिकतर छात्र भेड़ चाल चलते है | 10 वी कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद एक विषय का चुनाव करना पड़ता है जिसमे आपको तीन लोग सुझाव देते है | पहले आपके माता-पिता , दुसरे आपके मित्र और तीसरे आप स्वयं |
माता-पिता अक्सर अपने बच्चो को उस क्षेत्र में देखना चाहते है जिसमे ज्यादा Development है भले ही वो विषय छात्र को अनुरूप ना लगे जिसके कारण कई छात्रों का शैक्षणिक विकास यही रुक जाता है | जैसे अधिकतर माता-पिता चाहते है कि उनका बेटा इंजिनियर या डॉक्टर बने इसके लिए वो अपने बच्चो को Science Stream दिला देते है जबकि छात्र उस क्षेत्र में अपना विकास नही कर पाटा है | मै एक अपने ही परिवार का उदाहरन आप लोगो को देना चाहता हु कि मेरा Cousin है जो बचपन से ही पढाई में कमजोर रहा |
मेरे Uncle ने भी उसे Science में विकास को देखते हुए और परिवार के अन्य बच्चो को इस क्षेत्र में विकास क्र्रते देख Science दिलवा दी लेकिन उसने बड़ी मुशिकल से Science Stream केवल Passing Marks से उतीर्ण की | मैंने उससे पूछा तो उसने साफ़ साफ़ कहा था कि “पापा ने जबरदस्ती साइंस दिला दी , मै तो आर्ट्स लेना चाहता था ” | ऐसे आपको कई उदाहरण आपके आस पास मिल जायेंगे |
10वी उतीर्ण करने के बाद हम दुसरी गलती ये भी कर सकते है कि हम भीड़ चाल में चले | जैसे अगर मेरे 10 मित्रो में से 8 ने Science या Commerce ली तो मै भी Science या Commerce ही लूँगा भले ही इन दोनों विषयों में मेरी रूचि नही है | इसका पहला कारण आपके मित्र आपके दिमाग को साइंस या कॉमर्स के बारे में ब्रेनवाश कर देते है जिससे आपको इन दो विषयों के अलावा कुछ नही दीखता है | दूसरा कारण वो आपका पक्का मित्र है जिससे आप उसका साथ नही छोड़ना चाहते है और सोचते है कि साथ साथ स्कूल जायेंगे और ऐश करेंगे |जो छात्र 10 वी उतीर्ण करने के बाद इतना सक्षम हो जाता है कि अपना फैसल खुद ले सके तो उसको जीवन में आगे कीसी भी व्यक्ति की राय की जरूरत नही होती है |
11वी और 12 वी में Padhai Kaise Kare ये आपके द्वारा लिए गये विषय पर निर्भर करता है | जैसे Science के छात्र को प्रतिदिन 4 घंटे पढना जरुरी है , Commerce के छात्र को 2 घंटे प्रतिदिन पढ़ना जरुरी है और Arts के छात्र केवल परीक्षा के 1 महीने पहले पढना शूरू करे तो भी अच्छे अंको से उतीर्ण हो सकते है | Science में दो शाखाये होती है PCM और PCB | PCM मतलब Physics , Chemistry and Maths और PCB का मतलब Physics , Chemistry and Biology होता है | Science के छात्रों के लिए Regularity बहुत आवश्यक है क्योकि अगर वो सत्र की शुरुवात से पढाई नही करेगा तो परीक्षा के समय आप कवर नही कर पायेंगे |
साइंस के छात्रों को मेरा सुझाव है कि आप भले दिन में कीसी भी एक विषय को पढ़े लेकिन आपको उसके बारे में Concept क्लियर हो जाना चाहिए क्योंकि आप साइंस में कितना ही पढ़ ले लेकिन जिनके concept क्लियर नही उनके लीये Merit तो दूर की बात है प्रथम श्रेणी में अना भी मुश्किल जो जाएगा | मै स्वयं इसका भुगतभोगी हु कि मैंने Chemistry और Biology में तो Concept क्लियर कर लिए थे लेकिन Physics में मेरे Concept क्लियर नही थी जबकि इसी विषय में मै कोचिंग भी गया था जिसके परिणामस्वरुप इसी विषय में मेरे सबसे कम नम्बर आये थे | 12 के साइंस के छात्रों को एक ही Exam Study Tips है कि जो भी पढ़े उसका Concept जरुर क्लियर करे और समझ नही आवे तो अपने अध्यापको से पूछे |
कॉमर्स के बारे में मै ज्यादा नही बता सकता क्योंकि मै स्वयं कॉमर्स से तो नही हु लेकिन मेरे अधिकतर मित्र कॉमर्स से थे जिनमे से कुछ मित्र ही CA बन पाए है | मैंने अपने उन्ही मित्रो से Success मन्त्र पूछा तो उन्होंने बताया था कि उन्होंने बताया कि आपको theoretical के साथ Practical भी ज्यादा ध्यान देना होगा | कॉमर्स के छात्र अगर प्रतिदिन 2 घंटा मन लगाकर पढ़े तो वो आसनी से मेरिट में आ सकते है | Arts के छात्रों को Study Tips बताने की आवश्यकता नही है क्योंकि मेरा ऐसा मानना है कि Arts लेने वाले अधिकतर छात्रों का उद्देश्य Graduate होना या सरकारी परीक्षाओ की तैयारी करना होता है | आर्ट्स विषय के मेरे कई मित्रो ने केवल परीक्षा के दिनों में पढाई कर 80 प्रतिशत से उपर नम्बर ला चुके है |
12वी कक्षा उतीर्ण करने के बाद सामान्यत: आप अपने विषयों के अनुरूप ग्रेजुएशन कर लेते है और ज्यादातर इन्ही छात्रों को वास्तविकता में Exam Study Tips की आवश्यकता होती है क्योंकि ये छात्र ही किन्ही विषयों को पढने से ज्यादा पढने के तरीको पर ध्यान देते है | आइये आपको Padhayi Kaise kare इसके Study Tips बताता हु |

1 Make Plan For Study [ Exam Study Tips in Hindi ]

वैसे सामान्यत: 12वी कक्षा तक तो छात्र पढाई में नियमितता अपना लेते है लेकिन 12 वी के बाद अपनी नियमितता त्याग देते है | मै किसी ओर की कहानी नही बल्कि अपने स्वयं के अनुभव को आप लोगो को बताना चाहता हु ताकि आपके लिए परीक्षा की तैयारी करना आसान हो जाए | कॉलेज की बात करता हु कि मेरी एक परेशानी थी कि मै जब तब परीक्षा का टाइम टेबल नही आ जाता था किताब भी नही खोलता था | वैसे मेरे कई विषयों में Concept तो क्लियर थे लेकिन मै उनका Revision नही करता था |
अब जब टाइम टेबल आ जाता तो फिर शरीर में आग लग जाती थी कि “इतनी जल्दी परीक्षा का टाइम टेबल कैसे आ गया ” “अभी तो कुछ तैयारी ही नही हुयी ” | ये सब सोचने के बाद मै Study Chart बनाता था कि किन विषयों को पहले पढना है और इन विषयों को कितने समय में तैयार किया जा सकता है | मित्रो मेरा Study Chart तो एकदम इतना परफेक्ट बनता था कि ऐसा लगता था कि मै कॉलेज Top कर जाऊँगा लेकिन असलियत कुछ ओर ही थी |
2-3 दिन तक Study Chart को फॉलो करने के बाद फिर उद्देश्य से भटक जाता था और ऐसा लगता था कि “अरे ये तो बहुत सरल है परीक्षा के टाइम ही पढ़ लेंगे ” |ऐसे करते करते 80 प्रतिशत Syllabus मै परीक्षा के दिनों के लिए छोड़ देता था और 20 प्रतिशत पढ़ लेता था | अब जैसे जैसे परीक्षा नजदीक आती तो फिर घबराहट होने लगती थी कि जिन जिन विषयों में मैंने 80 प्रतिशत syllabus छोड़ा वो तो पहाड़ बन गये | अब परीक्षा के एक दिन पहले तो पसीने आने लग जाते थे कि अब Syllabus कैसे कवर करे | कुछ मेरे मित्र तो मेरे जैसे थे लेकिन कुछ मित्र ओर ज्यादा टेंशन देने का काम करते थे |
अब मै परीक्षा के एक दिन पहले जुट जाता था और पुरी रात काली करता था | मै तो फिर भी रात को 2 घंटे सोता था लेकिन मेरे कुछ मित्रो की तो हालत उससे भी ज्यादा खराब होती थी और वो तो ना सोते थे और ना सोने देते थे | जैसे तैसे एग्जाम दे देते थे और गनीमत ये रहते थी कि हमारा Revision बेहतर होता था जिसके कारण हम पास हो जाते थे लेकिन ये तरीका आप बिलकुल ना आजमाए क्योकि इससे आपका तनाव बढ़ सकता है | हमारे कॉलेज में एक विषय में ज्यादा तनाव के कारण एक छात्रा बीमार हो गयी थी और परीक्षा भी नही दे सकी | अगर आप समय रहते अपना syllabus कम्पलीट कर ले तो आपको ज्यादा मुसीबत नही होगी |
मित्रो मै सभी छात्रों से निवेदन करता हु कि आप शुरुवात से पढाई जारी रखे ताकि परीक्षा के दिनों में तनावमुक्त रहकर केवल Revision कर बहुत अच्छे नम्बर ला सकते है | प्रतिदिन जो आपको कॉलेज या स्कूल में पढ़ाया जाए उसको रोज घर आकर Revision कर ले | इसके लिए आपको Planning के साथ पढाई करनी पड़ेगी जिससे आप रोज पढने के साथ साथ अन्य कामो में भाग लेकर अपने दिमाग को चुस्त रख सकते है | आप जितना पढ़ सकते है उतना ही पढ़े और जब आपका मन ना लगे तो उस समय छोड़ दे | मन को एकाग्रचित रखे भले आप केवल एक घंटे ही क्यों ना पढ़े | मित्रो अगर आप इस तरह Planing के साथ पढाई करेंगे तो आपको मेरी तरह रात रात भर जागकर पढाई नही करनी पड़ेगी |

2 पढाई का सही समय Exam Study Tips in Hindi

बहुत से छात्र पढाई के सही समय को लेकर भ्रमित रहते है कि रात को पढना चाहिए कि सुबह पढना चाहिए | इस विषय में सबकी अलग अलग मानसिकताए होती है | मेरा और मेरे अधिकतर मित्रो को रात को पढने की आदत थी क्योंकि उस समय शान्ति का माहौल रहता है और आप एकाग्रचित होकर पढ़ सकते है | वैसे जो छात्र सुबह जल्दी उठ सकते हो तो सुबह का समय सबसे उपयुक्त इसलिए रहता है क्योंकि रात को सोने के बाद आपका दिमाग एकदम फ्रेश रहता है जिससे आप जो भी पढेंगे वो आपके दिमाग में बैठ जाएगा | सुबह के समय 4 से 6 का समय सबसे उपयुक्त रहता है |
मैं स्वयं स्कूल के समय में सुबह पढने को महत्व देता था क्योंकि सुबह अच्छा याद रहता था लेकिन कॉलेज में आकर आदत बिगड़ गयी तब से लेकर आज तक मै निशाचर ही हु | ये तो मित्रो सामान्य दिवसों की बात रही लेकिन परीक्षा की बात करे तो आप परीक्षा के दिन सुबह ही पढ़े क्योंकि उस समय अगर हम Revision करते थे तो परीक्षा तक हमारी याददाश्त एकदम ताजा रहगी जिससे आपके अच्छे मार्क्स आयेंगे |

3 नोट्स बनाये Exam Study Tips in Hindi

मित्रो आपको याद होगा कि स्कूल के समय में होमवर्क क्यों दिया जाता था ? हमे होमवर्क इसलिए दिया जाता था कि हम revision कर सके और खुद उन प्रश्नों को अपने दिमाग से कर सके | कुछ बच्चे होमवर्क को एक बड़ी परेशानी मानते है लेकिन जो बच्चे शूरवात से होमवर्क को मन लगाकर करते है उनके लिए कोई भी परीक्षा उतीर्ण करना कठिन नही होता है | जब हम कॉलेज में आ जाते है तो हमे कोई होमवर्क नही देता है तो हमे खुद होमवर्क करना पड़ता है जिसे हम Study Notes कहते है |
Study Notes पढाई का महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि इससे हम आसानी से चीजो को अपनी भाषा में समझ सकते है | मित्रो मेरी यही आदत थी जिसके कारण मै जीवन में कभी परीक्षा में अनुतीर्ण नही हुआ था | मुझे मेरे खुद के बनाये Study Notes पढ़ना ज्यादा बेहतर लगता था | मित्रो आपको यकीन नही होगा कि मेरे बनाये हुए Study notes पुरी क्लास के लोग Xerox करवाते थे | आज भी मेरे Study notes मैंने याद के रूप में रखे हुए है |
Study notes बनाने से मुशिकल से मुश्किल विषय को आप अपनी भाषा में आसानी से याद कर सकते है | उदाहरण स्वरूप आंपने 10 या 12 वी कक्षा में Periodic Table जरुर पढ़ी होगी उसको याद करने के लिए हम अपनी भाषा में उनको इस तरह याद करते थे कि आज भी हमे वो याद है जैसे “हेलीना की रब से फरियाद ” इसका मतलब Periodic टेबल में उपर से नीचे H , He ,Li, N ,K , Rb , Cs, Fr होता था जिसे याद करना बड़ा आसान था | उसी प्रकार notes के माध्यम से हम अपनी भाषा में पढाई कर सकते है जिससे हमे किताबो की टिपिकल लैंग्वेज को याद ना रखना पड़े | पढाई में Study Notes मेरा सबसे बड़ा हथियार था और मै सभी छात्रों को Study notes के माध्यम से पढाई करने की सलाह देता हु
तो मित्रो मेरे जीवन के अनुभवो के आधार पर मैंने “आपको परीक्षा में पढाई कैसे करे” Exam Study Tips in Hindi के बारे में बताया है | अगर आप मेरी बातो से सहमत है तो इसे शेयर जरुर करे और सहमत नही है तो आप अपने सुझाव कमेंट में देना ना भूले |

हमारा व्यवहार ही हमें श्रेष्ठ बनाता है

 

हमारा व्यवहार ही हमें श्रेष्ठ बनाता है


क्या आजकल की इस भागदौड़ भरी ज़िंदगी में आप इस बात पर एक दम से यकीन कर सकते हैं कि हमारा व्यवहार या हमारा कोई छोटा सा काम कभी हमारी जान बचा सकता है| अगर आप विश्वास कर सकते हैं तो अच्छी बात है और अगर नहीं कर पा रहे हैं तो आज मैं आप लोगों के सामने ऐसी ही कहानी पेश कर रहा हूँ जिसे पढ़कर आप जानेंगे कि हमारा व्यवहार या हमारे द्वारा किया गया एक छोटा सा अच्छा कार्य भी हमें कैसे श्रेष्ठ बनाता है और जरुरत पड़ने पर हमारी जान भी बचा सकता है |
दोस्तों, ये कहानी मेरी रचना नहीं है ये मुझे मेरे एक दोस्त ने Whatsapp पर भेजी है | ये कहानी मेरे दिल को छू गयी | इसलिए मैं इसे आपके साथ शेयर कर रहा हूँ |
एक व्यक्ति एक बर्फ की फैक्ट्री (Ice Plant) में काम करता था। एक दिन रोजाना की तरह शाम को वह घर जाने की तयारी में था। तभी फैक्ट्री में एक तकनीकी समस्या (Technical Problem) उत्पन्न हो गयी और वह उसे दूर करने में जुट गया। जब तक वह कार्य पूरा करता, तब तक अत्यधिक देर हो गयी। लाईटें बुझा दी गईं, दरवाजे सील हो गये और वह उसी प्लांट में बंद हो गया। बिना हवा व प्रकाश के पूरी रात Ice Plant में फंसे रहने के कारण उसकी मौत होना लगभग तय था।
लगभग आधा घण्टे का समय बीत गया। तभी उसने किसी को दरवाजा खोलते देखा। क्या यह एक चमत्कार था?
उसने देखा कि दरवाजे पर सिक्योरिटी गार्ड टार्च लिए खड़ा है। उसने उसे बाहर निकलने में मदद की।
बाहर निकल कर उस व्यक्ति ने सिक्योरिटी से पूछा “आपको कैसे पता चला कि मै फैक्ट्री के अंदर हूँ?”
गार्ड ने उत्तर दिया – “सर, इस प्लांट में 100 लोग कार्य करते हैँ पर सिर्फ एक आप ही हैँ जो मुझे सुबह आने पर हैलो व शाम को जाते समय बाय कहते हैँ। आज सुबह आप ड्यूटी पर आये थे पर शाम को आप बाहर नहीं गए। इससे मुझे शंका हुई और मैं देखने चला आया।”
वह व्यक्ति नहीं जानता था कि उसका किसी को छोटा सा सम्मान देना कभी उसका जीवन बचाएगा। उसने प्रसन्न मन से उसका धन्यवाद किया और अपने घर चला गया |
दोस्तों , हमारे द्वारा किये गए कार्यों का फल हमें ज़रूर मिलता है | हमारे द्वारा किये गए अच्छे कार्य हमें दूसरे लोगो की नज़रो में श्रेष्ठ बनाते हैं | हमारा व्यवहार हमें लोगो की नज़रो में इस कदर सम्मानीय बना देता है कि ज़रूरत पड़ने पर लोग हमारे साथ खड़े होते है | हमें अपने सुख दुःख में शामिल करते है |
तो दोस्तों, जब भी आप किसी से मिले , गर्मजोशी से मिले और प्यारी से मुस्कान के साथ उसका सम्मान करे | कभी भी किसी से घमंड या अभिमान से बात न करें | चाहे कोई आपसे उम्र या पद में छोटा हो या बड़ा सबसे एक समान व्यवहार करे| सबका सम्मान करें| आपका ये व्यवहार लोगो कि नज़रो में आपको सबसे अलग बना देगा और लोग हर परिस्तिथि में आपके साथ रहेंगे |

जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा

जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा


जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा , बुरे कर्मों का फल हमेशा बुरा ही होता है
karmon ka falये सच है कि हम जैसे कर्म करते है, हमें उसका वैसा ही फल मिलता है। हमारे द्वारा किये गए कर्म ही हमारे पाप और पुण्य तय करते है। हम अच्छे कर्म करते है तो हमें उसके अच्छे फल मिलते है और अगर हम बुरे कर्म करते है तो हमें उसके बुरे फल मिलते है। हमारे जीवन में जो भी परेशानियां आती हैं, उनका संबंध कहीं ना कहीं हमारे कर्मों से होता है।
कबीरदास जी का ये दोहा हमें हमेशा ये एहसास दिलाता है कि बुरे कर्मों का फल हमेशा बुरा ही होता है।
करता था सो क्यों किया, अब करि क्यों पछताय।
बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से खाय॥

कभी कभी हम जान बूझकर गलत काम करते हैं तो कभी अनजाने में गलत काम कर जाते हैं। जिसके कारण हमें आगे चलकर परेशानी उठानी पड़ती हैं। और जब हम पर कोई परेशानी आती हैं तब हम पछताते हैं कि काश हमने ऐसा काम ना किया होता तो शायद आज हम इस मुश्किल में ना पड़ते।
आज मैं “कर्मों का फल” इससे संबंधित एक कहानी आपके सामने पेश कर रहा हूँ और आशा करता हूँ कि ये कहानी आपकी सोच में थोड़ा बदलाव लाएगी और आपको एक बेहतर इंसान बनने में मदद करेगी।
पुराने समय में एक राजा था।  वह अक्सर अपने दरबारियों और मंत्रियों की परीक्षा लेता रहता था। एक दिन राजा ने अपने तीन मंत्रियों को दरबार में बुलाया और तीनो को आदेश दिया कि एक एक थैला लेकर बगीचे में जायें और वहाँ से अच्छे अच्छे फल तोड़ कर लायें। तीनो मंत्री एक एक थैला लेकर अलग अलग बाग़ में गए। बाग़ में जाकर एक मंत्री ने सोचा कि राजा के लिए अच्छे अच्छे फल तोड़ कर ले जाता हूँ ताकि राजा को पसंद आये। उसने चुन चुन कर अच्छे अच्छे फलों को अपने थैले में भर लिया। दूसरे मंत्री ने सोचा “कि  राजा को कौनसा फल खाने है?” वो तो फलों को देखेगा भी नहीं। ऐसा सोचकर उसने अच्छे बुरे जो भी फल थे, जल्दी जल्दी इकठ्ठा करके अपना थैला भर लिया। तीसरे मंत्री ने सोचा कि समय क्यों बर्बाद किया जाये, राजा तो मेरा भरा हुआ थैला ही देखेगे। ऐसा सोचकर उसने घास फूस से अपने थैले को भर लिया। अपना अपना थैला लेकर तीनो मंत्री राजा के पास लौटे।  राजा ने बिना देखे ही अपने सैनिकों को उन तीनो मंत्रियों को एक महीने के लिए जेल में बंद करने का आदेश दे दिया और कहा कि इन्हे खाने के लिए कुछ नहीं दिया जाये। ये अपने फल खाकर ही अपना गुजारा करेंगे।

अब जेल में तीनो मंत्रियों के पास अपने अपने थैलो के अलावा और कुछ नहीं था। जिस मंत्री ने अच्छे अच्छे फल चुने थे, वो बड़े आराम से फल खाता रहा और उसने बड़ी आसानी से एक महीना फलों के सहारे गुजार दिया। जिस मंत्री ने अच्छे बुरे गले सड़े फल चुने थे वो कुछ दिन तो आराम से अच्छे फल खाता रहा रहा लेकिन उसके बाद सड़े गले फल खाने की वजह से वो बीमार हो गया। उसे बहुत परेशानी उठानी पड़ी और बड़ी मुश्किल से उसका एक महीना गुजरा। लेकिन जिस मंत्री ने घास फूस से अपना थैला भरा था वो कुछ दिनों में ही भूख से मर गया।
दोस्तों ये तो एक कहानी है। लेकिन इस कहानी से हमें बहुत अच्छी सीख मिलती है कि हम जैसा करते हैं, हमें उसका वैसा ही फल मिलता है। ये भी सच है कि हमें अपने कर्मों का फल ज़रूर मिलता है। इस जन्म में नहीं, तो अगले जन्म में हमें अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है। एक बहुत अच्छी कहावत हैं कि जो जैसा बोता हैं वो वैसा ही काटता है। अगर हमने बबूल का पेड़ बोया है तो हम आम नहीं खा सकते। हमें सिर्फ कांटे ही मिलेंगे।
मतलब कि अगर हमने कोई गलत काम किया है या किसी को दुःख पहुँचाया है या किसी को धोखा दिया है या किसी के साथ बुरा किया है, तो हम कभी भी खुश नहीं रह सकते। कभी भी सुख से, चैन से नहीं रह सकते। हमेशा किसी ना किसी मुश्किल परेशानी से घिरे रहेंगे।
तो दोस्तों, अब ये हमें देखना है कि हम अपने जीवन रुपी थैले में कौन कौन से फल इकट्ठे कर रहे हैं? अगर हमने अच्छे फल इकट्ठे किये है मतलब कि अगर हम अच्छे कर्म करते है तो हम ख़ुशी से अपनी ज़िंदगी गुजारेंगे। लेकिन अगर हमने अपने थैले में सड़े गले फल या घास फूस इकठ्ठा किये हैं तो हमारी ज़िंदगी में कभी ख़ुशी नहीं आ सकती। हम कभी सुख से, चैन से नहीं रह सकते। हमेशा दुखी और परेशान ही रहेंगे। इसलिए हमेशा अच्छे कर्म करें और दूसरों को भी अच्छे काम करने के लिए प्रेरित करें।

मुसीबतों से हिम्मत ना हारें

 

मुसीबतों से हिम्मत ना हारें


4एक किसान के पास एक बूढा गधा था | एक दिन किसान का गधा कुएँ में गिर गया । वह गधा घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा | किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं ? अंततः उसने निर्णय लिया कि चूंकि गधा काफी बूढा हो चूका था,अतः उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था इसलिए उसे कुएँ में ही दफना देना चाहिए ।
किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया। सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ में मिट्टी डालनी शुरू कर दी। जैसे ही गधे की समझ में आया कि यह क्या हो रहा है ,वह और ज़ोर-ज़ोर से चीख़ चीख़ कर रोने लगा । और फिर ,अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से शांत हो गया।
सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे। तभी किसान ने कुएँ में झाँका तो वह आश्चर्य से सन्न रह गया। अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ वह गधा एक आश्चर्यजनक हरकत कर रहा था। वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था।
जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे -वैसे वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और उसके ऊपर चढ़ आता । जल्दी ही सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह गधा कुएँ के किनारे पर पहुँच गया और फिर कूदकर बाहर भाग गया।
तो दोस्तों, इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हम किसी मुसीबत में फँस जायें और मदद के सारे रस्ते बंद हो जायें तो उस वक़्त हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और अपने आपको कमज़ोर नहीं पड़ने देना चाहिए और स्वयं पर भरोसा रखते हुए ठन्डे दिमाग से उस मुसीबत से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढना चाहिए |

पहले अपने अंदर झांको

 

पहले अपने अंदर झांको


5पुराने जमाने की बात है। गुरुकुल के एक आचार्य अपने शिष्य की सेवा भावना से बहुत प्रभावित हुए। विधा पूरी होने के बाद शिष्य को विदा करते समय उन्होंने आशीर्वाद के रूप में उसे एक ऐसा दिव्य दर्पण भेंट किया, जिसमें व्यक्ति के मन के भाव को दर्शाने की क्षमता थी।
शिष्य उस दिव्य दर्पण को पाकर बहुत खुश हुआ। उसने परीक्षा लेने की जल्दबाजी में दर्पण का मुँह सबसे पहले गुरुजी के सामने ही कर दिया। वह यह देखकर आश्चर्यचकित हो गया कि गुरुजी के हृदय में मोह, अहंकार, क्रोध आदि दुर्गुण परिलक्षित हो रहे थे। इससे उसे बड़ा दुख हुआ। वह तो अपने गुरुजी को समस्त दुर्गुणों से रहित सत्पुरुष समझता था।
दर्पण लेकर वह गुरुकुल से रवाना हो गया। उसने अपने कई मित्रों तथा अन्य परिचितों के सामने दर्पण रखकर परीक्षा ली। सब के हृदय में कोई न कोई दुर्गुण अवश्य दिखाई दिया। और तो और अपने माता व पिता की भी वह दर्पण से परीक्षा लेने से नहीं चूका। उनके हृदय में भी कोई न कोई दुर्गुण देखा, तो वह हतप्रभ हो उठा। एक दिन वह दर्पण लेकर फिर गुरुकुल पहुँचा।
उसने गुरुजी से विनम्रतापूर्वक कहा- “गुरुदेव, मैंने आपके दिए दर्पण की मदद से देखा कि सबके दिलों में तरह तरह के दोष और दुर्गुण हैं।“
तब गुरु जी ने दर्पण का रुख शिष्य की ओर कर दिया। शिष्य दंग रह गया। क्योंकि उसके मन के प्रत्येक कोने में राग,द्वेष, अहंकार, क्रोध जैसे दुर्गुण थे।
तब गुरुजी बोले- “वत्स यह दर्पण मैंने तुम्हें अपने दुर्गुण देखकर जीवन में सुधार लाने के लिए दिया था। दूसरों के दुर्गुण देखने के लिए नहीं। जितना समय तुमने दूसरों के दुर्गुण देखने में लगाया, उतना समय यदि तुमने स्वयं को सुधारने में लगाया होता तो अब तक तुम्हारा व्यक्तित्व बदल चुका होता। मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि वह दूसरों के दुर्गुण जानने में ज्यादा रुचि रखता है। वह स्वयं को सुधारने के बारे में नहीं सोचता। इस दर्पण की यही सीख है जो तुम नहीं समझ सके।“
दोस्तों ये हम पर भी लागु होती है। हममें से भी ज़्यादातर लोग अपने अंदर छिपी बड़ी बड़ी बुराइयों को, दुर्गुणों को, गलत आदतों को भी सुधारना नहीं चाहते। लेकिन दूसरों की छोटी छोटी बुराइयों को भी उसके प्रति द्वेष भावना रखते हैं या उसे बुरा भला कहते हैं या फिर दूसरो को सुधरने के लिए उपदेश देने लग जाते हैं। तो सबसे पहले अपने अंदर झांको और अपनी बुराइयों को दूर करो।

बात को सोच समझकर, सही ढंग से तथा मुस्कुराकर बोलें

 

बात को सोच समझकर, सही ढंग से तथा मुस्कुराकर बोलें


बात को सोच  समझकर, सही ढंग से तथा मुस्कुराकर बोलें। (Speak thoughtful, in right manner and with smile)

इंसान को बोलना सीखने में तीन साल लग जाते हैं… लेकिन क्या बोलना है?  ये सीखने में पूरी जिदंगी लग जाती है।
हमारे बोलने का तरीका, बात करने का तरीका ही हमारे व्यक्तित्व को दर्शाता है। हम दूसरों से जिस तरीके से बात करते हैं उसी के अनुसार ही हमें सम्मान या ईर्ष्या मिलती हैं। अगर हम दूसरों से मुस्कुरा कर, सोच समझकर, सच्ची तथा उचित भाषा में बात करते हैं तो लोग हमारा सम्मान करेंगे। लेकिन अगर हम लोगों से झल्लाकर, झूठी, घमंड से, घुमा फिर कर या कड़वी भाषा में बात करते हैं तो लोग हमारा अपमान करेंगे। हमें बुरा भला कहेंगे या हमसे झगड़ा करेंगे।
how to talk others
कौआ और कोयल दिखने में तो एक जैसे ही होते हैं, पर जब तक दोनों बोलते नहीं तब तक जानना मुश्किल होता है कि कोयल है या कौआ। अर्थात जब तक कोई बातचीत नहीं करता, बोलता नहीं है जब तक उसकी अच्छाई या बुराई प्रकट नहीं होती। इसलिए अगर बोलना ही है तो कोयल की तरह मीठा बोलिए, कौवे की तरह कड़वा नहीं।

बात करने के तरीके को लेकर मैं आपके सामने दो प्रसंग पेश कर रहा हूँ कृपया इन्हें ध्यान से पढ़ें और समझें।

प्रसंग – 1

“एक व्यक्ति एक ज्योतिषी के पास आपना भविष्य जानने के लिये गया। ज्योतिषी ने उसकी कुण्डली देखकर बताया कि “तुम्हारे देखते-देखते तुम्हारे सारे रिश्तेदार, घरवाले मर जायेंगे। तुम इस दुनिया में अकेले रह जाओगे।“ उस व्यक्ति को बहुत क्षोभ हुआ, और उसे उस ज्योतिषी पर बहुत क्रोध आया। उसने ज्योतिषी को बहुत भला-बुरा कहा और चला आया।
अब वह व्यक्ति एक दूसरे ज्योतिषी के पास गया। दूसरे ज्योतिषी ने उसकी कुण्डली देखकर कहा – “अरे आपकी उम्र तो बहुत लम्बी है। आप बहुत समय तक जियेंगे। आप अपने नाती, पोतों का भी सुख देखोगे। उनकी शादी भी आपके द्वारा ही की जाएगी।“ ये सुनकर वह व्यक्ति बहुत प्रसन्न हुआ। उसने ज्योतिषी को पर्याप्त दक्षिणा दी और ख़ुशी ख़ुशी वहाँ से लौटा।

प्रसंग – 2

“एक गाँव में एक स्त्री थी। वह शहद बेचने का काम करती थी। शहद तो वह बेचती ही थी, उसकी वाणी भी शहद जैसी ही मीठी थी। उसके बोलने का, बात करने का तरीका इतना अच्छा था कि उसकी दुकान पर खरीददारों की भीड़ लगी रहती थी। एक ओछी प्रवृति वाले व्यक्ति ने देखा कि शहद बेचने से एक महिला इतना लाभ कमा रही है, तो उसने भी उस दुकान के नजदीक एक दुकान में शहद बेचना शुरू कर दिया।

उस व्यक्ति का स्वभाव बेहद रूखा तथा कठोर था। वह ग्राहकों से हमेशा कड़वे लहजे में तथा झल्लाकर ही बात करता था। जरा जरा सी बात पर झगडा करने लग जाता था। एक दिन एक ग्राहक ने ऐसे ही उस व्यक्ति से पूछ लिया कि शहद मिलावटी तो नहीं। इस बात पर उस व्यक्ति ने भड़ककर ग्राहक को लताड़ते हुए कहा कि जो स्वयं नकली होता है, वही दूसरे के सामान को नकली बताता है और ग्राहक से झगड़ा करने लगा कि उसने उसके शहद को नकली क्यों बताया ? ग्राहक को उसका ये व्यव्हार बहुत बुरा लगा और वह बिना शहद लिये ही वहाँ से लौट गया।
वही ग्राहक फिर उस महिला के पास पहुंचा और वही सवाल पूछ बैठा। महिला ने मुस्कुराते हुए कहा कि जब वह खुद असली है, तो वह नकली शहद क्यों बेचेगी? ग्राहक महिला के जवाब से खुश हुआ और शहद ले गया।”
पहले प्रसंग में अगर आप देखें तो बात एक ही थी, बस दोनों ज्योतिषियों के कहने के ठंग अलग-अलग थे। एक ने उसी बात को इस तरह से कहा कि व्यक्ति को क्रोध आ गया जबकि दूसरे ने उसी बात को इस ढंग से कहा कि व्यक्ति बहुत खुश होकर लौटा।
दूसरे प्रसंग में आप देखेंगे कि दो लोग एक ही तरह का काम कर रहे हैं लेकिन उनके बोलने का, बात करने का ढंग दोनों को एक दूसरे से अलग करता है जिससे लोग कड़वा बोलने वाले व्यक्ति को नापसंद करते हैं और मीठा तथा मुस्कुराकर बोलने वाली महिला को पसंद करते हैं।

इस तरह के बहुत प्रसंग आपको रोजाना अपने घर में, रिश्तेदारी में, अपने आस पास मिल जायेंगे।
कभी कभी हम मजाक में बिना सोचे समझे किसी को ऐसी बात कह देते हैं जिससे उसे ठेस पहुँचती है, दुःख पहुँचता है। जैसे हम अपने किसी मित्र को बार बार मजाक का पात्र बना देते हैं या कहीं भी किसी के सामने भी उनसे कह देते हैं कि “तू तो बड़ा बेवक़ूफ़ है, या तू तो है ही पागल, या रहने दे तुझसे ये काम नहीं होगा, या किसी से कोई गलती होने पर या कोई काम ख़राब होने पर, या किसी काम में असफल होने पर उस बात को लेकर उसका बार बार उसका मजाक उड़ाते हैं।
इसी तरह हम अपने बच्चों को भी कभी कभी बेवजह डांट देते हैं, या कभी कभी बच्चों के साथ बहुत बुरा व्यवहार करते हैं, या कभी बच्चे किसी परीक्षा में फेल हो गए या उनसे कोई काम बिगड़ गया या कोई गलती हो गयी तो बहुत बुरी तरह से डांटते हैं, या उस बात को लेकर बार बार ताने मारते हैं या किसी और बच्चे से उनकी तुलना करते हुए उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं, या उनसे बात करना बंद कर देते हैं। जिसका असर ये होता है कि बच्चे मन ही मन में हमसे चिढ़ने लगते हैं, या नफरत करने लगते हैं, या उनकी पढ़ाई पर असर पड़ने लगता है या बच्चे ज्यादातर गुमसुम रहने लगते हैं।
इसी तरह घर में अपने बड़ों से बात करते हुए कभी कभी हम तेज आवाज या आक्रामक भाषा में बात करते हैं जिससे उन्हें मन ही मन बहुत दुःख पहुँचता है। पति या पत्नी गुस्सा होने पर एक दूसरे की पुरानी गलतियों को बार बार दोहराते हैं, ताने मारते हैं या कोई ऐसी बात कह देते हैं जो बहुत ही बुरी लगती है।

दोस्तों, बोले गए शब्द कभी वापस नहीं आते हैं। कड़वे बोल या कड़वी बात तीर की तरह चुभती हैं और हमेशा के लिए घाव दे जाते हैं। कभी कभी लाठी, पत्थरों या चाक़ू से भी इतनी चोट नहीं लगती है जितनी किसी के द्वारा कही गयी बात से लग जाती है।
सोच-समझकर न बोलने वाला,  ज्यादा बक-बक करने वाला,  घमंड में बोलने वाला, उचित विचार किए बिना बोलने वाला,  जिस विषय का ज्ञान ना हो उस विषय में बोलने वाला, झूठ बोलने वाला और गलत बात बोलने वाला या बात को सही ढंग से ना बोलने वाला अक्सर लज्जा और अपमान का पात्र होता है या उसकी बातों से किसी को दुःख पहुँच सकता है या क्रोध आ सकता है। जिससे रिश्तों में दरार पड़ जाती है, रिश्ते टूट जाते हैं, बेवजह किसी से झगड़ा हो जाता है या दूसरों की नज़रों में आपका सम्मान ख़त्म हो जाता है।
व्यक्ति का बोलने का ठंग ही, उसके व्यक्तिव को दर्शाता है। किसी के बात करने के तरीके से ही लोग उस व्यक्ति के बारे में जान जाते हैं। इसलिए मनुष्य को सोच-समझकर उतना ही बोलना चाहिए जितना आवश्यक हो और इस ढंग से बोलना चाहिए कि किसी को दुःख ना पहुँचे या आपकी बात पर किसी को गुस्सा ना आ जाये। यदि आप किसी को अच्छा नही कह सकते हों तो आपको किसी को बुरा कहने का भी कोई अधिकार नहीं होता। मजाक में भी आपको ऐसी बात नहीं करनी चाहिये कि किसी को बुरा लगे। अगर आपको किसी को कोई कड़वी बात कहनी ही है तो उसे इस ढंग से कहें कि वो समझ भी जाये और उसे बुरा भी ना लगे।  

संत कबीर भी कहते हैं कि,

ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय।
औरन को शीतल करै, आपहु शीतल होय।

दृढ संकल्प से मिलती है सफलता

 

दृढ संकल्प से मिलती है सफलता


हम सभी को कभी ना कभी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है | कभी कभी किसी की कोई बात इतनी कड़वी लग जाती कि हम बहुत दुखी हो जाते हैं | कुछ लोग ऐसी बातो से परेशान होकर तनावग्रस्त हो जाते हैं वहीँ कुछ लोग ऐसी बातो को चुनौती की तरह लेते हैं | इतिहास गवाह है की जिन लोगो ने मुश्किलों को चुनौती की तरह लिया है उन्होंने बुलंदियों को छुआ है |
ऐसी ही एक कहानी से मैं आपको रूबरू करा रहा हूँ |
10
प्राचीन काल में एक राज्य था मालव | इस राज्य की राजकुमारी विद्योत्तमा बहुत ही रूपवती और अत्यंत बुद्धिमान थी | उसने प्रतिज्ञा की थी कि जो कोई भी उसे शास्त्रार्थ में हरा देगा वह उसी से विवाह करेगी | विद्योत्तमा से विवाह करने की इच्छा लेकर दूर दूर से अनेकों विद्वान आये लेकिन कोई भी उसे शास्त्रार्थ में हरा नहीं सका | तब अपमान से दुखी होकर उनमे से कुछ विद्वानो ने राजकुमारी से बदला लेने के लिए एक चाल चली | जिससे वे राजकुमारी का विवाह एक मूर्ख व्यक्ति से करवा सकें |
उन्होंने एक मूर्ख व्यक्ति की खोज शुरू कर दी | एक दिन जंगल में उन्होंने एक ऐसे युवक को देखा जो उसी डाल को काट रहा था जिस पर वह बैठा हुआ था | उन्हें वह मूर्ख व्यक्ति मिल गया जिसकी उन्हें तलाश थी | उन्होंने उस मूर्ख युवक को समझा कर तैयार कर लिया और उससे कहा कि यदि तुम मौन रहे तो हम तुम्हारा विवाह राजकुमारी से करवा देंगे |
वे उस युवक को अच्छे से कपडे पहनाकर विद्योत्तमा के पास ले आये और विद्योत्तमा से कहा कि ये युवक मौन साधना में रत होने के कारण संकेतो में शास्त्रार्थ करेगा | विद्योत्तमा संकेतो में प्रश्न पूछती और वह युवक संकेतो में ही उसका उत्तर देता | जैसे एक प्रश्न में विद्योत्तमा ने युवक को प्रश्न के रूप में खुला हाथ दिखाया तो उस मूर्ख युवक ने समझा कि यह थप्पड़ मरने कि धमकी दे रही है | उसके जवाब में उस युवक ने घूँसा दिखाया जिससे विद्योत्तमा को लगा कि वह कह रहा है कि पांचो इन्द्रियां भले ही अलग हों लेकिन सभी एक मन के द्वारा संचालित होती है | संकेतो में बात करने के कारण तथा हारे हुए विद्वानो द्वारा उन संकेतो कि बढ़ा चढ़ा कर व्याख्या करने के कारण विद्योत्तमा को अंत में हार माननी पड़ी और उसने उस मूर्ख युवक से विवाह कर लिया |
कुछ दिनों तक वह युवक मौन साधना का ढोंग करता रहा लेकिन एक दिन ऊँट को देखकर गलत उच्चारण कर बैठा जिससे विद्योत्तमा को सच्चाई का पता चल गया कि उसका पति एक मूर्ख तथा अनपढ़ है | क्रोध में आकर विद्योत्तमा ने उस युवक को धिक्कारते हुए अपमानित करके महल से निकाल दिया | और उससे कहा कि जब तक सच्चे विद्वान ना बन जाओ तब तक वापस लौटकर मत आना |
उस युवक ने उस अपमान को चुनौती कि तरह लेते हुए संकल्प लिया कि वह एक दिन उच्च कोटि का विद्वान बन कर ही रहेगा | संयोग से आचार्य उदयन उसे मिल गए | जिनकी दी हुई शिक्षा व शास्त्रो के कठोर अध्ययन तथा परिश्रम से वह युवक महान विद्वान बन गया | आचार्य की हर परीक्षा में खरा उतरने के बाद वह विदा लेते उनके चरणो में विनत हुआ तो आचार्य ने कहा कि मैं तो मार्ग दिखने वाला एक मार्गदर्शक हूँ | तुम उस देवी का आभार मानो जिसने तुम्हे अपमानित किया जिससे तुम्हारे अंदर वह तड़प, वह जूनून पैदा हुआ जिससे तुम आज एक महान विद्वान हो, नहीं तो तुम आज भी वही मूर्ख तथा अनपढ़ रहते |
उसके बाद वह युवक वापस महल लौटा और उसने विद्योत्तमा को अपना पथप्रदर्शक गुरु माना और विद्योत्तमा ने भी उसे अपना जीवनसाथी माना | उसके बाद सम्राट विक्रमादित्य ने उसे अपने नवरत्नों में शामिल किया | तथा बाद में युवक महाकवि तथा संस्कृत का महा विद्वान् बना तथा उसने अनेकों रचनाएँ, अनेकों ग्रन्थ लिखे |
उस युवक का नाम था महाकवि कालिदास |
तो दोस्तों परेशानियां,कठिनाइयां सभी के साथ होती हैं | अगर आपके माता पिता, भाई या कोई प्रिय मित्र आपको डांटता है या ये कहता है कि तुम किसी लायक नहीं हो तो प्लीज इससे दुखी ना हों | दरअसल वे आपके अंदर उस तड़प को, उस जूनून को जगाना चाहते हैं जिससे आप नालायक से लायक बन सको और अपनी ज़िंदगी में ऊंचाइयों को छू सको |
उनकी डाँट को एक चुनौती की तरह लो तथा दृढ संकल्प के साथ लक्ष्य बना कर जुट जाओ | एक दिन आप उस बुलंदी पर जरूर पहुंचोगे जहाँ तक पहुँचने का आपने सपना देखा है |
जब एक मूर्ख, अनपढ़ व्यक्ति कालिदास बन सकता है तो आप अपने लक्ष्य तक क्यों नहीं पहुँच सकते ……. जरुर पहुंचोगे …..शुरुआत तो करो  |

अभ्यास क्यों जरुरी है

 

अभ्यास क्यों जरुरी है


आप अपनी ज़िंदगी के किसी भी काम को ले लीजिये चाहे वो किसी एक खास क्षेत्र में एक्सपर्ट होना हो जैसे क्रिकेट, सिंगिंग, एक्टिंग या कोई परीक्षा पास करनी हो या फिर हमारा रोज़मर्रा का रोजगार | अगर हमें उस काम में निपुण होना है , दक्ष होना है तो उसका निरंतर अभ्यास करना पड़ेगा | बिना अभ्यास के हम निपुण नहीं हो सकते | अभ्यास असंभव को भी संभव कर देता है | आइये अभ्यास का महत्व इस कहानी से समझते हैं |
महाभारत के समय गुरु द्रोणाचार्य पांडवो तथा कौरवों को धनुर्विद्या की शिक्षा देते थे | उन्हीं दिनों हिरण्यधनु नामक निषादों के राजा का पुत्र एकलव्य भी धनुर्विद्या सीखने के उद्देश्य से द्रोणाचार्य के आश्रम में आया किन्तु निम्न वर्ण का होने के कारण द्रोणाचार्य ने उसे अपना शिष्य बनाना स्वीकार नहीं किया।
कारण पूछने पर द्रोणाचार्य ने बताया कि वे हस्तिनापुर के राजा को वचन दे चुके हैं कि वे सिर्फ राजकुमारों को ही शिक्षा देंगे |
eklavya
निराश होकर एकलव्य वन में चला गया। उसने द्रोणाचार्य की एक मूर्ति बनाई और उस मूर्ति को गुरु मान कर धनुर्विद्या का अभ्यास करने लगा। एकाग्रचित्त मन से साधना करते हुये अल्पकाल में ही वह धनुर्विद्या में अत्यन्त निपुण हो गया।
एक दिन सारे राजकुमार गुरु द्रोण के साथ आखेट के लिये उसी वन में गये जहाँ पर एकलव्य आश्रम बना कर धनुर्विद्या का अभ्यास कर रहा था। राजकुमारों के साथ एक कुत्ता भी था | राजकुमारों का कुत्ता भटक कर एकलव्य के आश्रम में जा पहुँचा। एकलव्य को देख कर वह भौंकने लगा। इससे क्रोधित हो कर एकलव्य ने उस कुत्ते पर अपना बाण चला-चला कर उसके मुँह को बाणों से से भर दिया। एकलव्य ने इस कौशल से बाण चलाये थे कि कुत्ते को किसी प्रकार की चोट नहीं लगी किन्तु बाणों से बिंध जाने के कारण उसका भौंकना बन्द हो गया।
कुत्ते के लौटने पर जब अर्जुन ने धनुर्विद्या के उस कौशल को देखा तो वे द्रोणाचार्य से बोले, “हे गुरुदेव! इस कुत्ते के मुँह में जिस कौशल से बाण चलाये गये हैं उससे तो प्रतीत होता है कि यहाँ पर कोई मुझसे भी बड़ा धनुर्धर रहता है।” अपने सभी शिष्यों को ले कर द्रोणाचार्य एकलव्य के पास पहुँचे और पूंछा, “हे वत्स! क्या ये बाण तुम्हीं ने चलाये हैं।?”
एकलव्य के स्वीकार करने पर उन्होंने पुनः प्रश्न किया,’तुम्हें धनुर्विद्या की शिक्षा देने वाले कौन हैं?’
एकलव्य ने उत्तर दिया, ‘गुरुदेव! मैंने तो आपको ही गुरु स्वीकार कर के धनुर्विद्या सीखी है।’ इतना कह कर उसने द्रोणाचार्य को उनकी मूर्ति के समक्ष ले जा कर खड़ा कर दिया। और कहा कि मैं रोज़ आपकी मूर्ति कि वंदना करके बाण चलने का कड़ा अभ्यास करता हूँ और इसी अभ्यास के चलते मैं आज आपके सामने धनुष पकड़ने के लायक बना हूँ |
द्रोणाचार्य ने कहा कि – तुम धन्य हो वत्स ! तुम्हारे अभ्यास ने ही तुम्हे इतना श्रेष्ठ धनुर्धर बनाया है और आज मैं समझ गया कि अभ्यास ही सबसे बड़ा गुरु है |
दोस्तों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है निरंतर अभ्यास , कड़ी मेहनत और लगन से ही हम किसी काम में निपुण हो सकते है , श्रेष्ठ हो सकते है |

हमारे छोटे से प्रयास से भी बहुत बड़ा फर्क पड़ता है

 

हमारे छोटे से प्रयास से भी बहुत बड़ा फर्क पड़ता है


3एक व्यक्ति रोज़ाना समुद्र तट पर जाता और वहाँ काफी देर तक बैठा रहता। आती-जाती लहरों को लगातार देखता रहता। बीच-बीच में वह कुछ उठाकर समुद्र में फेंकता, फिर आकर अपने स्थान पर बैठ जाता। तट पर आने वाले लोग उसे मंदबुद्धि समझते और प्राय: उसका मजाक उड़ाया करते थे। कोई उसे ताने कसता तो कोई अपशब्द कहता, किंतु वह मौन रहता और अपना यह प्रतिदिन का क्रम नहीं छोड़ता।
एक दिन वह समुद्र तट पर खड़ा तरंगों को देख रहा था। थोड़ी देर बाद उसने समुद्र में कुछ फेंकना शुरू किया। उसकी इस गतिविधि को एक यात्री ने देखा। पहले तो उसने भी यही समझा कि यह मानसिक रूप से बीमार है, फिर उसके मन में आया कि इससे चलकर पूछें तो। वह व्यक्ति के निकट आकर बोला- भाई ! यह तुम क्या कर रहे हो?
उस व्यक्ति ने उत्तर दिया- देखते नहीं, समंदर बार-बार अपनी लहरों को आदेश देता है कि वे इन नन्हे शंखों, घोंघों और मछलियों को जमीन पर पटककर मार दें। मैं इन्हें फिर से पानी में डाल देता हूं। यात्री बोला- यह क्रम तो चलता ही रहता है। लहरें उठती हैं, गिरती हैं, ऐसे में कुछ जीव तो बाहर होंगे ही।
तुम्हारी इस चिंता से क्या फर्क पड़ेगा?
उस व्यक्ति ने एक मुट्ठी शंख-घोंघों को अपने हाथ में उठाया और पानी में फेंकते हुए कहा – देखा कि नहीं, इनके जीवन में तो फर्क पड़ गया ना? वह यात्री सिर झुकाकर चलता बना और वह व्यक्ति वैसा ही करता रहा।
दोस्तों, हमारी ज़िंदगी में भी ऐसा ही होता है | जैसे बूँद बूँद से घड़ा भरता है वैसे ही छोटे छोटे प्रयासों से हम अपनी और समाज की ज़िंदगी बदल सकते हैं |
इसलिए किसी भी छोटे कार्य कि महत्ता को कम ना समझे | एक दिन ये छोटे छोटे प्रयास ही बहुत बड़ा परिवर्तन ला देंगें |

अपने मूल्य को पहचाने

 

अपने मूल्य को पहचाने


एक बार एक जाना माना स्पीकर अपना सेमिनार कर रहा था | उसने हाथ में पाँच सौ का नोट लहराते हुए अपने हॉल में बैठे सैकड़ों लोगों से पूछा ,” ये पाँच सौ का नोट कौन लेना चाहता है?”
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सभा में बैठे लोगो ने हाथ उठाने शुरू कर दिए |
फिर उसने कहा ,” मैं इस नोट को आपमें से किसी एक को दूँगा पर उससे पहले मुझे ये कर लेने दीजिये .” और उसने नोट को अपनी मुट्ठी में भींच का मसलना शुरू कर दिया | और फिर उसने पूछा,” कौन है जो अब भी यह नोट लेना चाहता है?” अभी भी लोगों के हाथ उठने शुरू हो गए |
“अच्छा” उसने कहा,” और अगर मैं ये कर दूँ तो ? ” और उसने नोट को नीचे गिराकर पैरों से कुचलना शुरू  कर दिया | उसने नोट को उठाया, नोट कुचला हुआ और बहुत गन्दा हो गया था |
” क्या अभी भी कोई है जो इसे लेना चाहता है?” और एक बार फिर हाथ उठने शुरू हो गए |
तब उस स्पीकर ने कहा दोस्तों , आप लोगों ने आज एक बहुत महत्त्वपूर्ण पाठ सीखा है | मैंने इस नोट के साथ इतना कुछ किया पर फिर भी आप इसे लेना चाहते थे क्योंकि ये सब होने के बावजूद नोट की कीमत घटी नहीं,उसका मूल्य अभी भी 500 ही था |
जीवन में कई बार हम गिरते हैं, हारते हैं, हमारे लिए हुए निर्णय हमें मिटटी में मिला देते हैं | हमें ऐसा लगने लगता है कि हमारी कोई कीमत नहीं है. लेकिन आपके साथ चाहे जो हुआ हो या भविष्य में जो हो जाए , उससे आपका मूल्य कम नहीं होता | आप स्पेशल हैं, आप अमूल्य हैं  इस बात को कभी मत भूलिए |
कभी भी बीते हुए कल की निराशा से अपने आने वाले कल को बर्बाद मत कीजिये | अपने मूल्य को पहचानिये और सकारात्मक सोच के मेहनत करते रहें | सफलता ज़रूर मिलेगी | याद रखिये आपके पास जो सबसे कीमती चीज है, वो है आपका जीवन |

अपनी क्षमताओ को पहचानिये

 

अपनी क्षमताओ को पहचानिये


एक बार की बात है कि एक बाज का अंडा मुर्गी के अण्डों के बीच आ गया | कुछ दिनों बाद उन अण्डों में से चूजे निकले | बाज का बच्चा भी उनमे से एक था | वो उन्ही के बीच बड़ा होने लगा | वो भी वही करता जो बाकी चूजे करते, मिटटी में इधर-उधर खेलता, दाना चुगता और दिन भर उन्ही की तरह चूँ-चूँ करता | बाकी चूजों की तरह वो भी बस थोडा सा ही ऊपर उड़ पाता, और पंख फड़-फडाते हुए नीचे आ जाता | फिर एक दिन उसने एक बाज को खुले आकाश में उड़ते हुए देखा | बाज बड़े शान से बेधड़क उड़ रहा था | तब उसने बाकी चूजों से पूछा, कि – ” इतनी उचाई पर उड़ने वाला वो शानदार पक्षी कौन है?”
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तब चूजों ने कहा-” अरे वो बाज है, पक्षियों का राजा, वो बहुत ही ताकतवर और विशाल है , लेकिन तुम उसकी तरह नहीं उड़ सकते क्योंकि तुम तो एक चूजे हो!”
बाज के बच्चे ने इसे सच मान लिया और कभी वैसा बनने की कोशिश नहीं की | वो ज़िन्दगी भर चूजों की तरह रहा और एक दिन बिना अपनी असली ताकत पहचाने ही मर गया |
दोस्तों हममें से बहुत से लोग उस बाज के बच्चे की तरह ही अपनी असली ताकत जाने बिना एक साधारण ज़िंदगी जीते रहते है और अंत में वैसे ही मर जाते हैं | हम दूसरो को देखकर भी कभी कभी ये मान लेते हैं कि हम उनके जैसे नहीं बन सकते | जबकि वास्तविकता यह है कि हमसे पहले जिस किसी ने भी कोई काम किया है हम भी उसे कर सकते हैं | बस ज़रूरत है अपनी ताकत को जानने की , अपनी क्षमताओं को पहचानने की | एक बार अगर आपने अपनी ताकत को, अपनी प्रतिभा को, अपनी क्षमताओं को पहचान लिया तो फिर आपको बुलंदियों तक पहुँचने से कोई नहीं रोक सकता |
आप चूजे की तरह मत बनिए |  अपने आप पर , अपनी काबिलियत पर भरोसा कीजिए | आप चाहे जहाँ हों, जिस परिवेश में हों, अपनी क्षमताओं को पहचानिए और आकाश की ऊँचाइयों पर उड़ कर दिखाइए क्योंकि यही आपकी वास्तविकता है.

अच्छाइयों को देखें बुराइयो को नहीं

 

अच्छाइयों को देखें बुराइयो को नहीं


16एक बार की बात है दो दोस्त रेगिस्तान से होकर गुजर रहे थे |  सफ़र के दौरान दोनों के बीच में किसी बात को लेकर कहा सुनी हो गयी.और उनमे से एक दोस्त ने दूसरे के गाल पर थप्पड़ मार दिया | जिसने थप्पड़ खाया था उसे बहुत आघात पहुँचा लेकिन वो चुप रहा और उसने बिना कुछ बोले रेत  पर लिखा – आज मेरे सबसे अच्छे मित्र ने मुझे  थप्पड़ मारा |
उसके बाद उन दोनों ने दुबारा चलना शुरू किया | चलते-चलते उन्हें एक नदी मिली दोनों दोस्त उस नदी में स्नान के लिए उतरे | जिस दोस्त  ने थप्पड़ खाया था उसका पैर फिसला और वो पानी में डूबने लगा , उसे तैरना नहीं आता था | दूसरे मित्र ने जब उसकी चीख सुनी तो वो उसे बचाने की कोशिश करने लगा और उसे निकाल कर बाहर ले आया |
अब डूबने वाले दोस्त ने पत्थर के ऊपर लिखा –आज मेरे सबसे अच्छे मित्र ने मेरी जान बचायी | वो दोस्त जिसने थप्पड़ मारा और जान बचायी उसने दूसरे से पुछा – जब मैंने तुम्हे थप्पड़ मारा तब तुमने रेत पर लिखा और जब मैंने तुम्हारी जान बचायी तब तुमने पत्थर पर लिखा , ऐसा क्यूँ ?
दूसरे दोस्त ने जवाब दिया –- रेत पर इसलिए लिखा ताकि वो जल्दी मिट जाये और पत्थर पर इसलिए लिखा ताकि वो कभी ना मिटे |
मित्रों, जब आपको कोई दुःख पहुँचाता है तब उसका प्रभाव आपके दिलोंदिमाग पर रेत पर लिखे शब्दों की तरह होना चाहिए जिसे क्षमा की हवाएं आसानी से मिटा सकें | लेकिन जब कोई आपके हित में कुछ करता है तब उसे पत्थर पर लिखे शब्दों की तरह याद रखें ताकि वो हमेशा अमिट रहे |
इसलिए किसी भी व्यक्ति की अच्छाई पर ध्यान दें न कि उसकी बुराई पर.

दूसरों के भरोसे मत रहो, अपना काम खुद करो (Don’t depend on others,Do your work yourself)

 

 

दूसरों के भरोसे मत रहो, अपना काम खुद करो  (Don’t depend on others,Do your work yourself)

birds motivational storyकहानियाँ सुनने में तथा पढने में बेशक कहानियाँ ही लगें लेकिन उनके अन्दर एक सन्देश छुपा होता है। कहानियों में एक ऐसी प्रेरणा होती है, एक ऐसी सीख होती है, जिससे हम अपनी जिंदगी में नकारात्मकता तथा अंधेरों से निकलकर एक सकारात्मक जिन्दगी जियें तथा अपने आपको बेहतर बना सकें, आत्मनिर्भर बना सकें।
आइये आज मैं आपके सामने ऐसी ही एक कहानी पेश कर रहा हूँ जो आपको आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित करेगी।
एक बार एक किसान के गेंहू के खेत में एक चिड़िया ने घोंसला बना रखा था। उस घोंसले में उसने अंडे दिये। कुछ समय बाद अंडो में से बच्चे निकले। चिड़िया दाना चुगने के लिए दूर जंगल में जाती थी और अपने बच्चों के लिये दाना लेकर लौटती थी। इस दौरान उसके बच्चे घोंसले में अकेले रहते थे। जब चिड़िया दाना लेकर लौटकर आती तो बच्चे बहुत खुश होते और उसके द्वारा लाए गए दानों को खाते।
एक दिन चिड़िया जब दाना लेकर लौटी तो उसने देखा कि उसके बच्चे बहुत डरे हुए हैं। उसने बच्चों से पूछा  “ क्या बात है बच्चो ..? तुम सब  इतने डरे हुए क्यों हो? ”
बच्चों ने बताया कि  “ आज किसान आया था और वह कह रहा था कि फ़सल अब पक चुकी है, मैं कल अपने बेटों से फसल काटने के लिये कहूँगा। अगर उसने फसल काटी तो हमारा घोसला टूट जायेगा, फिर हम कहाँ रहेंगे..? ”
चिड़िया बोली  “ फ़िक्र मत करो बच्चों , अभी खेत की फसल नही कटेगी।”
सच में अगले दिन कोई फसल काटने नहीं आया। और चिड़िया के बच्चे बेफिक्र हो गए। लेकिन कुछ दिनों बाद चिड़िया को बच्चे फिर से डरे हुए मिले। चिड़िया के पूछने पर बच्चों ने बताया  “ किसान आज भी आया था , और कह रहा था कि बेटे नहीं आये तो क्या हुआ? कल फसल काटने के लिए मजदूरों को भेजूंगा।”
इस बार भी चिड़िया ने बच्चों से कहा  “ डरने की जरुरत नहीं हैं , फसल कल भी नहीं कटेगी।”
ऐसे ही कुछ दिन और बीत गए। कोई फसल काटने के लिए नहीं आया।
कुछ दिन बाद एक दिन बच्चे फिर से डरे हुए थे। और उन्होंने चिड़िया को बताया  कि “ आज किसान फिर से आया था और कह रहा था कि दूसरों के भरोसे रहकर मैंने फ़सल काटने में बहुत देर कर दी है। मैं कल खुद ही फ़सल को काटने आऊँगा।
यह सुनकर चिड़िया बच्चों से बोली  “ अब हमें यह जगह छोड़कर कोई सुरक्षित जगह चले जाना चाहिए। क्योंकि कल खेत की फ़सल जरुर कटेगी।  ”
वह तुरंत बच्चों को लेकर एक दूसरे घोसले में  आ गई। जिसे उसने कई दिनों से कड़ी मेहनत कर के बनाया था।
अगले दिन चिड़िया और उसके बच्चो ने देखा कि किसान ने फसल काटनी शुरू कर दी है।
बच्चों ने बड़ी हैरानी से चिड़िया से पूछा  “ माँ , तुमने कैसे जाना कि कल खेत की फसल कट ही जाएगी?”
चिड़िया ने बच्चो को बताया कि “जब तक इंसान किसी कार्य के लिए दूसरों पर निर्भर रहता है, वह कार्य पूरा नहीं होता है। लेकिन जब इंसान  उस कार्य को खुद करने की ठान लेता है तो वो कार्य जरुर पूरा होता है। किसान जब तक दूसरों पर निर्भर था तब तक उसकी फसल नहीं कटी। लेकिन जब उसने खुद फसल काटने का फैसला किया तो उसकी फसल कट गयी।
दोस्तों, हमारे साथ भी यही होता है। जब तक हम किसी भी काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं तो उस काम के होने की सम्भावना बहुत कम होती हैं। और अगर वो काम हो भी गया तो उस तरह से नहीं हो पाता जैसे हम चाहते थे। लेकिन अगर वही काम हम खुद करें तो वो काम समय पर हो भी जायेगा और जैसा हम चाहते हैं वैसा ही होता है।
तो दोस्तों अपने किसी भी काम के लिए पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर नहीं रहें। जहाँ तक हो सके अपने काम खुद ही करें। अगर काम दूसरों से करवाना भी है तो अपनी देख रेख में करवायें ताकि काम सही से तथा समय पर पूरा हो जाये।

शिक्षा के क्षेत्र में कंप्यूटर के लाभ और नुकसान

 

शिक्षा के क्षेत्र में कंप्यूटर के लाभ और नुकसान

कंप्यूटर, पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से दुनिया काम करता है बदल दिया है. वे न केवल कॉरपोरेट क्षेत्र के लिए एक परिसंपत्ति साबित हुई, लेकिन यह भी चिकित्सा और शिक्षा जैसे अन्य क्षेत्रों में है. वे मशीन है जो हमें अपने काम को बहुत जल्दी और सही करने के लिए, के रूप में शारीरिक काम करने के लिए की तुलना में मदद कर रहे हैं. कई लोगों को शिक्षा के क्षेत्र में कंप्यूटर के फायदे और नुकसान पता करने के लिए उत्सुक हैं. अगले पैरा में, हमें यह समझने में कि कैसे शिक्षा के क्षेत्र में कंप्यूटर का उपयोग उज्जवल संभावनाओं और हमारे लिए सीखने की तेजी से खोला गया है. 

शिक्षा के क्षेत्र में कंप्यूटर के लाभ और नुकसान 


कंप्यूटर छात्रों को विषयों के शिक्षण का सबसे अच्छा तरीका है. इन दिनों, सभी स्कूलों और कॉलेजों में कंप्यूटर लैब है जहां वे अपने शिक्षकों से व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त है. कंप्यूटर अपने छात्रों को आसानी से और जल्दी से पढ़ाने में शिक्षकों को सहायता करते हैं.कंप्यूटर की मदद और ब्रॉडबैंड इंटरनेट सुविधा के साथ, छात्रों को अवधारणाओं या चीजें हैं जो वे जानना चाहते हैं के लिए प्रासंगिक वेबसाइटों से चर्चा करते हुए खोज कर सकते हैं. इंटरनेट सूचना का एक सागर है और दैनिक सर्फिंग इन छात्रों का ज्ञान काफी वृद्धि होगी. कंप्यूटर का एक अन्य लाभ यह है कि छात्रों को विभिन्न विषयों और चीजें हैं जो अपने स्कूल पाठ्यक्रम के अलावा अन्य का ज्ञान हासिल करने में सक्षम हो जाएगा. शिक्षा प्राप्त करने के इस तरह के रूप में अधिकारियों द्वारा निर्धारित की पाठ्यपुस्तकों से ही सीखने की तुलना में अधिक प्रभावी माना जाता है. समझना शिक्षा में कंप्यूटर की भूमिका हम सभी के लिए एक चाहिए है. 

कक्षा में कंप्यूटर के प्रयोग के शिक्षकों को पढ़ाने के लिए बहुत अधिक से अधिक वे उनके बिना कर सकते हैं मदद कर सकते हैं. छात्रों को चार्ट, चित्र और आंकड़े दिखाया जा सकता है, जबकि शिक्षण बीजगणित, ज्यामिति, भौतिकी, जीवविज्ञान या वनस्पति विज्ञान जैसे व्यावहारिक विषयों उन्मुख. शिक्षक छात्रों को, जो वे कंप्यूटर संकुल की मदद से पूरा कर सकते हैं के लिए कई कार्य कर सकते हैं. शैक्षिक संस्थानों में कंप्यूटर का परिचय छात्रों को अपने शिक्षकों के मार्गदर्शन में विभिन्न कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, सीखने में मदद कर सकते हैं. उदाहरण के लिए, छात्रों को पता करने के लिए जो कंप्यूटर के महत्वपूर्ण हिस्से हैं आ जाएगा, क्या उनके कार्य कर रहे हैं और कैसे एक कंप्यूटर वास्तव में काम करता है. वे नए संकुल और सॉफ्टवेयर उपकरण प्रारंभिक जीवन में जानने के लिए इतना है कि वे उच्च अध्ययन में महत्वपूर्ण अवधारणाओं को आराम से समझ सकते हैं कर सकते हैं. तथ्य यह है कि कंप्यूटर साक्षर छात्रों को जो कंप्यूटर ज्ञान की आवश्यकता नहीं है की तुलना में इस उद्योग में सबसे अच्छा रोजगार हथियाने का एक बड़ा मौका है के साथ कंप्यूटर शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला है. छात्रों के लिए सभी कंप्यूटर अपने स्वयं के लाभ के लिए उपयोग करता है के बारे में पता करने की आवश्यकता है. 

शिक्षा के क्षेत्र में कंप्यूटर का उपयोग यहीं खत्म नहीं होती. कई बार ऐसा होता है कि छात्रों के लिए डिग्री पाठ्यक्रम है जो वे में रुचि रखते हैं पैसे की कमी के कारण या भर्ती करने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि संस्थान अभी तक उनके निवास से दूर है. दूरस्थ शिक्षा की शुरूआत इन सभी समस्याओं को हल किया है. दूरी सीखने के कार्यक्रमों या ऑनलाइन डिग्री प्रोग्राम, जो कंप्यूटर की मदद से सीखने शामिल पूर्णकालिक प्रशिक्षण पर खर्च की तुलना में बहुत सस्ती कीमत पर शिक्षा प्रदान करता है. इसके अलावा, दूर रहते हैं, दूरदराज के क्षेत्रों में की जरूरत नहीं है, छात्रों को कई किलोमीटर की यात्रा और शहर में आने के रूप में वे अब वे एक इंटरनेट कनेक्शन के साथ एक डेस्कटॉप कंप्यूटर के मालिक प्रदान अपने घर के आराम से सीख सकते हैं. 
हालांकि, वहाँ शिक्षा के क्षेत्र में कंप्यूटर के उपयोग के जो हम से सावधान रहना चाहिए के कुछ नुकसान कर रहे हैं. सबसे पहले, सॉफ्टवेयर और कैलकुलेटर की मदद से सभी गणना कर अपने स्वयं के गणितीय क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं. सरल शब्दों में, हमें एक बिट आलसी कंप्यूटर बनाने के लिए और इस समस्या पैदा जबकि परीक्षाओं जो ऑनलाइन आयोजित की जाती हैं नहीं दे सकते हैं कर सकते हैं, लेकिन हमें खुद के द्वारा सभी गणना करने की जरूरत है. तैयार किया इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के साथ, छात्रों के संदर्भ किताबें पढ़ने और अन्य स्रोतों का उपयोग कर जानकारी के लिए खोज करने में कोई रुचि नहीं ले जाएगा. कम पढ़ना उनकी प्रगति और शैक्षिक भविष्य को प्रभावित कर सकते हैं. 

इस लेख से कंप्यूटर के उपयोग पर, हम निष्कर्ष है कि कंप्यूटर और शिक्षा एक दूसरे से अविभाज्य बन गए हैं. हम भी समझ कैसे कंप्यूटर प्रौद्योगिकी एक सकारात्मक रास्ते में हमारे जीवन प्रभावित. कंप्यूटर के बुद्धिमान का उपयोग करने से, हम एक अपेक्षाकृत कम समय में नई चीजों की एक बहुत कुछ सीख सकते हैं. तो, एक उज्जवल भविष्य के लिए कंप्यूटर जानने के लिए!