Wednesday, 6 January 2016

कुछ कदम सफलता की ओर

कुछ कदम सफलता की ओर

कुछ कदम सफलता की ओर
1. सही रास्ता चुनें
हम तभी कुछ हासिल करते हैं, जब एक टारगेट बनाकर उसी ओर चलते रहते हैं। ऐसा करने से हमें सक्सेस मिलती है, लोग हमारी तारीफ करते हैं। हमारी कामयाबी का गुणगान भी करते हैं। हमें भी खुशी मिलती है, लेकिन यह तभी संभव है, जब हम सही रास्ते पर चलें। इस बात का ध्यान रखें कि गलत रास्ते पर चलकर कभी सक्सेस नहीं मिल सकती। करियर बनाने के लिए हमें बस एक ही राह पर चलना चाहिए। बस, उसी राह को पकडकर आप भी आगे बढते रहें।
2. जरूरी हैं एटिकेट्स
बहुत से लोग कहते हैं कि जो व्यक्ति अच्छा इंसान नहीं बन सका, वह भला रेस्पेक्ट कैसे हासिल कर सकता है। आप अच्छे इंसान बनेंगे, अच्छे-बुरे का ध्यान रखेंगे, तभी लोग आपकी अच्छाइयों को देखकर आपकी तारीफ करेंगे। अगर आप किसी से सम्मानजनक भाषा में बात नहीं करेंगे, समझदारी नहीं दिखाएंगे, तो सक्सेस भी आपके पास नहीं आएगी। आपको न तो सोशल माना जाएगा और न ही किसी खुशी में आपको शरीक होने दिया जाएगा। इन बातों से भी जुडी हुई है आपकी सक्सेस। अगर आप मार्क्स लाने में परफेक्ट हैं, लेकिन बिहेवियर ठीक नहीं है, तब भी आपकी राह में बैरियर आएंगे। इसी आधार पर चयन करने वाले सीनियर्स आपको रिजेक्ट कर सकते हैं। अगर आपने स्माइल के साथ सही आंसर दिया, तो सक्सेस श्योर है।
3. लीक से हटकर
काम तो सभी करते हैं, लेकिन हमें ऐसा कुछ करना है, जिसे देख कर दुनिया कहे- वाह, यह तो कमाल हो गया। तभी आपकी ओर लोगों का ध्यान खिंचेगा। दुनिया में आप जाने जाएंगे और इसी के साथ आपके घर तक कामयाबी आ जाएगी। सामान्य कामों में वक्त जाया करना अच्छी बात नहीं है। अगर खुद को अलग दिखाना है, तो आपको अलग करना ही होगा और इसके लिए जरूरी है, अच्छी सोच के साथ प्रॉपर तैयारी। एक्टिंग की दुनिया में बलराज साहनी, ओमपुरी, नसीर जी, दिलीप कुमार, अशोक कुमार अमिताभ बच्चन का ही नाम क्यों लिया जाता है इसीलिए न कि उन्होंने अपने काम को उस बखूबी के साथ अंजाम दिया, जो बाकी लोगों के बस की बात नहीं थी।
4. राइट डिसीजन
कोई भी काम शुरू करने से पहले उसके बारे में सोचें जरूर। सबसे पहले यह डिसाइड करें कि वर्क शुरू कैसे करना है अगर हम सही डिसीजन लेंगे, तो क्वॉलिटी वर्क भी होगा और काम में अडचन भी नहीं आएगी। मुश्किल वक्त में लिया गया हमारा डिसीजन और कॉन्फिडेंस ही हमें सक्सेस दिलाता है। हमारी लाइफ में हर टाइम कोई न कोई मुसीबत आती है, लेकिन हम सही डिसीजन लेकर उससे आसानी से निपट सकते हैं।
5. सच के साथ रहें
अगर आप झूठ का सहारा लेते हैं, तो बहुत बडी गलती कर रहे हैं। कई बार ऐसा होता है कि बच्चे करते कुछ हैं और घर में बताते कुछ और हैं। इससे दूसरे का नुकसान नहीं होता। आपकी जिंदगी का गोल्डन पीरियड होता है जब आप युवा होते हैं। यंग एज में लिया गया आपका एक सही डिसीजन आपकी जिंदगी को स्वर्ग बना सकता है और अगर डिसीजन गलत लिया है तो नर्क। इसलिए हमेशा सच की राह पर ही चलें।

पढाई में मन लगाने के अचूक उपाय

पढाई में मन लगाने के अचूक उपाय

१२ साल तक के बच्चों के लिए
अब एक व्यक्ति विद्याध्ययन करना चाहता है किन्तु उसका मन पढाई की ओर न लगकर अन्य किसी ओर जैसे खेलना, घूमना-फिरना या फिर यूँ ही पढते समय आलस हावी होने लगता है तो उसके लिए:---
(A) अगर बालक की खेल-कूद में अधिक रूचि उसकी विद्याध्ययन में बाधा उत्पन कर रही है तो उसकी जन्मपत्रिका के चतुर्थेश( Lord of 4th house) का रत्न (Gem stone) चाँदी में धारण करवा दिया जाए और साथ में गरिष्ठ भोजन की अपेक्षा उसे जलीय पदार्थों का सेवन अधिक मात्रा में करने को दिया जाए तो आप देखेंगें कि उसका मन कुछ ही दिनों में खेल-कूद की ओर से मुडने लगेगा.
(B) ऎसे ही यदि कारण उसका अधिक घूमना-फिरना, मित्र संगति है तो उसे लग्नेश (Lord of 1st house) का रत्न धारण करा दिया जाए. साथ में किसी प्रकार (चाहे कुछ देर के लिए ही सही) उसे नियमित रूप से व्यायाम करने को कहा जाए तो उसका मन स्वत: ही भ्रमणकारी प्रवृ्ति तथा अत्यधिक मित्र-संगति से मुख मोड लेगा.
(C) यदि आलस के कारण पढाई में मन नहीं लग रहा तो
उसके लिए व्यक्ति पंचमेश(Lord of 5th house) रत्न तांबें में या नवमेश (Lord of 9th house) का रत्न सोने में धारण कर ले, साथ में उसे खाने में नमक की अपेक्षा मीठा अधिक मात्रा में दिया जाए तो आलस चुटकियों में गायब समझिए......
विभिन्न प्रकार के व्यसनों से मुक्ति (Get rid of addiction) :----
2. जो व्यक्ति भाँग के अतिरिक्त शराब इत्यादि अन्य किसी प्रकार के नशे का शिकार है और वो नशे को छोडना भी चाहता है किन्तु आत्मबल की कमी एवं मन की दुष्प्रवृ्ति उसे व्यसन से मुक्त नहीं होने दे पा रही तो ऎसा व्यक्ति यदि द्वितीयेश ( Lord of 2nd house) और नवमेश (Lord of 9th house) का रत्न एक साथ धारण करे और खानपान में चरपरे पदार्थों की कमी करके खट्टे पदार्थों का सेवन अधिकाधिक मात्रा में करे तो धीरे धीरे उसका मन स्वत: ही व्यसन से दूर भागने लगेगा.
१३ से २० साल तक के बच्चों के लिए
ब्रह्म मुहूर्त में करें पढ़ाई————–ब्रह्म मुहूर्त पढ़ाई के लिए बेहतर माना जाता है। कहते हैं, इस समय में उठकर अध्ययन करने से विषय का ध्यान लंबे समय तक विद्यार्थियों के जेहन में ताजा रहता है। इसलिए संभव हो तो देर रात तक पढ़ाई करने के बजाय ब्रह्म मुहूर्त में ही पढ़ाई करें। ब्राह्मी बूटी को गले में धारण करने या सेवन करने से भी स्मरण शक्ति बढ़ती है। इसके सेवन से एकाग्रता भी आती है। जब आपका सूर्य स्वर (दायां स्वर) नासिका चल रहा हो, तब कठिन विषय का अध्ययन करें, तो वह शीघ्र याद हो जाएगा। ऐसा शास्त्रों में कहा गया है।
कमरे में हरे परदे लगाएं———— जहां आप पढ़ते हों, उस कमरे में हरे रंग के परदे का इस्तेमाल करें, इससे मन को शांति मिलती है। साथ ही एकाग्रता भी आती है। जिन विद्यार्थियों को परीक्षा में उत्तर भूल जाने की आदत हो, उन्हें परीक्षा में अपने पास कपूर और फिटकरी रखनी चाहिए। यह नकारात्मक ऊर्जा को हटाते हैं।
किताब में रखें मोरपंख————- कठिन विषय की पाठ्य पुस्तकों में गुरु वार के दिन मोरपंख रखें। इससे पाठ जल्द याद होते हैं। स्वर शास्त्र के अनुसार, जो स्वर चल रहा हो, परीक्षा के लिए जाते हुए वही पैर घर से निकालें। इसी प्रकार परीक्षा कक्ष में प्रवेश करते समय भी चल रहे स्वर का ध्यान रखकर प्रवेश करें। इससे अनुकूलता सिद्ध होगी और सफलता मिलेगी। खाते पीते हुए अध्ययन नहीं करना चाहिए। इससे न तो आप सही ढंग से खा पाएंगे और न पढ़ पाएंगे। अगर अध्ययन कक्ष अलग नहीं हो, तो सामूहिक कक्ष में पूर्व दिशा की ओर मुख करके इस प्रकार बैठना चाहिए कि मुख सामने पूर्व दीवार की ओर रहे।
कोने में बैठने से बचें————– कोने में विद्यार्थी को बैठने से बचना चाहिए। विशेष रूप से दीवार की ओर मुख करकेबैठने से विद्यार्थी की प्रतिभा प्रकट नहीं होती। विद्यार्थियों को अपने कानों को बालों से नहीं ढकना चाहिए। ऐसी स्थिति में विद्यार्थी भ्रमित हो सकते हैं और पढ़ाई से मन भटक जाता है।
बुधवार को कमरे में रखें हकीक————— अगर अध्ययन के प्रति एकाग्रता कम हो रही हो, तो नवग्रहों के रंग के अनुसार नौ सुलेमानी हकीक हरे रंग के कपड़े में बांधकर विद्यार्थी को अपने अध्ययन कक्ष में रखना चाहिए तथा प्रत्येक बुधवार उन्हें देखकर पुनः बांध देना चाहिए। इससे पढ़ने में मन लगने लगता है। विद्यार्थी को अपने अध्ययन कक्ष के पूर्व की दिशा में सरस्वती देवी का चित्र अवश्य लगाना चाहिए। इसके अलावा अध्ययन कक्ष की मेज पर खेलने का समान मसलन, शतरंज, ताश आदि नहीं रखने चाहिए। इससे पढ़ने में मन लगने लगता है।
विद्यार्थी को अपने अध्ययन कक्ष के पूर्व की दिशा में सरस्वती देवी का चित्र अवश्य लगाना चाहिए। इसके अलावा अध्ययन कक्ष की मेज पर खेलने का समान मसलन, शतरंज, ताश आदि नहीं रखने चाहिए।
२० से २५ साल तक के बच्चों के लिए
कमरे के द्वार पर नीम की डाली———– इसके अलावा विद्यार्थियों को सफलता पाने के लिए अपने कक्ष के द्वार पर नीम की डाली लगानी चाहिए। इससे घर में शुद्ध हवा आती है और सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता है। उपर्युक्त उपाय छात्रों के लिए हैं। इनको आजमाकर वे परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। हां, इसके साथ-साथ आपको अपनी परीक्षा में सफल होने के लिए मेहनत भी करनी होगी।
पढ़ाई में मन न लगे तो करें यह उपाय— पढ़ाई की ओर मन नहीं जाता है। मन मारकर पढ़ने बैठते हैं तो मन में दस तरह की बातें आने लगती और पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। ऐसी स्थिति व्यक्ति के साथ तब होती है जब जन्मपत्री में ग्रहों की स्थिति खराब चल रही होती है। इस स्थिति में मन को केन्द्रित करके पढ़ाई की ओर ध्यान लगाने के लिए रिडिंग टेबल पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर श्री यंत्र स्थापित करें। जब भी पढ़ने बैठे तब श्री यंत्र पर ध्यान केन्द्रित करके ‘ओम भवाय विद्यां देहि देहि ओम नमः’ इस मंत्र का 21 बार जप करें। कुछ ही दिनों में पढ़ाई के प्रति रूचि बढ़ने लगेगी और जो भी पढ़ेंगे उसे लम्बे समय तक याद रख पाएंगे।
पूर्व दिशा की ओर मुख—- अगर अध्ययन कक्ष अलग नहीं हो, तो सामूहिक कक्ष में पूर्व दिशा की ओर मुख करके इस प्रकार बैठना चाहिए कि मुख सामने पूर्व दीवार की ओर रहे। कोने में विद्यार्थी को बैठने से बचना चाहिए। विशेष रूप से दीवार की ओर मुख करकेबैठने से विद्यार्थी की प्रतिभा प्रकट नहीं होती। विद्यार्थियों को अपने कानों को बालों से नहीं ढकना चाहिए। ऐसी स्थिति में विद्यार्थी भ्रमित हो सकते हैं और पढ़ाई से मन भटक जाता है।
ध्यान रखें की खाते पीते हुए अध्ययन नहीं करें — इससे न तो आप सही ढंग से खा पाएंगे और न पढ़ पाएंगे। अगर आप खाना खाते हुए पढ़ाई करते हैं तो समझ लीजिए आपका ज्ञान बढ़ नहीं रहा है बल्कि आप ज्ञान और आयु दोनों को नष्ट कर रहे हैं। यही कारण है कि बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि खाना और पढ़ना दोनों साथ-साथ नहीं करना चाहिए। इस विषय में महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा हुआ है कि ‘जो मनुष्य जूठे मुंह खाना पढ़ता है अथवा जूठे मुंह उठकर इधर-उधर जाता है यमराज उसकी आयु कम कर देते हैं तथा उसके बच्चों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। इस तरह से पढ़ाई करने से जो भी पढ़ते हैं वह लम्बे समय तक याद नहीं रह पाता है और जरूरत के समय ऐसी शिक्षा काम नहीं आती है।

परीक्षा का भय चुनौती के रूप में स्वीकारें

परीक्षा का भय चुनौती के रूप में स्वीकारें


वर्तमान समय में शिक्षा के बदलते स्वरूप और पाठयक्रम के भारी भरकम बोझ ने प्रायमरी शिक्षा से लेकर महाविद्यालयीन शिक्षा तक हर उम्र दराज के विद्यार्थियों को समस्याओं के मकड़जाल में उलझाकर रख दिया है। छात्र जीवन में लक्ष्य को हासिल करने के लिये वास्तव में तीन बातों पर एकाग्र चित होना जरूरी है। सबसे पहला प्रयास सकारात्मक सोच के रूप में सामने आना चाहिये। दूसरी इस बात की प्रतिबध्दता की कड़ी मेहनत से हम जी नहीं चुरायेंगे और अंतिम रूप से अपने पक्के इरादों की बैसाखी हमें निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति में सहयोग कर सकती है। परीक्षा का भय विद्यार्थी जीवन में एक अनिवार्य पायदान के रूप में स्वीकार करते हुये उस पर जीत के लिये प्रयास करना ही प्रत्येक विद्यार्थी का कर्तव्य होना चाहिये।
छा त्र जीवन किसी बड़ी और कठिन समस्या से कम नहीं आंका जाना चाहिये। यही वह उम्र है जब बच्चों का मन यहां-वहां भटकता है और यही वह उम्र भी है जो उनका भविष्य निर्धारित कर देती है। अपने सुनहरे भविष्य की धुंधली तस्वीर को स्पष्ट चित्र के रूप में प्राप्त करने का लक्ष्य हमें छात्र जीवन में ही तय करना होता है। साधना का अर्थ तपस्वियों की तरह धुनी रमाकर तप करने से नहीं वरन उन सारे गलत कामों की ओर से ध्यान हटाने से है, जो छात्र जीवन की सुनहरी पगडंडियों पर गंदे कचरे की भांति जमकर उन्हें पथ भ्रमित कर जाती है। व्यसनों से दूर रहना, अपने विषयों की किताबों पर मन लगाना और ऐसे लोगों की संगति करना जो उच्च विचारों  के साथ लड़खडाते कदमों को सही दिशा दे सकें, यही छात्र साधना के मुख्य चरण माने जाने चाहिये। साधना से जुड़ा विद्यार्थी जीवन सत्र शुरू होते ही शिक्षक-शिक्षिकाओं द्वारा पढ़ाये गये पाठयक्रमों की पुनरावृत्ति के रूप में ठीक उसी तरह अमल में लायी जानी चाहिये, जिस तरह गुरूकुल शिक्षा के समय सुबह और शाम नियमित रूप से पूजा आराधना के रूप में गुरूओं के सानिध्य में जरूरी हुआ करता था। प्रत्येक ऐसे क्रियाकलापों को तिलांजलि देना छात्र जीवन में जरूरी समझा जाना चाहिये, जिससे छात्र जीवन भटकन भरी अंधेरी गलियों में खो जाता है। इतिहास के पन्नों में लिखी घटनाएं प्रत्यक्ष प्रमाण है कि साधना की भट्ठी से निखरकर ही ईश्वरचंद विद्यासागर ने जन्म लिया, ऐश्वर्य और आराम को त्याग कर ही बालक नरेन्द्र विवेकानंद बन पाया और गरीब किसान का बेटा लाल बहादुर शास्त्री के रूप में देश का प्रधानमंत्री बन पाया।
भय समाप्त करने आत्म विश्वास जगायें : परीक्षा का भय समाप्त करने के लिये सबसे पहले अपने अंदर आत्म विश्वास जगाना जरूरी है। आत्म विश्वास अथवा 'सेल्फ कान्फीडेन्स' एक ऐसा मनोविज्ञान से परिपूर्ण शब्द है, जो हर प्रकार की चिंता और घबराहट को मिनटों में दूर कर सकता है। विद्यार्थी जीवन में ऐसे मित्राें की भी कमी नहीं होती जो आत्म विश्वास को डिगाने का ही काम करते है। तात्पर्य यह कि समस्याओं से भागने वाले नहीं वरन लड़ने वाले साथियों की तलाश कर और फिर मिलकर गणित जैसे भय पैदा करने वाले विषय के साथ ही याद करने वाले विषयों के मुख्य बिंदुओं पर परस्पर विचार विमर्श करते हुये एक दूसरे की उलझनों को दूर करने की प्रयसा करें। परीक्षा के समय पूरे आत्म विश्वास के साथ परीक्षा कक्ष में जाये। प्रश्ों के उत्तर लिखने की सकारात्मक सोच आत्म विश्वास रूपी वस्त्र पहनकर ही सुंदर दृश्य प्रस्तुत कर सकती है। आत्म विश्वास को स्थायी रूप प्रदान करने के लिये प्रश्ों के उत्तर कंठस्थ कर उसे बार-बार लिखने की आदत डालना ही उचित तरीका हो सकता है। बार-बार लिखने से हाथ और पेन भी उस दिशा में बढ़ चलते है, जिसकी विद्यार्थी को नितांत जरूरत होती है। किसी भी विषय की कठिनाई को छोड़ना विद्यार्थी की सबसे बड़ी असफलता हो सकती है। उसे समझने अथवा हल ढूंढने के लिये शिक्षकों अथवा पारिवारिक सदस्यों की सहायता लेना अच्छा कदम माना जा सकता है। सूर्योदय से पूर्व शांत वातावरण में ऐसे ही कठिन प्रश्ों का हल ढूंढना सफलता का द्वार दिखा सकता है।
परीक्षा को माने प्रभावशाली चुनौती: परीक्षा का समय बच्चों के लिये सबसे अधिक तनाव भरा समय होता है। उठते बैठते बस परीक्षा का भय ही उन्हें सताता रहता है। इस परिस्थिति से सबसे अधिक स्कूली बच्चे संघर्ष करते दिखाई पड़ते है। इस महत्वपूर्ण समय में बच्चों को सकारात्मक एवं प्रभावशाली रूप में हर प्रकार से चुस्त दुरूस्त होना चाहिये। अपने ज्ञान एवं जानकारियों का उचित प्रदर्शन एक अच्छी सोच के साथ परीक्षा के दौरान करना चाहिये, न कि उसके भय से आत्म विश्वास खोना चाहिये। परीक्षा के ठीक पहले पढ़ाई करने की गलत आदत को त्यागते हुये शुरू से ही पढ़ने की आदत डालना परीक्षा के भय को समाप्त करने का सबसे अच्छा तरीका हो सकता है। इस प्रकार की तैयारी आपके मनोबल को ऊंचा करने में सहायक हो सकती है। परीक्षा को चुनौती के रूप में लेते हुये सबसे पहले समय सारणी का निर्धारण करें। कठिन लगने वाले विषयों के लिये अधिक समय निर्धारित करें, जबकि आसान विषयों के समय को कम करते हुये कुछ मनोरंजन का भी समय बना लें। यह भी निश्चित करना जरूरी है कि क्या, कब और कैसे प्रतिदिन पढ़ाई करनी चाहिये। पढ़ाई करते समय कभी भी ढुलमुल स्थिति में न बैठे। सीधे एवं चुस्त स्थिति में बैठकर पढ़ना अधिक लाभकारी हो सकता है।
बेहतर नींद लें : परीक्षा के दौरान बच्चे प्राय: देर रात तक पढ़ाई के लिये जागते है और कभी कभी तो पूरी रात पढ़ते है। यह पढ़ाई का सबसे अनुचित तरीका है। विद्यार्थियों को यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिये कि परीक्षा के दिनों में चेतन और अचेतन मन को सकारात्मक ऊर्जा देने के लिये बेहतर नींद और पर्याप्त भोजन दिया जाना जरूरी है। मनोवैज्ञानिक धारण के अनुसार प्रत्येक अच्छा नंबर लाने की मंशा रखने वाले छात्र को कम से कम 6 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिये, यह भी प्रमाणित तथ्य है कि अच्छी पढ़ाई के लिये सुबह 5 बजे से 7 बजे तक का समय तथा रात में 8 बजे से 11 बजे तक का समय उचित होता है। इन समयों पर वातावरण शांत और मन प्रफुल्लित रहता है। रात 11 बजे के बाद दिमाग भी दिनभर की व्यस्तता के कारण थक चुका होता है। अत: उसे भी आराम की जरूरत होती है। रातभर पढ़ने वाले छात्र का दूसरे दिन का समय केवल नींद में ही खराब हो जाता है और पुन: उसी दिनचर्या पूरी समय सारणी को दूषित कर देती है। परीक्षा के दिनों में भोजन भी उचित मात्रा में लेना चाहिये। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिये कि खाने में पर्याप्त प्रोटीन और विटामिन्स उपलब्ध हो। किसी भी स्थिति में परीक्षा के दिनों में उपवास अथवा भुखे रहने को स्थान नहीं देना ही छात्रहित में हो सकता है। भोजन अच्छा लेने के साथ यह भी ध्यान रखना चाहिये कि वह गरिष्ठ भोजन की श्रेणी में न आता हो। सामान्यत: भोजन में चावल, वसा, मसाले, तले हुये आलू तथा मांस का समावेश नहीं किया जाना चाहिये। इस प्रकार के भोजन जहां दिमागी शक्ति को कमजोर बनाते है, वहीं दूसरी ओर शारीरिक थकावट को बढ़ाते हुये आलस्य की ओर अग्रसर करते है। ऐसे तत्वों को भोजन में शामिल करें, जो लगातार दिमाग को ऊर्जा प्रदान करते रहे। जैसे दूध, दही, शहद अथवा मधु, चॉकलेट (कोको वाली) अधिक प्रोटीन वाली सामग्री जैसे दाल, हरी सब्जियां आदि। सोने के लिये जाने से पूर्व एक गिलास साफ पानी अवश्य पीना चाहिये, जिससे मस्तिष्क के सेल को चार्ज किया जा सके।
बड़े महत्व की हैं ये बातें ...
परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के साथ ही परीक्षा का भय समाप्त करने के लिये विद्यार्थियों को कुछ महत्वपूर्ण बातें अपने दिमाग में बैठा लेनी चाहिये। जो इस प्रकार है:-
1.     किसी भी प्रकार की परीक्षा अथवा प्रश् पत्र को बोझ की तरह न लें और सामान्य रूप से शांत वातावरण में अध्ययन करें।
2.     वर्ष के शुरूआत से ही पढ़ने की आदत डाले, ताकि परीक्षा के समय पूरे पाठयक्रम को पढ़ने के भार से बचा जा सके और लगातार पढ़ते रहने का लाभ भी मिलता रहे।
3.     गणित, भौतिक शास्त्र और एकाउन्ट जैसे विषय की तैयारी ग्रुप स्टडी के रूप में की जानी चाहिये, ताकि एक दूसरे की शंका का समाधान आसानी से हो सके।
4.     किसी भी विषय के प्रश्ोत्तरों को रटने के बजाय उसे बार-बार पढ़े और अपने शब्दों में लिख-लिखकर कुछ बिंदु तैयार कर परीक्षा की  तैयारी करें।
5.     परीक्षा के समय, समय प्रबंधन पर ध्यान देना महत्वपूर्ण हो सकता है। अपनी दिनचर्या को परीक्षा के विभिन्न विषयों के अनुसार बांटकर  पढ़ाई करना वैज्ञानिक तरीका माना जाना चाहिये।
6.     हिंदी, अंग्रेजी तथा संस्कृत जैसे विषयों में वर्तनी की शुध्दता को बनाये रखने के लिये बार-बार लिखना उचित हो सकता है।
7.     परीक्षा के समय प्रश् पत्र हाथ में आने के बाद सबसे पहले उन प्रश्ों के उत्तर लिखना शुरू करें, जिस पर अधिक आत्म विश्वास पूर्वक उत्तर लिख सकते हो।
8.     परीक्षा कक्ष में जाने से पूर्व किसी नये प्रश् को न पढ़ें, और न ही उस प्रश्न पर ध्यान दें जो आपने तैयार नहीं किये हो।

परीक्षा के दौरान स्टूडेंट और पेरेंट्स को क्या करना चाहिए?

परीक्षा के दौरान स्टूडेंट और पेरेंट्स को क्या करना चाहिए?

परीक्षा के दौरान स्टूडेंट और पेरेंट्स को क्या करना चाहिए?
परीक्षा के दौरान स्टूडेंट और पेरेंट्स को क्या करना चाहिए?
परीक्षा के दौरान बच्चों और पेरेंट्स पर बेहतर रिजल्ट को लेकर मानसिक दबाव जबरदस्त होता है। ऐसे समय में कई बार बच्चों को कुछ मनोवैज्ञानिक समस्याए हो जाती है। वे ‘एंजाइटी’ के शिकार तक हो जाते है और अवसाद में चले जाते है, जो कि काफी गंभीर है। परीक्षा के इस तनाव से कैसे निपटा जाए, आइए जानते है...
सवाल : 1
बच्चों को लगता है कि परीक्षा देते समय वे सब कुछ भूल जाएंगे, इससे बाहर कैसे निकला जाए?
जवाब -
बच्चों के लिए : सबसे पहली बात है कि बच्चों कि उम्र के हिसाब से उनके कोर्स डिजाईन होते है। जो बच्चे रोजाना पुरे साल पढाई करते है, उन्हें इस तरह कि समस्या आती है। इसके अलावा पढाई के दौरान समय-समय पर मोकतेस्ट और फीडबेक लेते रहे, उससे भी तनाव कम होता है। रोजाना एक्सरसाइज और ध्यान करने से भी बेस लाइन एंजाइती (जिसमें नर्वसनेस बहुत जल्दी आ जाती है।) बहुत कम हो जाती है। इसके अलावा बच्चो को रोजाना अच्छी नींद लेना भी जरुरी है। पढाई के दौरान बच्चे अपने को क्रोस्चेक बिलकुल न करे, क्योंकि इस कारण से भी उनके अंदर एंजाइटी बढ़ सकती है। पढ़ते वक्त रटने के बजाय पॉइंट्स और कांसेप्ट क्लियर करें और हर चेप्टर के मुख्य पॉइंट्स को नोट जरुर करते रहे।
अभिभावकों के लिए : परीक्षा के दौरान अभिभावकों को यह चाहिए कि वो बच्चों के खान-पान पर विशेष ध्यान दें। दिमाग को उत्तेजित करने वाले पदार्थ जैसे चाय, कॉफ़ी को बच्चों को ज्यादा न दे। फ़ास्ट फूड्स कि जगह हेल्थी डाइट दें। उनकी नींद का ख्याल रखे। सोशल फंक्शन जैसे शादी वगेरह में भी उन्हें डीएम ले जाएं और जितना हो सके पढाई का माहोल घर में बनाएं।

सवाल : 2
त्यौहार और परीक्षा के बीच बच्चे कैसे संतुलन बनाये?
जवाब -
बच्चों के लिए : परीक्षा का मतलब ही होता है मन और इन्द्रियों पर नियन्त्रण रखना। ऐसे में बच्चो को  चाहिए कि वो त्यौहार के चक्कर में अपने कारेअर और पढाई से समझोता ना करें। पढाई उनका प्राथमिक लक्ष्य है, जिसे लेकर वे हमेशा गंभीर रहे। त्यौहार उनका ध्यान पढाई से हटा सकते है। इसलिए उन पर ध्यान देने के बयाय वो पढाई पर ज्यादा ध्यान दें।
अभिभावकों के लिए : अभिभावकों को चाहिए त्यौहार के सीजन में भी जितना हो सके, घर माहोल पढाई वाला बनाये रखे, ताकि बच्चों का मन ना भटके। बच्चो का कनर ऐसी जगह होना चाहिए जहा महमानों कि आवाजाही ना हो, ताकि बच्चे शांति से पढाई के सके।

सवाल : 3
परीक्षा की तैयारी के दौरान बच्चे सबसे ज्यदा स्ट्रेस में रहते है। न ठीक से खाते है और न ही सो पाते है। ऐसे बच्चों और बड़ो को क्या करना चाहिए?
जवाब -
बच्चों के लिए : स्ट्रेस को दूर करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि बच्चे पर्याप्त नींद ले। पढाई के बिच में दो से तिन घंटे में कुछ न कुछ खाते रहे। परीक्षा के दौरान नई चीज बिलकुल न पढ़े, बल्की जो पहले पढ़ चुके है, उन्हें अच्छे से दोहराहे।
अभिभावकों के लिए : बच्चो पर किसी तरह का दबाव न डालें। उन्हें पढाई के लिए प्रोत्साहित करें कि कैसे वो अच्छे से पढाई कर सकते है। उन्हें पढाई के लिए इजी ट्रिक्स बताये।

सवाल : 4
परीक्षा के दौरान पेरेंट्स का व्यवहार बच्चों के साथ कैसे होना चाहिए?
जवाब -
बच्चों के लिए : चूँकि परीक्षा का दबाव बच्चो के साथ पेरेंट्स को भी होता है। इसलिए बच्चो को चाहिए कि अगर पेरेंट्स उन्हें कुछ कह भी देते है तो उस बात को दिल से ना लगाकर अपनी पढाई में पूरा ध्यान लगाए।
अभिभावकों के लिए : अभिभावकों यह चाहिए कि बच्चों के अंदर जितनी क्षमता है, उसके अनुरूप ही उनसे अपेक्षाए रखे। पेरेंट्स अपनी अधूरी इच्छाए बच्चो के जरीय पूरा करने की कोशिश ना करें।

परीक्षा में अच्छे नंबर लेन हेतु..???

परीक्षा में अच्छे नंबर लेन हेतु..???
अपनी राशि के अनुसार जानिए की किस दिशा में हो आपका स्टडी रूम/अध्ययन कक्ष—
(क्या करें उपाय परीक्षा में अच्छे नंबर लेन हेतु..???)
पढ़ाई में अव्वल हो, अच्छे नंबर आएं, परीक्षा में सफलता मिले वगैरह-वगैरह, ऐसी चाहत हर विद्यार्थी की होती हैं। लेकिन कभी-कभी मेहनत के बावजूद कुछ छात्र असफल भी हो जाते हैं। अगर आप भी परीक्षा में सफल होना चाहते हैं, तो मेहनत के साथ-साथ कुछ सामान्य उपाय करके शिक्षा के क्षेत्र में अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं। अक्सर ये देखा गया है कि स्टूडेन्ट्स घंटो बैठ कर पढ़ाई करते हैं लेकिन उनका रिजल्ट संतोषजनक नही होता।अगर आपके बच्चों के साथ भी ऐसा होता है, तो हो सकता है इसमें बच्चों की कोई गलती न हों, क्योंकि वास्तु के अनुसार बच्चों के लिए उनकी राशि के अनुसार पढ़ाई करने की दिशा बताई गई हैं। अगर स्टूडेन्ट्स अपनी राशि के अनुसार स्टडी रूम में बैठकर पढ़ाई करें तो उनको अपनी मेहनत के पूरे परिणाम मिलने लगेंगे।
हर छात्र की कामना होती है, कि वह परीक्षा में न केवल उत्तीर्ण हो, बल्कि उसे अच्छी सफलता भी मिले। प्रयास तो सभी करते हैं मगर इनमें से कुछ लोग ही सफल होते हैं। कई छात्रों की समस्या होती है कि कड़ी म्हणत करने के बावजूद आपेक्षित परिणाम नहीं मिल पते हें…आइये जाने की इस समस्या से केसे पायें छुटकारा—
किस दिशा में बैठकर करें पढाई–
विद्यार्थियों को अध्ययन करते समय अपना मुंह हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और पढ़ाई में ध्यान लगा रहता है। विद्यार्थियों को ऐसे स्थान पर पढ़ाई नहीं करनी चाहिए, जहां पर बाहर की वायु का प्रवाह सीधे आप पर पड़ता हो, अर्थात् द्वार या खिड़की के समीप बैठकर नहीं पढ़ना चाहिए। क्योंकि खुले द्वार और खिड़की पढ़ाई में एकाग्रता प्रदान नहीं करते।
मेष- इस राशि के विद्यार्थियों को अपनी राशि के अनुसार पूर्व दिशा में अपना स्टडी रूम रखना चाहिए।
वृष- पूर्व-दक्षिण (आग्रनेय कोण) में बना स्टडी रूम, वृष राशि वालों के लिए लाभदायक रहेगा।
मिथुन- बुध देव की राशि के छात्रों को उत्तर-पश्चिम दिशा (वायव्य कोण) में अपना स्टडी रूम रखना चाहिए।
कर्क- उत्तर दिशा इस राशि वालों के लिए लाभदायक रहेगी।
सिंह- पूर्व-दक्षिण दिशा (आग्रनेय कोण) में पढ़ाई करने से इस राशि वालों को अच्छे परिणाम मिलेंगे।
कन्या- दक्षिण दिशा कन्या राशि वालों के लिए उपयुक्त रहेगी।
तुला- पश्चिम दिशा में पढ़ाई करने से तुला राशि वालों को हमेशा लाभ मिलेगा।
वृश्चिक- उत्तर-पश्चिम दिशा (वायव्य कोण) वृश्चिक राशि वालों के लिए अनुकूल परिणाम देने वाली रहेगी।
धनु- इस राशि वालों को उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान्य कोण) में अपना स्टडी रूम रखना चाहिए।
मकर- शनि की राशि वालों को अपनी राशि के अनुसार दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) में पढ़ाई करना चाहिए।
कुंभ- कुंभ राशि वालों के लिए पश्चिम दिशा पढऩे के लिए अनुकूल रहेगी।
मीन- इस राशि वालों के लिए उत्तर दिशा अच्छा फल देने वाली रहेगी।
ब्रह्म मुहूर्त में करें पढ़ाई————–
ब्रह्म मुहूर्त पढ़ाई के लिए बेहतर माना जाता है। कहते हैं, इस समय में उठकर अध्ययन करने से विषय का ध्यान लंबे समय तक विद्यार्थियों के जेहन में ताजा रहता है। इसलिए संभव हो तो देर रात तक पढ़ाई करने के बजाय ब्रह्म मुहूर्त में ही पढ़ाई करें। ब्राह्मी बूटी को गले में धारण करने या सेवन करने से भी स्मरण शक्ति बढ़ती है। इसके सेवन से एकाग्रता भी आती है। जब आपका सूर्य स्वर (दायां स्वर) नासिका चल रहा हो, तब कठिन विषय का अध्ययन करें, तो वह शीघ्र याद हो जाएगा। ऐसा शास्त्रों में कहा गया है।
कमरे में हरे परदे लगाएं————
जहां आप पढ़ते हों, उस कमरे में हरे रंग के परदे का इस्तेमाल करें, इससे मन को शांति मिलती है। साथ ही एकाग्रता भी आती है। जिन विद्यार्थियों को परीक्षा में उत्तर भूल जाने की आदत हो, उन्हें परीक्षा में अपने पास कपूर और फिटकरी रखनी चाहिए। यह नकारात्मक ऊर्जा को हटाते हैं।
किताब में रखें मोरपंख————-
कठिन विषय की पाठ्य पुस्तकों में गुरु वार के दिन मोरपंख रखें। इससे पाठ जल्द याद होते हैं। स्वर शास्त्र के अनुसार, जो स्वर चल रहा हो, परीक्षा के लिए जाते हुए वही पैर घर से निकालें। इसी प्रकार परीक्षा कक्ष में प्रवेश करते समय भी चल रहे स्वर का ध्यान रखकर प्रवेश करें। इससे अनुकूलता सिद्ध होगी और सफलता मिलेगी। खाते पीते हुए अध्ययन नहीं करना चाहिए। इससे न तो आप सही ढंग से खा पाएंगे और न पढ़ पाएंगे। अगर अध्ययन कक्ष अलग नहीं हो, तो सामूहिक कक्ष में पूर्व दिशा की ओर मुख करके इस प्रकार बैठना चाहिए कि मुख सामने पूर्व दीवार की ओर रहे।
कोने में बैठने से बचें————–
कोने में विद्यार्थी को बैठने से बचना चाहिए। विशेष रूप से दीवार की ओर मुख करकेबैठने से विद्यार्थी की प्रतिभा प्रकट नहीं होती। विद्यार्थियों को अपने कानों को बालों से नहीं ढकना चाहिए। ऐसी स्थिति में विद्यार्थी भ्रमित हो सकते हैं और पढ़ाई से मन भटक जाता है।
बुधवार को कमरे में रखें हकीक—————
अगर अध्ययन के प्रति एकाग्रता कम हो रही हो, तो नवग्रहों के रंग के अनुसार नौ सुलेमानी हकीक हरे रंग के कपड़े में बांधकर विद्यार्थी को अपने अध्ययन कक्ष में रखना चाहिए तथा प्रत्येक बुधवार उन्हें देखकर पुनः बांध देना चाहिए। इससे पढ़ने में मन लगने लगता है। विद्यार्थी को अपने अध्ययन कक्ष के पूर्व की दिशा में सरस्वती देवी का चित्र अवश्य लगाना चाहिए। इसके अलावा अध्ययन कक्ष की मेज पर खेलने का समान मसलन, शतरंज, ताश आदि नहीं रखने चाहिए।
कमरे के द्वार पर नीम की डाली———–
इसके अलावा विद्यार्थियों को सफलता पाने के लिए अपने कक्ष के द्वार पर नीम की डाली लगानी चाहिए। इससे घर में शुद्ध हवा आती है और सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता है। उपर्युक्त उपाय छात्रों के लिए हैं। इनको आजमाकर वे परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। हां, इसके साथ-साथ आपको अपनी परीक्षा में सफल होने के लिए मेहनत भी करनी होगी।
पढ़ाई में मन न लगे तो करें यह उपाय—
पढ़ाई की ओर मन नहीं जाता है। मन मारकर पढ़ने बैठते हैं तो मन में दस तरह की बातें आने लगती और पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। ऐसी स्थिति व्यक्ति के साथ तब होती है जब जन्मपत्री में ग्रहों की स्थिति खराब चल रही होती है। इस स्थिति में मन को केन्द्रित करके पढ़ाई की ओर ध्यान लगाने के लिए रिडिंग टेबल पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर श्री यंत्र स्थापित करें।
जब भी पढ़ने बैठे तब श्री यंत्र पर ध्यान केन्द्रित करके ‘ओम भवाय विद्यां देहि देहि ओम नमः’ इस मंत्र का 21 बार जप करें। कुछ ही दिनों में पढ़ाई के प्रति रूचि बढ़ने लगेगी और जो भी पढ़ेंगे उसे लम्बे समय तक याद रख पाएंगे।
पूर्व दिशा की ओर मुख—-
अगर अध्ययन कक्ष अलग नहीं हो, तो सामूहिक कक्ष में पूर्व दिशा की ओर मुख करके इस प्रकार बैठना चाहिए कि मुख सामने पूर्व दीवार की ओर रहे। कोने में विद्यार्थी को बैठने से बचना चाहिए।
विशेष रूप से दीवार की ओर मुख करकेबैठने से विद्यार्थी की प्रतिभा प्रकट नहीं होती।
विद्यार्थियों को अपने कानों को बालों से नहीं ढकना चाहिए। ऐसी स्थिति में विद्यार्थी भ्रमित हो सकते हैं और पढ़ाई से मन भटक जाता है।
ध्यान रखें की खाते पीते हुए अध्ययन नहीं करें —
इससे न तो आप सही ढंग से खा पाएंगे और न पढ़ पाएंगे। अगर आप खाना खाते हुए पढ़ाई करते हैं तो समझ लीजिए आपका ज्ञान बढ़ नहीं रहा है बल्कि आप ज्ञान और आयु दोनों को नष्ट कर रहे हैं। यही कारण है कि बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि खाना और पढ़ना दोनों साथ-साथ नहीं करना चाहिए। इस विषय में महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा हुआ है कि ‘जो मनुष्य जूठे मुंह खाना पढ़ता है अथवा जूठे मुंह उठकर इधर-उधर जाता है यमराज उसकी आयु कम कर देते हैं तथा उसके बच्चों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। इस तरह से पढ़ाई करने से जो भी पढ़ते हैं वह लम्बे समय तक याद नहीं रह पाता है और जरूरत के समय ऐसी शिक्षा काम नहीं आती है।