Wednesday, 19 April 2017

कैसे करें Ussd Code *99# को Use – Ussd Based Mobile Banking

कैसे करें Ussd Code *99# को Use – Ussd Based Mobile Banking

 


Ussd Based Mobile Banking – हमने हमारी पिछली Post में आपको USSD Code *99# के बारे में काफी जानकारी प्रदान की थी जहां बताया गया था बिना Smart Phone और Internet Connection के भी आप Banking कर सकते हैं और वो भी अपने Normal Phone के जरीए, जिसके लिए आपको Bank जाने की भी जरूरत नहीं होती।
इस Post में आप जानेंगे कि *99# को Use कैसे किया जाता है लेकिन इसे Discuss करने से पहले आपके लिए इसके कुछ Features के बारे में विस्‍तार से जानना जरूरी है।
तो चलिए, शुरू करते हैं।

Mobile Registration

*99# USSD की सुविधा को Use करने के लिए सबसे पहले आपको अपना Mobile Number Bank में Register करवाना होगा। बिना Mobile Number Bank में Register करे आप इस Service का Use नही कर सकते।
Mobile Number Bank में Register करवाना आवश्‍यक इसलिए है क्‍योंकि जब‍ आप Net Banking का Use करते हैं, तो आपको Internet के जरीये आपके Account से Connect कर दिया जाता है परन्‍तु *99# में Internet का कोई Roll नहीं होता, इसलिए आपको Mobile Number Register करना होता है क्‍योंकि आपका Mobile Number आपके Bank A/c से Associated रहता है और एक Mobile Number कभी भी किसी दूसरे व्‍यक्ति को Allocate नहीं किया जाता।
इसलिए आप जिस Mobile Number का प्रयोग करते हुए *99# USSD Service का Use करते हैं, Bank का Server उसी Mobile Number के साथ Associated Bank A/c के साथ आपको Connect कर देता है। यही एक माध्‍यम होता है *99# USSD Service के द्वारा आपको आपके Account से Connect करने का क्‍योंकि आपके Mobile Number के माध्‍यम से ही Bank Manager आपकी एक अलग पहचान बनाते हैं, जिससे कि Bank Server द्वारा आपको आसानी से पहचाना जा सके और आपको किसी भी प्रकार की समस्‍या का सामना न करना पड़े।

MMID – Mobile Money IDentifier क्‍या होता है?

जब आप अपना Mobile Number Bank में Register करवा देते हैं तो आपको Bank द्वारा आपको 7 Digits का एक Code दिया जाता है जिसे MMID Code कहते हैं। प्रत्‍येक Bank का अपना अलग MMID Code होता है। MMID के पहले 4 Digits Bank को Identify करते है कि किस Bank के द्वारा Mobile Banking की सुविधा दी गई है।
जो Money Transfer कर रहा है और जो Money प्राप्‍त करने वाला है, दोनों को ही MMID की आवश्‍यकता होती है क्‍योंकि ये Mobile Banking द्वारा Compulsory कर दिया गया है। MMID के जरीए ही Bank आपको पहचानता है। MMID आपकी एक Unique पहचान होती है। MMID की वजह से आपका Transaction बहुत ही Safe और Secure हो जाता है।

MPIN – Mobile Banking Personal Identification Number क्‍या है?

MPIN एक Password होता है जो Bank द्वारा आपको दिया जाता है। उदाहरण के लिए जिस तरह से आपको आपके Bank द्वारा अपने Bank A/c को Net Banking के माध्‍यम से Access करने के लिए Password दिया जाता है या ATM Machine से Payment Withdraw करने के लिए Bank से 4 Digits की संख्‍या वाला Password दिया जाता है उसी तरह से Mobile Banking की सुविधा का उपयोग करने के लिए MPIN के रूप में एक Password है।

सामान्‍यत: MPIN 4 Digits का और किसी-किसी Bank के द्वारा 6 Digits का दिया गया एक Secret Code Number होता है। इसका Use तभी किया जाता है, जब हम हमारे Mobile से Transaction कर रहे हों। ये बहुत ही Sensitive होता है इसलिए इस PIN को केवल याद रखना चाहिए। इसे कहीं पर भी Note Down नहीं करना चाहिए और यथासम्‍भाव बहुत ही गोपनीय रखना चाहिए। क्‍योंकि जिस किसी के पास भी आपका ये MPIN होगा, वह आपके Bank Account को Mobile के माध्‍यम से Access करने में सक्षम हो जाएगा।
इसे Bank द्वारा तभी दिया जाता है जब हम Mobile Banking के लिए Apply करते हैं और अपना Mobile Number Bank में Register करवाते हैं।
वैसे तो इसे किसी को बताना नहीं चाहिए परन्‍तु किसी वजह से ये किसी को पता चल जाए तो आप इसे UPI Apps का Use करके या फिर USSD Code का Use करके बदल भी सकते हैं इसमें कोई चिंता जैसी बात नहीं है लेंकिन जहाँ तक हो सके इसे गोपनीय ही रखे। साथ ही आपको इसे थोडे़-थोड़े समयाावधि जैसे हर महीने, हर तीसरे महीने, हर छठे महीने अथवा कम से कम साल  में एक बार जरूर बदल देना चाहिए।

सभी तरह के लोगों के लिए एक जैसा नहीं होता Home Budget.

सभी तरह के लोगों के लिए एक जैसा नहीं होता Home Budget.


Types of Budget – मूल रूप से बजट दो तरह के लोगों के लिए बनाया जाता है। एक वे, जो नौकरीपेशा होते हैं जबकि दूसरे वे, जो कि किसी न किसी तरह का व्‍यापार करते हैं।
नौकरीपेशा लोगोंं की आय लगभग पूरे साल भर स्थिर रहती है, जबकि व्‍यापार करने वाले लोगों की आय किसी भी तरह से स्थिर नहीं होती। इसलिए जिस तरह का बजट, नौकरीपेशा लोगों के लिए उपयुक्‍त होता है, Exactly उसी तरह का बजट व्‍यापारीवर्ग के लिए उपयुक्‍त नहीं होता।
साथ ही HomeBusiness, दोनों के लिए बनाया जाने वाला Budget भी अलग-अलग होता है क्‍योंकि Home Budget पूरी तरह से घर चलाने से सम्‍बंधित होता है, जबकि Business Budget पूरी तरह से Business को Operate करने सम्‍बंधित होता है। इसलिए यदि आप किसी भी तरह से व्‍यापारीवर्ग में आते हैं यानी आप Private या सरकारी किसी भी तरह की नौकरी नहीं करते बल्कि आपका स्‍वयं का Business है या आप ठेकेदारी जैसा कोई काम करते हैं, तो उस स्थिति में आपके व्‍यापार से सम्‍बंधित Business Budget का कोई सम्‍बंध आपके Home Budget से नहीं होता और आपको कभी भी इन दोनों को आपस में Mixup नहीं करना चाहिए।

उदाहरण के लिए यदि आपकी एक Electronic Showroom की Shop है, जहां आप AC, TV, Freeze, Cooler आदि Sell करते हैं, तो इन सामानों को Transport से आपकी Shop तक लाने के लिए आप जो किराया देते हैं, वह आपके Business से सम्‍बंधित खर्च है, लेकिन यदि आप अपनी ही Shop से एक AC अपने घर पर भेजते हैं, तो उस AC और उसे घर तक ले जाने के लिए दिया गया Transportation Charge, दोनों अापके Home Budget से सम्‍बंधित होंगे।
यदि आप नौकरी पेशा व्‍यक्ति हैं, तो आपके लिए महीने से महीने वाला बजट बनाना बेहतर रहेगा, ताकि आपको पता रहे कि आपकी कितनी Salary आ रही है और Salary के अलावा अन्‍य माध्‍यमों से आपके पास कितने पैसे अा रहे हैं।
यहां भी ये ध्‍यान रखना जरूरी होता है कि आपकी Gross Salary चाहे जितनी भी हो, आपको अपना Home Budget हमेंशा Net Take Home Salary के आधार पर ही बनाना होता है।

यानी मान लीजिए कि आपकी Gross Salary तो 20,000 रूपए प्रतिमाह है, लेकिन NPF, PPF, Loan Installment, EMI आदि कटने के बाद Ultimately आपकी जेब में केवल 16,000/- Per Month ही आ रहे हैं, तो आपको अपना Home Budget केवल INR 16,000/- के आधार पर ही बनाना हाेगा न कि 20,000/- के आधार।
नौकरीपेशा लोगों को तो हर महीने एक निश्चित तारीख पर Salary प्राप्‍त होती है, इसलिए उन्‍हें पता होता है कि उनके पास किस तारीख को कम से कम कितना पैसा आने वाला है, लेकिन एक Businessmen को कभी पता नहीं होता कि किस महीने उसको कितने रूपयों की आय होगी। कई बार तो पूरे महीने में एक भी रूपए की आय नहीं होती। इसलिए यदि आप Businessman हैं, तो उस स्थिति में आप अपनी सुविधानुसार पूरे साल का Home Budget भी बना सकते हैं, क्‍योंकि एक Businessman की आय मासिक आधार पर ही हो, एेसा जरूरी नहीं है।
हालांकि व्‍यापारी वर्ग से जुड़े हुए कई लोग अपना Home Budget, Quarterly (त्रैमासिक) आधार पर भी बनाते हैं, क्‍योंकि उनके लिए जो Cash Flow सरलता से उपलब्‍ध होता है, वह Quarterly होता है। अत: यदि आप Businessman/Contractor हैं, तो आप अपना Home Budget, Quarterly Basis पर भी बना सकते हैं क्‍योंकि सामान्‍यत: आपका Credit Period दो या तीन महीने के लिए होता है।
इस प्रकार से आपके लिए ये ध्‍यान रखना बहुत ही जरूरी है कि आप जब भी अपना Home Budget बनाए, तो अपने Cash Flow का ध्‍यान जरूर रखें। यानी सबसे पहले आप इसी बात का निर्णय करें कि आपके पास प्रतिमाह इतना पैसा आता है, कि आप अपना Home Budget बना सकें अथवा आप कोई ऐसा काम करते हैं, जिसमें आपको Project पूरा होने के बाद ही पैसा मिलता है। यदि आपको अपना Project पूरा करने के बाद ही पैसा मिलता हैै, तो इस बात का अनुमान लगाईए कि आपका प्रत्‍येक Project औसतन कितने समय में पूरा होता है और उसी अवधि के आधार पर अपना Home Budget बनाईए।
उदाहरण के लिए यदि आप एक Contractor (ठेकेदार) हैं और आपको अपना प्रत्‍येक Contract पूरा करने में औसतन 3 महीने का समय लगता है, तो आपको अपना Home Budget तीन महीने की अवधि के लिए बनाना चाहिए क्‍योंकि आपका Cash-Flow, Quarterly Basis पर होता है। लेकिन यदि आपको अपना प्रत्‍येक Contract पूरा करने में औसतन 1 महीना ही लगता है, तो आपको अपना Home Budget एक महीने की अवधि के लिए ही बनाना चाहिए जबकि यदि आपका Cash-Flow Half-Yearly Basis पर होता है, तो आपको अपना Home Budget भी छमाही आधार पर ही बनाना चाहिए।
कई लोग इस बात का तो पूर्ण रूप से अंदाजा लगा लेते हैं कि उनकी आय कितनी है, महीने भर में कितनी Salary आने वाली है, अन्‍य माध्‍यमों से कितना पैसा आने वाला है और उसके सामने कौन-कौन से खर्चें होने वाले हैं, लेकिन जब वे खर्चा करने जाते हैं, तो अपने साथ नकद ले जाने के बजाय Credit Card ले लेते हैं, ये सोचकर कि बजट में तो सिर्फ Cash का ही लेन-देन लिखा जाता है और Credit Card से किए जाने वाले खर्चों को बजट में शामिल करना जरूरी नहीं है।
लेकिन ऐसा नहीं है। बजट में केवल Cash का लेन-देन ही शामिल नहीं किया जाता, बल्कि बजट में सभी प्रकार के आय और व्‍यय को शामिल किया जाता है, चाहे वे Cash, ATM Card, Debit Card, Credit Card, Cash Card या Net Banking किसी भी प्रकार से क्‍यों न किए गए होंं।
इसलिए आप यदि विभिन्‍न प्रकार के खर्चों का Payment करने के लिए Credit Card का इस्‍तेमाल काफी ज्‍यादा करते हैं, तो एक बात का ध्‍यान रखिए कि चाहे आपकी आय या व्‍यय Cash में हो या फिर Card के माध्‍यम से, Home Budget बनाते समय इन दोनों का Proper हिसाब रख कर ही बजट बनाए अन्‍यथा बजट बनाने के बावजूद भी आपके लिए उसका कोई फायदा नहीं निकलेगा और बजट की पूरी Exercise Fundamentally ही Fail हो जाएगी।

दशकों बाद भी क्‍यों गरीब है स्‍वतंत्र भारत?

दशकों बाद भी क्‍यों गरीब है स्‍वतंत्र भारत?


  • ऐसा क्‍यों है कि भारत को आजादी मिले 60 साल से ज्‍यादा बीत जाने के बावजूद अभी भी भारत के ज्‍यादातर लोग गरीब हैं?
  • ज्‍यादातर भारतीय लोग जिन्‍दगी भर जी-तोड़़ मेहनत करने के बावजूद भी हमेंशा आर्थिक तंगी से क्‍यों जूझते रहते हैं?
  • आखिर क्‍यों जब उन्‍हें पैसों की बेहद ज्‍यादा जरूरत होती है, तब जिन्‍दगीभर मेहनत-मजदूरी करने के बावजूद भी उन्‍हें कर्ज लेना पड़ता है?
  • आखिर क्‍यों अमीर, और अमीर होता जा रहा है और गरीब, और गरीब?
  • आखिर क्‍यों आम आदमी अपनी छोटी-छोटी मामूली सी जरूरतों को पूरा कर पाने में भी परेशानी महसूस करता है?
  • आखिर क्‍यों जिस गति से महंगाई बढ़ती है, उसी गति से आम आदमी की Income क्‍यों नहीं बढ़ती?
  • आखिर क्‍यों एक व्‍यक्ति किसी वस्‍तु को खरीदने के लिए दिन-रात मेहनत करके पैसे इकट्ठा करता है, लेकिन फिर भी वह उस वस्‍तु को कभी नहीं खरीद पाता, जिसके लिए उसने दिन-रात जी-तोड़ मेहनत करके पैसा इकट्ठा किया होता है?
इन सभी सवालों का सिर्फ एक ही जवाब है और वो है वित्तीय साक्षरता (Financial Literacy) की कमी।
अगर एक भिखारी को भी Financial Literacy समझ में आ जाए, तो वह भी अमीर बन सकता है, फिर पढ़े‍-लिखे समझदार लोग कैसे गरीब रह सकते हैं।
यदि आप इस बात को समझ लें कि आपका पैसा कैसे काम करता है, तो आपको अमीर होने से कोई नहीं रोक सकता क्‍योंकि तब आप पैसे के लिए काम नहीं करेंगे बल्‍ि‍क पैसा आपके लिए काम करेगा। आप पैसे के लिए नौकरी नहीं करेंगे, बल्कि पैसा, आपके लिए नौकरी करेगा। आप पैसे के लिए Business नहीं करेंगे, बल्कि पैसा आपके लिए Business करेगा।

लेकिन ऐसा केवल तभी हो सकता है, जबकि आप ये बात समझ पाऐं कि पैसा वास्‍तव में काम कैसे करता है और पैसे के काम करने के तरीके को समझना ही Financial Literacy है।
आप चाहे जितने भी Talented क्‍यों न हो, आप किसी Multi-National Company में चाहे जितनी High Salary Job में ही क्‍यों न हों, या आपका स्‍वयं का चाहे कितना भी बड़ा Well Established Business ही क्‍यों न हो, यदि आप Financially Literate नहीं हैं, तो आप कभी Financial Freedom प्राप्‍त नहीं कर सकते। आपका Future कभ्‍ाी भी Financially Secure नहीं हो सकता और आपको हमेंशा पैसों के लिए काम करना पडे़गा क्‍योंकि आप कभी भ्‍ाीअपने पैसाें को अपने लिए काम नहीं करवा पाऐंगे।
किसी न किसी तरह का काम सभी करते हैं और कम या ज्‍यादा, पैसा सभी कमाते हैं। महत्‍वपूर्ण ये नहीं है कि आप कितना कमाते हैं, महत्‍वपूर्ण ये है कि आपको पैसों के काम करने की समझ है या नहीं। यदि आप जानते हैं कि पैसा कैसे काम करता है, तो आप उसे Control कर सकते हैं, उसे उस तरह से काम करवा सकते हैं, जिस तरह से आप चाहते हैं। लेकिन यदि आप 98% अन्‍य भारतीयों की तरह ही पैसों को नहीं समझते, तो फिर पैसा आपको Control करता है और आप हमेंशा वैसे जीने पर मजबूर होते हैं, जैसा वे 2% लोग चाहते हैं, जो 98% पैसा कमाते हैं।

हमारे देश का 98% पैसा केवल 2% अम्‍बानी, अड़ानी, मित्तल, बजाज, टाटा जैसे उन लोगों के पास है जिन्‍हें हम अमीर कहते हैं और उनके द्वारा छोड़ दिया गया 2% पैसा, उन 98% भारतीयों के पास है, जिन्‍हें हम गरीब कहते हैं। वे ही 2% गरीब लोग सरकारें बनाते हैं, और उन्‍हीं 2% गरीब लोगों के लिए सरकारें सैकड़ों तरह की योजनाऐं बनाती हैं, लेकिन सच्‍चाई यही है कि केवल 2% पैसों के आधार पर चाहे जितनी योजनाए बन जाऐं, वे 98% भारतीय गरीब ही रहेंगे, क्‍योंकि 2% धन से आप 98% चीजें नहीं खरीद सकते। इसलिए मूलत: ये 2% अमीर लोग ही तय करते हैं कि बाकी के 98% गरीबों की जेब में कितना पैसा जाएगा।
लेकिन सवाल ये है कि ऐसा क्‍यों है? क्‍यों हमारे देश का 98% पैसा केवल 2% अमीर लोगों के पास ही है?
ऐसा केवल इसलिए है क्‍योंकि ये 2% लोग Financially Literate हैं। इन्‍हें पता है कि पैसा कैसे काम करता है, इसलिए ये लोग पैसे को अपने लिए काम करवाते हैं, न कि स्‍वयं पैसे के लिए काम करते हैं।

क्‍या आपने कभी सुना है कि किसी अमीर व्‍यक्ति ने अपने Financial Future को Secure करने के लिए अपनी Savings को Fixed Deposit Account में जमा करवाया?
मुझे विश्‍वास है कि आपने ऐसा कभी नहीं सुना होगा। लेकिन आपने बार-बार ये सुना होगा कि उस फलाने अमीर व्‍यक्ति ने वो नया Business Setup करने के लिए बैंक से इतने करोड़ का Loan लिया।
बस यही फर्क है अमीर और गरीब में। गरीब Saving करके बैंक में जमा करता है और अमीर उसी Saving को Loan के रूप में लेकर उसी गरीब के लिए नौकरी Create करता है।

सपने साकार करने हैं, तो अपने घर का मासिक बजट बनाईए

सपने साकार करने हैं, तो अपने घर का मासिक बजट बनाईए


  • आपके सपने साकार होने से क्‍यों रह जाते हैं?
  • क्‍यों आप कोई वस्‍तु खरीदना चाहते हैं लेकिन उसके लिए आपके पास कभी पर्याप्‍त पैसे नहीं बचते?
  • क्‍यों हमेंशा आपकी आमदमी से आपके खर्चे ज्‍यादा रहते हैं, चाहे आपकी Salary कितनी ही क्‍यों न बढ़ जाए।
  • क्‍यों आप अपनी छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्ज लेने पर मजबूर हो जाते हैं?
  • क्‍यों आप हमेंशा आर्थिक तंगी से घिरे रहते हैं?
यदि पर्याप्‍त मासिक आय होने के बावजूद भी अक्‍सर अाप स्‍वयं को आर्थिक तंगी से बेहद परेशान पाते हैं तो निश्चित रूप से आप कहीं तो गलती कर रहे हैं और आप एक बहुत ही मामूली सी गलती कर रहे हैं।
आप अपनी जरूरतों और इच्‍छाओं में फर्क नहीं कर पा रहे हैं।
आप अपनी इच्‍छाओं की पूर्ति करने के लिए इतना खर्च कर देते हैं कि अपनी जरूरतों की पूर्ति करने के लिए आपके पास कुछ बचता ही नहीं है। फिर उन जरूरतों को पूरा करने के लिए या तो आप कर्ज लेते हैं या फिर आप अपनी उन जरूरतों के साथ समझौता करते हैं, अपने मन को मारते हैं और आर्थिक स्थिति अच्‍छी होने पर उन जरूरतों को कभी भविष्‍य में पूरा करने के लिए स्‍थगित (Postpone) करते हैं।

जबकि सच्‍चाई ये है कि जब आप पर्याप्‍त मासिक आय प्राप्‍त करने के बावजूद अपनी जरूरतों को वर्तमान में पूरा नहीं कर पा रहे हैं, तो भविष्‍य में कैसे कर पाऐंगे क्‍योंकि आपका भविष्‍य भी तो वर्तमान बनकर ही आपके सामने आएगा।
यानी यदि सरलतम शब्‍दों में कहें तो आप हमेंशा आर्थिक तंगी से परेशान रहेंगे, फिर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी मासिक आय 10 हजार है या 10 लाख, क्‍योंकि आपकी आर्थिक तंगी का मुख्‍य कारण आपके मासिक आय की कमी नहीं है, बल्कि आप द्वारा अपनी इच्‍छाओं व जरूरतों की पूर्ति के लिए किए जाने वाले खर्चों के बीच अन्‍तर न कर पाने की कमी है।
यदि आप समझ लें कि आप द्वारा किए जाने वाले खर्चें आपकी जरूरतों काे पूरा कर रहे हैं या आपकी इच्‍छाओं काे, तो आप आसानी से तय कर सकेंगे कि आपको कौनसे खर्चे प्राथमिकता के साथ करने चाहिए और कौनसे खर्चों में कटौती करनी चाहिए, ताकि आपकी जरूरतें आसानी से पूरी हो सकें।

अब सवाल ये है कि आप पता कैसे लगाऐंगे कि आप जो खर्चे कर रहे हैं, वो आपकी जरूरत से सम्‍बंधित हैं या आपकी किसी इच्‍छा से?
क्‍योंकि सामान्‍यत: आपको हमेंशा यही लगता है कि आप कभी फिजूल खर्ची करते ही नहीं बल्कि केवल अपनी जरूरते पूरी करने के लिए ही खर्च करते हैं, लेकिन यदि आप पर्याप्‍त मासिक आय प्राप्‍त करने के बावजूद आर्थि‍क तंगी महसूस करते हैं, तो निश्चित रूप से आप अपनी जरूरतों को पूरा करने से ज्‍यादा अपनी इच्‍छाओं को पूरा करने के लिए खर्च कर रहे हैं।
इस बात का पता लगाना काफी आसान है कि आपके कौनसे खर्चे आपकी जरूरतों को पूरा करने से सम्‍बंधित हैं और कौनसे आपकी इच्‍छाओं को?

यदि आप जिस चीज को प्राप्‍त करने के लिए खर्च करने जा रहे हैं, उस चीज के बिना भी आने वाले कुछ समय तक अपना काम चला सकते हैं, तो सम्‍भवत: आप अपनी किसी इच्‍छा को पूरा करने के लिए खर्च करने जा रहे हैं, क्‍योंकि जरूरतों से सम्‍बंधित खर्चों को Postpone (स्‍थगित) नहीं किया जा सकता।
उदाहरण के लिए यदि आपको नया Mobile Phone लेना चाहते हैं, तो एक स्थिति में आप द्वारा Mobile Phone के लिए किया जाने वाला खर्च, आपकी जरूरत हो सकता है, जबकि दूसरी स्थिति में वही खर्च, आपकी इच्‍छा भी हो सकता है।
कैसे?

महंगाई से बचना है, तो Home Budget बनाईए।

महंगाई से बचना है, तो Home Budget बनाईए।


What is the Purpose of a Budget – जो व्‍यक्ति बजट बना लेते हैं, उन्‍हे एक तरह से अपने Financial Future की Advance Planning करने में मदद मिल जाती है। अर्थात् उन्‍हे इस बात का पता चल जाता है कि उन्‍हे भविष्‍य में कब और क्‍या Financial Goal Achieve करना है, उस Goal को Achieve करने के लिए उन्‍हें आय कहाँ से और कितनी प्राप्‍त होगी, फिर उस आय को किस तरह से निवेश (Invest) करके ज्‍यादा से ज्‍यादा Profit कमाना है, ताकि भविष्‍य के उस Goal को समय रहते हासिल किया जा सके।
क्‍योंकि जो व्‍यक्ति बजट बनाते हैं, उन्‍हे अपनी आर्थिक स्थिति के बारे में इस बात का अंदाजा हो जाता है कि उनके पास जो आय हो रही है, कहीं उससे ज्‍यादा तो उनके खर्चें नहीं है, अर्थात् उनकी Financial Condition घाटें में तो नहीं है और यदि उनकी Financial Condition घाटे में चल रही हो, तो वे समय रहते उस पर Control करने की स्थिति में होते हैं।
बजट के अनुसार काम करने वाले व्‍यक्ति को अपने खर्च की प्राथमिकता तय करना आसान हो जाता है क्‍योंकि उन्‍हे इस बात का पता होता है कि उनकी आय कहाँ से व कितनी हो रही है एवं उनकी आय के सामने उनके खर्चें कौनसे और कितने हैं। अगर खर्चों का आय पर आधिक्‍य है, तो वे उन खर्चों को प्राथमिकता दे सकते हैं जो ज्‍यादा जरूरी है और जिनके बिना रहना नामुमकिन है। साथ ही उन्‍हें अपने गैरजरूरी खर्चों के बारे में पता चल जाता है जिनमें कटौती करके वे अपने जरूरी खर्चों को बेहतर तरीके से Manage कर पाते हैं।

बजट बनाने का सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि बजट बनाकर काम करने वाला व्‍यक्ति बचत करने के बारे में सोंचने लगता है, बचत करने की कोशिश करने लगता है और Financially Literate होकर वह उस बचत को किसी अच्‍छी जगह निवेश (Invest) करने की Planning कर सकता है, जिससे वह अपनी इच्‍छानुसार अपना Financial FutureFinancial Freedom का समय यानी अपने Financial Retirement का समय तय करता है।
ऐसे व्‍यक्ति जो किसी Professional काम में लगे हुए हैं, उनको बजट बनाने से अपनी आमदनी और खर्च का सही अंदाजा मिल जाता है, जिससे वे अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकते हैं।
बजट बनाने से न केवल नौकरीपेशा, व्‍यवसायी लोगों को ही फायदा होता है, बल्कि बजट बनाने से घरेलू महिलाओं को घर चलाने में भी बहुत सहायता मिलती है। क्‍योंकि बजट के माध्‍यम से उन्‍हे इस बात का अंदाजा रहता है कि उन्‍हें घर चलाने के लिए प्रतिमाह कितने रूपए दिए जाते हैं, और किस तरह से उसका सही जगह पर सही सामान खरीदने के लिए उपयोग करना है।

बचपन में ही डालें बजट बनाने की आदत

बजट केवल बड़ों को ही बनाना चाहिए, ऐसा नहीं है बल्कि बजट बनाने की कला बच्‍चों को बचपन से ही सिखाई जानी चाहिए, ताकि वे बच्‍चे, जो बहुत अधिक पैसे खर्च करते हैं, वे भी पैसों के महत्‍व को समझ सकें व जान सकें कि अपनी Pocket Money को वे जिस तरह की चीजों के लिए खर्च करते हैं, वे चीजें उनके लिए जरूरी हैं या गैरजरूरी।
यानी आप यदि अपने बच्‍चों को प्रतिमाह Pocket Money के रूप में कुछ Amount देते हैं, तो उनसे उनके द्वारा किए जाने वाले खर्चों का पूरा लेखा (Account) मांगिए और अगली Pocket Money Installment तभी दीजिए, जबकि वे अपनी पिछली Pocket Money के सम्‍पूर्ण खर्च का उपयुक्‍त ब्‍यौरा दें। साथ ही अगली Pocket Money Installment देने से पहले आप स्‍वयं उस लेखा को Check कीजिए और उसमें जो भी खर्चे आपको गलत लगें, उनके बारे में अपने बच्‍चों को Guide कीजिए कि किस तरह से उस गलत खर्च से बचा जा सकता था।
यदि आप ऐसा करेंगे, तो आपके बच्‍चे अपनी Pocket Money खर्च करते समय इस बात का ध्‍यान रखेंगे कि उन्‍हें अगली Pocket Money प्राप्‍त करने के लिए हिसाब देना पड़ेगा। परिणामस्‍वरूप वे स्‍वयं सही व गलत खर्चों के बारे में समझने लगेंगे और आप अपने बच्‍चों को बचपन से ही अप्रत्‍यक्ष रूप से Financially Educate करने में अपना महत्‍वपूर्ण Role Play करेंगे, जो कि वर्तमान समय में भारत के लगभग 99.99% लोग नहीं करते।
यदि किसी महीने आपके बच्‍चे आपसे Pocket Money से ज्‍यादा पैसों की मांग करते हैं, तो उन्‍हें वो पैसा कर्ज के रूप में दीजिए, और अगली Pocket Money Installment देते समय उतना पैसा कम दीजिए, जो आपने कर्ज के रूप में उन्‍हें Advance दे दिया है। यदि आप ऐसा करेंगे, तो पैसों के सम्‍बंध में आपके बच्‍चों की समझ बढ़ेगी और भविष्‍य में जब वे बड़े होंगे, तब भी उन्‍हें इस बात का पता रहेगा कि यदि उन्‍होंने अपनी आय से अधिक खर्च किया, तो उन्‍हें कर्ज लेना पड़ेगा और अगले महीने उस कर्ज को चुकाना भी पड़ेगा जिससे उनका अगला महीना और अधिक आर्थिक तंगी में गुजरेगा।
इस तरह से बजट के माध्‍यम से बच्‍चों को अपनी Pocket Money की Planning करने में मदद मिलेगी जो जिन्‍दगीभर उन्‍हें Personal Financial Management करने में मदद करेगी।

सबसे पहले आय-व्‍यय का दैनिक-हिसाब लिखना शुरू कीजिए।

सबसे पहले आय-व्‍यय का दैनिक-हिसाब लिखना शुरू कीजिए।

 सामान्‍यत: लोग अपनी जरूरत व सुविधानुसार साप्‍ताहिक, मासिक, त्रैमासिक या वार्षिक बजट बनाते हैं लेकिन जब बात Home Budget की होती है, तब मासिक बजट बनाना ही ठीक रहता है क्‍योंकि ज्‍यादातर लोग किसी न किसी तरह से नौकरीपेशा होते हैं, जिन्‍हें महीने में केवल एक बार Salary मिलती है और इसी Salary को Manage करते हुए न केवल दैनिक जीवन की जरूरतों को पूरा करना होता है, बल्कि भविष्‍य के लिए बचत भी करनी होती है।
Home Budget बनाना काफी आसान है लेकिन Budget बनाने से पहले ये जानना जरूरी होता है कि प्रतिमाह किन-किन मदों के लिए लगभग कितना खर्च करना पड़ता है और विभिन्‍न तरीकों से कुल कितनी मासिक आय होती है।
जब एक बार आप अपने सभी प्रकार की मासिक आय व व्‍ययों का हिसाब रखना शुरू करते हैं, तो धीरे-धीरे आपको समझ में आने लगता है कि आपकी कुल मासिक आय कितनी है और आप किन मदों पर कितना खर्च कर रहे हैं और जिन चीजों के लिए आप अधिक खर्च कर रहे हैं, वो आपकी जरूरतों से सम्‍बंधित हैं या आपकी इच्‍छाओं से।

परिणामस्‍वरूप अपनी इच्‍छाओं (Wants) से सम्‍बंधित खर्चों में कमी करके आप अपनी जरूरतों (Needs) को पूरा करने से खर्चों को आसानी से वहन करने में सक्षम हो जाते हैं, जिससे आपकी जिन्‍दगी तुलनात्‍मक रूप से आसान हो जाती है क्‍योंकि आप अपने दैनिक जीवन के आय-व्‍यय के आधार पर अपनी विभिन्‍न प्रकार की NeedsWants को पहचान पाते हैं और उन्‍हें पूरा करने के लिए अपनी सुविधानुसार एक उपयुक्‍त धनराशि का आवंटन (Fund Allocation) कर सकते हैं, जिसे Budgeting करना कहते हैं।
यानी आप प्रतिमाह आपके दैनिक जीवन में विभिन्‍न प्रकार की Needs and Wants को पूरा करने हेतु किए जा सकने वाले खर्च के लिए अधिकतम Amount का Allocation कर सकते हैं और किसी Specific मद के लिए अधिकतम सम्‍भव Amount को Allocate करने की प्रक्रिया को ही Budget बनाना कहते हैं।
उदाहरण के लिए मान लीजिए कि आपको हर महीने अपने Bike में पेट्रोल भरवाने के लिए 1000 रूपए खर्च करने पड़ते हैं, तो आप महीने की शुरूआत में ही तय कर सकते हैं कि कम से कम 1000 रूपए तो आपको अलग रखने ही हैं ताकि Bike में पेट्रोल भरवाने के लिए आपको किसी से उधार न लेना पडे़। इस तरह से आप अपने अगले महीने के लिए पेट्रोल खर्च का बजट 1000 रूपए तय कर देते हैं। इसी प्रकार से यदि आपके घर में प्रतिमाह 1500 रूपए का दूध आता है, तो महीने की शुरूआत में ही आप अपनी Salary से 1500 रूपए दूध खर्च के लिए अलग रख देते हैं, जिसका मतलब ये है कि आपने दूध खर्च के लिए 1500 रूपए का बजट तय किया।
सरल शब्‍दों में कहें, तो आप अपनी विभिन्‍न प्रकार की Needs and Wants को पूरा करने हेतु प्रत्‍येक मद के लिए प्रतिमाह जितना Amount Allocate करते हैं, उसे ही बजट बनाना या बजट तय करना कहते हैं। लेकिन विभिन्‍न प्रकार की Needs and Wants के लिए आपको कितना Budget Allocate करना है, इस बात का पता आपको तभी चल सकता है, जबकि आप जानते हों कि किस जरूरत या इच्‍छा को पूरा करने के लिए प्रतिमाह आपको कितना खर्च करना पड़ता है और ये जानकारी आपको तभी प्राप्‍त हो सकती है, जबकि आप आपके दैनिक जीवन में प्रतिदिन होने वाले विभिन्‍न प्रकार के आय व व्‍यय का हिसाब रखें। इसलिए बजट बनाने की शुरूआत हमेंशा दैनिक हिसाब रखने से होती है।
दैनिक-हिसाब लिखने के लिए आप एक Simple सी Notebook ले लीजिए और Daily Diary की तरह हर रोज रात को सोने से पहले सारे दिन में होने वाले विभिन्‍न प्रकार के खर्चों को Date wise Note करते रहिए। बेहतर यही है कि आप महीने की शुरूआत यानी पहली तारीख से खर्चों का हिसाब लिखना शुरू कीजिए और जब महीना पूरा हो जाए, तब महीने की आखिरी तारीख तक होने वाले सभी खर्चों को जोड़ लीजिए। ठीक इसी तरह से पूरे महीने में अलग-अलग तरीकों से होने वाली सभी प्रकार की आय को भी Note करते रहिए और महीने के अन्‍त में उन सभी प्रकार की अायों को भी जोड़ लीजिए।
इस तरह से एक महीने में आपकी कुल आय व व्‍यय कितनी होती है, इसका एक मोटा-मोटा अन्‍दाज आपको हो जाएगा। लेकिन केवल एक महीने के आय-व्‍यय के आधार पर Monthly Budget का अनुमान लगाना सही नहीं है क्‍योंकि कई बार किसी महीने में कोर्इ त्‍यौहार आ जाता है, अथवा अचानक कोई घटना-दुर्घटना हो जाती है, किसी Relative की शादी-ब्‍याह या Retirement जैसे किसी Function को Attend करना पड़ जाता है, कोई महॅंगा Gift देना पड़ जाता है, जिसकी वजह से कुछ Extra खर्च हो जाता है, लेकिन ये ऐसे खर्चे होते हैं, जो हर महीने नहीं होते।
इसी तरह से सामान्‍यत: यदि आपके पास दो घर हैं और अपने दूसरे घर को आपने किराए पर दे रखा है जिससे आपकी कुछ Extra Income होती है लेकिन आप उस घर का किराया त्रैमासिक तरीके से वसूल करते हैं, अथवा आपने बैंक में कुछ पैसे जमा करवा रखे हैं, जिस पर आपको Half Yearly Basis पर Interest प्राप्‍त होता है, तो इस तरह से त्रैमासिक या छमाही स्‍तर पर प्राप्‍त होने वाली सभी प्रकार की आय काे आप अपने एक ही महीने के आय-ब्‍यय ब्‍यौरे (Budget) में Include नहीं कर सकते।
अत: अपने लगभग सभी प्रकार की आय व सभी प्रकार के व्‍ययों का ठीक-ठाक अन्‍दाजा लगाने के लिए आपको कम से कम 3 से 6 महीने का दैनिक-हिसाब Note करना चाहिए, ताकि आपके आय-व्‍यय ब्‍यौरे (Budget) में न केवल आपकी लगभग सभी प्रकार की आय सम्मिलित हो, बल्कि लगभग सभी प्रकार के खर्चों का भी आपको अन्‍दाजा रहे।
जब एक बार आपके पास पिछले 3 से 6 महीनों के सभी प्रकार की आय (Income) व सभी प्रकार के खर्चों (Expenses) का ब्‍यौरा तैयार हो जाता है, तब आप बड़ी ही आसानी से अपनी सभी प्रकार की Incomes व सभी प्रकार के Expenses को जाेड़कर इस बात का पता लगा सकते हैं कि आपकी आर्थिक स्थिति (Financial Situation) कैसी है और जिस तरह की जिन्‍दगी आप जी रहे हैं, उससे आपका आर्थिक भविष्‍य (Financial Future) क्‍या होगा।
यानी यदि आपकी मासिक आमदनी मात्र 10000 रूपए प्रतिमाह तथा अन्‍य माध्‍यमों से होने वाली आपकी औसत मासिक आय लगभग 2000 रूपए प्रतिमाह है, तो तीन महीने में आपकी कुल आय लगभग 36000 रूपए होगी। जबकि तीन महीनों का आपका सम्‍पूर्ण व्‍यय भी यदि लगभग 36000 रूपए ही हो, तो उस स्थिति में आप ये मान सकते हैं कि 5 साल बाद भी यदि आप इसी तरह के Living Standard को Maintain रखते हुए जीना चाहते हैं, तो 5 साल बाद भी आपको हर रोज ठीक उसी तरह से काम करना होगा, जिस तरह से आज कर रहे हैं और आप समझ ही सकते हैं कि जितनी मेहनत आप आज कर सकते हैं, उतनी 5 साल बाद नहीं कर सकेंगे क्‍योंकि धीरे-धीरे आपके शरीर की ताकत कम होती जाएगी।
यानी आपकी उम्र जैसे-जैसे बढ़ती जाएगी, आपके पैसा कमाने की क्षमता तो कम होती जाएगी, लेकिन महंगाई बढ़ते जाने के कारण आज जैसा ही Living Standard Maintain रखने के लिए आपको आज की तुलना में 5 साल बाद अधिक खर्च करना पड़ेगा, जिसके लिए या तो आपको कर्ज लेना पड़ेगा या फिर अपने Living Standard को Down करना पड़ेगा और दोनों ही स्थितियां आपके Financial Freedom वाले Future के लिए ठीक नहीं हैं।
जबकि यदि आपका त्रैमासिक खर्च 36000 के बजाय 30000 रूपए ही हो, तो उस स्थिति में आप ये मान सकते हैं आपका औसत मासिक खर्च, आपकी औसत मासिक आय से लगभग 2000 रूपए प्रतिमाह कम है और यदि आप इसी 2000 रूपए प्रतिमाह को बचा लेते हैं, तो 5 साल (5 x 12 = 60 Months) बाद आपके पास कम से कम 1.2 लाख रूपए की बचत रहेगी जबकि यदि अाप इसी 2000 रूपए को प्रतिमाह 7.5% की ब्‍याज दर से किसी Bank के RD Account में Deposit करते हैं, तो 5 साल बाद आपके पास लगभग 145779 रूपए होंगे। परिणामस्‍वरूप महंगाई बढ़ने के बावजूद आप 5 साल बाद भी अपने उसी Living Standard को ज्‍यादा आसानी से Maintain रखने में सक्षम होंगे, जिसे आप आज Maintain कर रहे हैं।
लेकिन यदि आपकी कुल त्रैमासिक आय तो 36000 ही है, परन्‍तु आपका कुल त्रैमासिक खर्च 42000 रूपए हो, तो उस स्थिति में आप समझ सकते हैं कि आपको आपका Current Living Standard Maintain रखने के लिए भी प्रतिमाह 2000 रूपए का Directly/Indirectly कर्ज लेना पड़ रहा है और आप किसी भी तरह से 5 साल बाद अपने Current Living Standard को Maintain नहीं रख सकते, क्‍योंकि 5 साल बाद तक इसी Living Standard को Maintain रखते हुए आप कम से कम 229485 रूपए के कर्जदार हो चुके होंगे क्‍योंकि Bank आपको अपने Deposit पर सालाना 7.5% ब्‍याज देता है, लेकिन यदि आप किसी अन्‍य Financial Institution (साहूकार) से कर्ज लेते हैं, तो वो आपको कम से कम 2% प्रतिमाह यानी 24% सालाना चक्रवृद्धि की दर से कर्ज देता है और प्रतिमाह 2000 रूपए पर 2% चक्रव‍ृद्धि ब्‍याज की दर से 5 साल तक आप कुल 1.2 लाख रूपए कर्ज ले चुके होंगे, जो ब्‍याज सहित लगभग 229485 रूपए हो जाएेंगे, जिसे आप कभी भी चुका नहीं पाऐंगे।
अब आप आज जिस तरह की जिन्‍दगी जी रहे हैं, उसके अनुसार आप औसतन प्रतिमाह 2000 रूपए की बचत कर रहे हैं या 2000 रूपए प्रतिमाह के कर्ज में डूब रहे हैं, इस बात का पता आपको केवल तभी चलेगा, जबकि आप कम से कम अपने 3 महीने के आय-व्‍यय काे बिना आलस किए हुए Note करें।
आपका आर्थिक भविष्‍य (Financial Future) क्‍या होगा, आप भविष्‍य में अपने Current Living Standard को Maintain रख पाऐंगे या धीरे-धीरे अधिक कर्जदार होते जाऐंगे, आप भविष्‍य में अपने सपनों को पूरा कर पाऐंगे या कर्जदारों से मुँँह छिपाते हुए भागते फिरेंगे, इन सभी सवालों का जवाब आपके केवल तीन महीने का दैनिक-हिसाब यानी आय-व्‍यय का ब्‍यौरा दे देगा।
लोग इसलिए गरीब नहीं रह जाते, क्‍योंकि वे गरीब घर में पैदा हुए होते हैं, बल्कि जन्‍मजात अमीर भी इसलिए गरीब हाे जाते हैं, क्‍योंकि Highly Educated होने के बावजूद वे Financially Illiterate (वित्तीय रूप से निरक्षर) होते हैं और आप Financially Educated हैं या Financially Illiterate, ये बात इसी तथ्‍य पर निर्भर करता है कि आप अपने सभी प्रकार की आय व व्‍ययों का दैनिक-हिसाब रखते हैं या नहीं।
यदि आप अपने सभी प्रकार के आय-व्‍यय का दैनिक-हिसाब रखते हैं, तो आपके Current Living Standard के आधार पर आपको पता होता है कि आपका Financial Future कैसा होगा, परिणामस्‍वरूप आप समय रहते सही निर्णय लेते हैं, गलतियों को सुधारते हैं, गलत खर्चों को रोकते हैं, नए आय के साधन बनाते हैं और अपने Financial Freedom की ओर बढ़ते हैं, जबकि यदि आप अपने किसी भी प्रकार के आय-व्‍यय का हिसाब नहीं रखते, बल्कि अपनी इच्‍छाओं और जरूरतों में फर्क किए बिना जैसा चाहते हैं, वैसा जीते हैं, तो आपको कभी अन्‍दाजा ही नहीं होता कि आप किस Financial Future की ओर बढ़ रहे हैं। परिणामस्‍वरूप यदि आप धीरे-धीरे Financially कमजोर भी होते जा रहे हों, तब भी आप समय रहते कोई उपाय नहीं कर पाते।
जब एक बार आपको अपने दैनिक-हिसाब के माध्‍यम से आपको पता चल जाता है कि किस Want व Need को पूरा करने के लिए आपको औसतन कितने रूपयों की जरूरत होती है और विभिन्‍न तरीकों से आपको प्रतिमाह औसतन कितनी आय होती है, तो आप बड़ी ही आसानी से ये तय करने में सक्षम हो जाते हैं कि किस Need के लिए आपको प्रतिमाह कितना खर्च करना जरूरी होता है ताकि एक सामान्‍य जिन्‍दगी जी जा सके और सभी प्रकार की Needs को पूरा करने से सम्‍बंधित अधिकतम पर्याप्‍त धनराशि का Allocation करने (बजट बनाने) के बाद आपकी कुल आय में से जो बचता है, उसे आप अपने Wants को पूरा करने के लिए Budget कर सकते हैं।
Budget बनाने से सम्‍बंधित कुछ और बातों को हम अगले Article में थोड़ा और विस्‍तार से जानने की कोशिश करेंगे, ताकि अपने जीवनस्‍तर को सुधारने और Financially Secured Future बनाने के लिए आप न केवल अपने आय-व्‍यय के बीच संतुलन रख सकें बल्कि भविष्‍य को सुरक्षित करने के लिए कुछ बचत करने के बारे में भी सोंच सकें।

POS Machine – What is a POS Machine

क्‍या होती है POS Machine – What is a POS Machine

 

What is a POS Machine – Point of Sale Machine को ही POS Machine के नाम से भी जाना जाता है। यह Machine एक Electronic Device होती है जो हमारे ATM Card, Debit Card, Credit Card के जरीऐ किसी भी व्‍यक्ति से Payment Accept करने का काम करती है।

Advantage of POS Machine

POS Machine के बहुत से लाभ हैं जैसे:-
  • Customers को अपने पास Cash रखने की आवश्‍यकता नहीं होती।
  • छुट्टे पैसों (Change) का झंझट नहीं रहता।
  • भारत को Cash Less बनाने में सहायक।
  • Corruption को रोकने में सहायक।
  • Black Money को रोकने में सहायक।
  • सारा Payment Online होता है, इसलिए Tax चोरी नहीं होती जिससे भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को फायदा होता है।
  • Currency बन्‍द होने पर भी व्‍यापार करने में सहायक होता है।
  • बिना Cash के व्‍यापार किया जा सकता है।

Disadvantage of POS Machine

प्रत्‍येक वस्‍तु के कुछ लाभ होते हैं, तो उसकी कुछ हानियाँ भी होती हैंं और POS Machine की भी कुछ हानियाँ हैं। जैसे-
  • इसे Use करना आसान है, लेकिन सभी Use नहीं कर पाते।
  • लोगों में ज्‍यादा लोकप्रिय नहीं है।
  • पैसों के Transaction में बहुत‍ ही सावधानी रखनी होती है।
  • Banks द्वारा Transaction पर Commission लगाया जाता है।
  • Banks द्वारा Commission Charge किया जाता है, जिसकी वजह से वस्‍तु की Rate में इज़ाफा होता है।
  • इसके लिए Bank में Account होना जरूरी होता है, क्‍योंकि यह Machine Bank Account से Bank Account में पैसों का Transaction करती है।

Use in Bank

सबसे पहले इस Machine का Use Banks में किया जाता था। आपने अक्‍सर देखा होगा कि Bank में Staff की कमी होने के कारण वहाँ लम्‍बी लाईन लग जाती है और Money Deposit करनी हो या फिर Money Withdraw करनी हो, हमें काफी देर तक Wait करना पड़ता है। इस समस्‍या से छुटकारा पाने के लिए Banks में POS Machine का Use किया जाने लगा।
POS Machine के आ जाने से Banks में लाईने लगनी कम हो गई। चाहे Bank में Staff हो या न हो, आपको अब लाईन में नहीं लगना पड़ता। यदि आपके पास ATM Card, Debit Card है तो आप बहुत ही असानी से Bank में अपने पैसे जमा करवा सकते हैं और निकलवा सकते हैं।
किसी-किसी Bank में इसे अलग से एक Window (एकल खिड़की) जिसे Counter भी कहते हैं, पर रखा जाता है, जहाँ आप जाकर अपने Card से Money Deposit कर सकते है या Withdraw कर सकते हैं परन्‍तु किसी-किसी Bank में इसके लिए एक Common Window ही Allot किया जाता है।
Common Window का मतलब ये होता है कि जहाँ बाकी लोग अपने पैसे को जमा करवाने या निकलवाने के लिए लाईन में खड़े होते हैं वहीं इस Machine को भी रख दिया जाता है क्‍योंकि इस Machine को Operate करने के लिए भी एक कर्मचारी की आवश्‍यकता होती है।

Use in Shopping Malls

Banks के बाद POS Machine का Use Shopping Malls में होने लगा क्‍योंकि Malls में लोग ज्‍यादा मात्रा में खरीददारी करते हैं और जब ज्‍यादा मात्रा में खरीददारी होती है तो Bills का Payment भी बड़ी मात्रा में करना होता है।
आज के समय में ज्‍यादातर लोगों के पास Credit या Debit Card उपलब्‍ध है जिससे वे अपने द्वारा कि गई खरीददारी का Payment आसानी से कर सकते हैं और एक मुख्‍य बात ये कि जबसे Credit Card और Debit Card का चलन प्रारम्‍भ हुआ है, लोग Cash लेकर चलना पसन्‍द ही नहीं करते।
इन सभी कारणों की वजह से ही Shopping Malls में POS Machines का प्रयोग अन्‍य स्‍थानों की तुलना में अधिक लोकप्रिय रहा है क्‍योंकि यहां आने वाले Customer, Cash की तुलना में Credit या Debit Card के माध्‍यम से अपने Bill का Payment करने में अधिक रूचि दिखाते हैं।

Use in Showroom

वर्तमान समय में ज्‍यादातर लोग नौकरीपेशा हैं और Company द्वारा उन्‍हें Payment Cash में न देकर उनके Account में Transfer कर दिया जाता है तथा अलग-अलग प्रकार के Credit Card (जैसे Platinum, Gold, Silver etc.) Company द्वारा ही दे दिये जाते हैं, जिससे वे अपने खर्चो को Credit Card द्वारा ही Pay करते हैं और इन Customers से Payment प्राप्‍त करने के लिए POS Machine ही सबसे ज्‍यादा उपयोगी माध्‍यम है। इसलिए Malls के बाद इस Machine का सर्वाधिक Use Showrooms में किया जाने लगा।
हालांकि अब जैसे-जैसे Cashless के प्रति जागरूकता बढ़ती जा रही है, छोटी-छोटी दुकानों में भी POS Machine का Use किया जाना आम बात होने लगी है।

Other Option For Payment

POS Machine के अलावा अपने Bills का Payment करने के लिए और भी कई तरीके हैं,  जैसे BHIM Mobile App के जरीए भी आप अपने Bills का Payment कर सकते हैं, *99# Ussd Code के जरीए भी Payment कर सकते हैं, Net Banking व Mobile Banking द्वारा Instant Payment Transfer Facility का Use करके भी अपने Bill का Payment तुरन्‍त भुगतान कर सकते हैं।

NET BANKING - नेट बैंकिंग के माध्यम से पैसे का ट्रांजैक्शन कैसे करते हैं

 
 
अगर आप नेट बैंकिंग के माध्यम से पैसे का ट्रांजैक्शन करते हैं तो RTGS, NEFT, IMPS के बारे में आपको जरूर मालूम होना चाहिये। धन राशि ट्रांजेक्सन के लिए आजकल व्यक्तियों द्वारा सोशल मीडिया और मोबाइल एपस का विकल्प लिया जा रहा है। किन्तु आपको यदि ज्यादा धन राशि का ट्रांजेक्सन करना है तो ऑन लाइन बैंकिग सुविधा का ही उपयोग करना चाहिये। नेट बैंकिंग से थर्ड पार्टी ट्रांसफर: जानें RTGS, NEFT, IMPS आरटीजीएस, एनर्इएफटी और आर्इएमपीएस धन राशि भेजने की तीन अलग-अलग प्रक्रिया हैं। इन तीनो प्रक्रियाओं से धन राशि का ट्रांजेक्सन हो जाता है। आर्इएमपीएस सेवाओं द्वारा कोर्इ भी व्यक्ति कहीं से और किसी भी समय फंड़ का तुरन्त ट्रांसफर कर सकता है। आरटीजीएस व एनइएफटीएस सेवाओं में अन्तर केवल सेटलमेंट के समय और धनराशि का ही होता है। रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट (आरटीजीएस ) ग्रास सेटलमेंट पर आधारित है, जिसके तहत धन राशि का स्थानान्तरण निर्देशों के तहत और निर्देशों के आधार पर होता है। नेशनल इलैक्ट्रोनिक फंड़ ट्रांसफर (एनइएफटी) एक इलैक्ट्रोनिक फंड ट्रांसफर सिस्टम है, जिसके विधान के अनुसार धन राशि का ट्रांसफर एक साथ नहीं, बैचेज में करने की व्यवस्था की जाती है। फंड को एनर्इएफटी और आरटीजीएस से ट्रांसफर करने के लिए क्या मूल जानकारी आवश्यक रहती है? कोर्इ व्यक्ति किसी अन्य व्यकित को फंड ट्रांसफर करता है उसके लिए उस व्यक्ति का बैंक अकाउंट नम्बर, बैंक की ब्रांच का आइएफसी कोड़, जहां फंड़ भेजा जाना है की जानकारी आवश्यक होती है। आरटीजीएस, एनइएफटीएस, और आइएमपीएस में क्या अंतर है? नेशनल इलैक्ट्रोनिक फंड की ऑन लाइन ट्रांसफर प्रक्रिया है, जिसे सरकारी वित्तीय संस्थान, जिनमें बैंक प्रमुख है द्वारा व्यवहार में लार्इ जाती है। इस प्रक्रिया को विविध फंड़ समझौतों (डीएनएस) है, जिसका मूल आधार है - फंड को ट्रसफर करने का समझौता होने पर इसे बैचेज में भेजा जाना है। एनइएफटी प्रक्रिया से फंड भेजने की कोर्इ सीमा नहीं होती है। यह ज्यादा या कम हो सकता है। ऐसे फंड़ को ट्रांसफर करने के लिए ही एनइएफटी सेवाएं व्यवहार में लार्इ जाती है। आरटीजीएस आरटीजीएस ग्रास सेटलमेंट आधारित प्रक्रिया हैं, जिसमें धन राशि का निर्देश प्रक्रिया के द्वारा तथा निर्देशन के तहत ट्रांजेक्सन किया जाता है। आरजीटीएस से धन राशि भेजने की सीमा न्यूनतम दो लाख से ऊपर और अधिकतम दस लाख तक होती है। आर्इएमपीएस आर्इएमपीएस तकनीक के तहत मोबाइल फोन का उपयोग करते हुए फंड़ का ट्रांसफर किया जाता है। कुछ चुने हुए बैंक इस तकनीक को अपनाने की अनुमति देते है, जिसमें प्रमुख है: आर्इसीआर्इसीआर्इ बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और एक्सिस बैंक है। बैंको द्वारा एक लिमिट तय कर दी जाती है, उसके अनुसार ही फंड़ का ट्रांसफर किया जाता है। उदाहरण के लिए आर्इसीआर्इसीआर्इ बैंक किसी एक व्यक्ति को दिन में एक ही बार किसी अन्य व्यक्ति को धनराशि भेजने की अनुमति देता है। एनर्इएफटी, आरटीजीएस एवं आर्इएमपीएस प्रक्रिया के ट्रांजेक्सन शुल्क ट्रांजेक्सन शुल्क- एनर्इएफटी दस हजार रुपये तक की धन राशि पर - 2 रुपये 50 पैसे दस हजार रुपये ज्यादा, किन्तु एक लाख रुपये तक की धन राशि पर -5 रुपये एक लाख से ज्यादा किन्तु दो लाख तक की धन राशि पर - 15 रुपये दो लाख से ज्यादा, किन्तु पांच लाख रुपये तक की धन राशि पर - 25 रुपये पांच लाख रुपये ज्यादा, किन्तु दस लाख रुपये तक की धन राशि पर 50 रुपये ट्रांजेक्सन शुल्क -आरटीजीएस आरटीजीएस के तहत जो धन राशि प्राप्त होती है उस पर कोर्इ ट्रांजेक्सन चार्ज नहीं लगता है, किन्तु भेजी जाने वाली राशि पर चार्ज लगता है, जो निम्न प्रकार है: दो लाख रुपये से ज्यादा किन्तु पांच लाख रुपये तक की धन राशि पर- 25 रुपये पांच लाख रुपये से ज्यादा पर दस लाख रुपये तक की धन राशि तक - 50 रुपये जो भी राशि ट्रांसफर की जाती है उस पर सर्विस टेक्स लगता है। 12:30 अपरान्ह के बाद कोर्इ भी ट्रांजेक्सन किया जाता है उस पर एक से पांच रुपये तक अतिरिक्त चार्ज लगता है। ट्रांजेक्सन शुल्क -आर्इएमपीएस: दस हजार रुपये तक की धन राशि पर 2 रुपये 50 पैसे दस हजार से ज्यादा किन्तु एक लाख तक की राशि पर - 5 रुपये एक लाख से ज्यदा परन्तु दो लाख रुपये तक की राशि पर -15 रुपये जो भी राशि ट्रांसफर की जाती है उस पर सर्विस टेक्स लगता है। आर्इएमपीएस प्रक्रिया के तहत फंड सप्ताह के किसी दिन या सप्ताह के अंत में ट्रांसफर किया जा सकता है।

AEPS : देश के एक अरब से अधिक आधार नंबर धारक कैसे आसानी से निकाल पाएंगे अपने खाते से पैसे

आपने टीवी और रेडियो पर यह विज्ञापन जरूर देखा-सुना होगा जिसमें कहा जाता है कि अब पैसे निकालने के लिए डेबिट या क्रेडिट कार्ड की जगह आधार का इस्‍तेमाल किया जा रहा है। आपने यह भी गौर किया होगा कि रिलायंस जियो और दूसरे टेलीकॉम ऑपरेटर्स आधार के जरिए आपके नए सिम कार्ड को तत्‍काल एक्टिवेट कर रहे हैं। अाज बात करते हैं कि आधार के जरिए पेमेंट करने या पैसे निकालने के काम को अंजाम देने की सरकार की क्‍या योजना है और आप किस तरह इसका इस्‍तेमाल कर सकते हैं।

आधार लिंक्‍ड खाते से होगा पैसों का लेनदेन
  • सरकार ने आधार इनेबल्‍ड पेमेंट सर्विस (AEPS) की शुरुआत की है।
  • इस सेवा से सीधे एक आधार संबद्ध खाते से दूसरे आधार संबद्ध बैंक खाते में पैसों का ट्रांसफर हो जाएगा।
  • यहां डेबिट कार्ड की कोई जरूरत नहीं होगी।
  • सरकारी आंकड़ोंं के अनुसार देश के एक अरब से ज्‍यादा लोगों के पास अब आधार कार्ड है।
  • कैशलेस ट्रांजैक्‍शन को प्रोत्‍साहित करने के लिए केंद्र सरकार ने हाल ही में एक ऐप लॉन्‍च करने की घोषणा की है।
  • इसके जरिए ग्राहक अपनी आधार संख्‍या और फिंगरप्रिंट के जरिए दुकानदारों को भुगतान कर सकेंगे।
  • सरकार जल्‍द ही मोबाइल बनाने वाली कंपनियों को फोन में अंगूठे या आइरिस पहचानने वाले फीचर लाने को कह सकती है ताकि आधार से भुगतान की प्रक्रिया को सरल बनाई जा सके।
तस्‍वीरों के जरिए समझिए कैसे करवाते हैं आधार में ऑनलाइन करेक्‍शन
यह सब संभव होगा आधार इनेबल्‍ड पेमेंट सर्विस (AEPS) से
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के अनुसार AEPS एक ऐसी सेवा है जिससे बैंक के ग्राहक अपने आधार से जुड़े खातों तक आसानी से पहुंच सकते है। AEPS के जरिए ऐसे ग्राहक बैलेंस की जांच, नकद जमा, पैसों की निकासी और फंड ट्रांसफर बिजनेस कॉरेस्‍पोंडेंट की मदद से कर सकेंगे। AEPS का लक्ष्‍य वास्‍तव में ग्राहकों को आधार से भुगतान के लिए प्रोत्‍साहित करना है। वे अपनी यूनीक आईडी और फिंगरप्रिंट की बदौलत दुकानदारों को भुगतान कर सकते हैं। इसके आधार पर ग्राहक की पहचान सत्‍यापित की जाएगी और वे अपने खाते से दुकानदारों के खाते में पैसे ट्रांसफर कर सकेंगे। वर्तमान में सरकारी और निजी क्षेत्र के 118 बैंक के ग्राहक इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।

ऐसे काम करेगा आधार इनेबल्‍ड पेमेंट सर्विस
किसी भी वित्‍तीय संस्‍थान के बिजने कॉरेस्‍पोंडेंट से मिलकर आप फंड ट्रांसफर, बैलेंस इनक्‍वायरी, नकद जमा या निकासी कर सकते हैं। ऐसे बिजनेस कॉरेस्‍पोंडेंट के पास प्‍वाइंट ऑफ सेल (PoS) डिवाइस होता है। इसमें वह आधार नंबर डालता है और आइरिस या फिंगरप्रिंट स्‍कैन करता है। आधार नंबर डालने के बाद आप आप अपने खाते का बैलेंस देख सकते हैं और अपने खाते से किसी दूसरे व्‍यक्ति को पैसे ट्रांसफर भी कर सकते हैं। इसके लिए आपको पैसे प्राप्‍त करने वाले व्‍यक्ति का अाधार नंबर देना होगा जिससे उसके खाते की डिटेल मिल जाएगी। इसके बाद तत्‍काल पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं।

how to use bhim App in hindi - जानिए कैसे करे भीम ऐप का इस्तेमाल

                                      भीम ऐप का इस्तेमाल


देश cashless (कैश लेस) की और बढ़ रहा है और इसी कैश लैस व्यवस्था की ओर एक नया कदम है “bhim app (भीम एप्लीकेशन)” . पहले आपको e-wallet के रूप में paytm और freecharge जैसी प्राइवेट कंपनियों का सहारा लेना पड़ता था लेकिन अब सरकार ने भीम एप्लीकेशन के रूप में इसका एक मजबूत विकल्प आपके सामने रखा है. भारत सरकार की bhim app (भीम एप्लीकेशन) का पूरा नाम “भारत इंटरफ़ेस फॉर मनी  (bharat interface for money)” है.  अब हम आपको बताते है की आप कैसे इस app का इस्तेमाल कर सकते है और किस तरह से ये अन्य पेमेंट एप्लीकेशन से अलग है |
BHIM App को हम एक बैंक की एप्लीकेशन भी कह सकते है. दरअसल हमारा जिस बैंक में अकाउंट होता है हम उस बैंक की यू पी आई ( यूनिफाइड पेमेंट इंटरफ़ेस) का इस्तेमाल कर के अपने बैंक अकाउंट की जानकारी रख सकते है या ऑनलाइन पेमेंट दे या ले सकते है. तो इसी तरह से bhim app भी है लेकिन ये किसी एक बैंक के लिए नही है बल्कि सभी बैंक से कनेक्टेड है. आपका अकाउंट किसी भी बैंक में हो आप भीम से पेमेंट ले या दे सकते है.


कैसे भीम ऐप को अपने मोबाइल मे इंस्टाल करे !

  • Play store से bhim app डाउनलोड करे.

  • एप्लीकेशन स्टार्ट करने के बाद अपने फ़ोन नंबर को verify करवाए. ध्यान रहे वही फ़ोन नंबर वेरीफाई करवाए जो नंबर आपके बैंक अकाउंट से linked (जुड़ा हुआ) हो. अगर आपका नंबर लिंक्ड नही है तो आप बाद में बैंक डिटेल्स भर कर उसे लिंक कर सकते है.

  • नंबर वेरीफाई करवाने के बाद आपको 4 अंको का कोड सेट करना है. ये कोड पैसे लेने और पैसे देने में काम आयेगा.

  • अगर आपका फ़ोन नंबर आपके बैंक अकाउंट से लिंक्ड है तो आपको आपके बैंक की डिटेल्स दिख जाएगी. और अगर बैंक डिटेल्स नही आई तो आप अपने बैंक की डिटेल्स खुद भी भर सकते हो. ( लगभग सभी भारतीय बैंक के आप्शन है )

  • अब ऑनलाइन पैसे देने या लेने के लिए आपका मोबाइल नंबर आपका एड्रेस बन गया है.

  • अब send पर क्लिक करे और जिसे पैसे भेजना चाहते है उसका फ़ोन नंबर डाले और जिसे पैसे भेजने है उसका नाम चेक कर ले.

  • अब अपने 4 अंको का कोड (जो हमने सेट किया था) डाले और पे (pay) पर क्लिक करे. आपकी पेमेंट हो जाएगी.

  • Government app (केंद्र सरकार) – भीम केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया एप्लीकेशन है और इसमें सभी बैंक के आप्शन मिल जाते है.

  • Direct payment (सीधा पेमेंट) – इस एप्प में कोई वॉलेट नही है तो ये एप्प डायरेक्ट पेमेंट करती है जबकि दूसरी पेमेंट एप्प को पहले रिचार्ज करना पड़ता है

  • Simple (सरल) – इसे इस्तेमाल करना काफी आसन है और किसी भी स्मार्ट फ़ोन से इसका use किया जा सकता है

  • Future (भविष्य) – सरकार के पास BHIM App को लेकर कई प्लान है जैसे इसे आधार कार्ड से लिंक करना, ऑनलाइन ऑफलाइन शोपिंग पेमेंट, बिल पे करना आदि.

अब आने वाले समय में यह देखने वाली बात होगी की bhim app कितनी अच्छी तरह से काम करता है और कैसे डिजिटल इंडिया में यह अपना योगदान देता है.

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