सबसे पहले आय-व्यय का दैनिक-हिसाब लिखना शुरू कीजिए।
सामान्यत: लोग अपनी जरूरत व सुविधानुसार साप्ताहिक, मासिक, त्रैमासिक या वार्षिक बजट बनाते हैं लेकिन जब बात Home Budget की होती है, तब मासिक बजट बनाना ही ठीक रहता है क्योंकि ज्यादातर लोग किसी न किसी तरह से नौकरीपेशा होते हैं, जिन्हें महीने में केवल एक बार Salary मिलती है और इसी Salary को Manage करते हुए न केवल दैनिक जीवन की जरूरतों को पूरा करना होता है, बल्कि भविष्य के लिए बचत भी करनी होती है।
Home Budget बनाना काफी आसान है लेकिन
Budget बनाने से पहले ये जानना जरूरी होता है कि प्रतिमाह किन-किन मदों के
लिए लगभग कितना खर्च करना पड़ता है और विभिन्न तरीकों से कुल कितनी मासिक
आय होती है।
जब एक बार आप अपने सभी प्रकार की मासिक आय
व व्ययों का हिसाब रखना शुरू करते हैं, तो धीरे-धीरे आपको समझ में आने
लगता है कि आपकी कुल मासिक आय कितनी है और आप किन मदों पर कितना खर्च कर
रहे हैं और जिन चीजों के लिए आप अधिक खर्च कर रहे हैं, वो आपकी जरूरतों से
सम्बंधित हैं या आपकी इच्छाओं से।
परिणामस्वरूप अपनी इच्छाओं (Wants) से सम्बंधित खर्चों में कमी करके आप अपनी जरूरतों (Needs) को
पूरा करने से खर्चों को आसानी से वहन करने में सक्षम हो जाते हैं, जिससे
आपकी जिन्दगी तुलनात्मक रूप से आसान हो जाती है क्योंकि आप अपने दैनिक
जीवन के आय-व्यय के आधार पर अपनी विभिन्न प्रकार की Needs व Wants को पहचान पाते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए अपनी सुविधानुसार एक उपयुक्त धनराशि का आवंटन (Fund Allocation) कर सकते हैं, जिसे Budgeting करना कहते हैं।
यानी आप प्रतिमाह आपके दैनिक जीवन में
विभिन्न प्रकार की Needs and Wants को पूरा करने हेतु किए जा सकने वाले
खर्च के लिए अधिकतम Amount का Allocation कर सकते हैं और किसी Specific मद
के लिए अधिकतम सम्भव Amount को Allocate करने की प्रक्रिया को ही Budget बनाना कहते हैं।
उदाहरण के लिए मान लीजिए कि आपको हर महीने
अपने Bike में पेट्रोल भरवाने के लिए 1000 रूपए खर्च करने पड़ते हैं, तो
आप महीने की शुरूआत में ही तय कर सकते हैं कि कम से कम 1000 रूपए तो आपको
अलग रखने ही हैं ताकि Bike में पेट्रोल भरवाने के लिए आपको किसी से उधार न
लेना पडे़। इस तरह से आप अपने अगले महीने के लिए पेट्रोल खर्च का बजट 1000
रूपए तय कर देते हैं। इसी प्रकार से यदि आपके घर में प्रतिमाह 1500 रूपए का
दूध आता है, तो महीने की शुरूआत में ही आप अपनी Salary से 1500 रूपए दूध
खर्च के लिए अलग रख देते हैं, जिसका मतलब ये है कि आपने दूध खर्च के लिए
1500 रूपए का बजट तय किया।
सरल शब्दों में कहें, तो आप अपनी
विभिन्न प्रकार की Needs and Wants को पूरा करने हेतु प्रत्येक मद के लिए
प्रतिमाह जितना Amount Allocate करते हैं, उसे ही बजट बनाना या बजट तय
करना कहते हैं। लेकिन विभिन्न प्रकार की Needs and Wants के लिए आपको
कितना Budget Allocate करना है, इस बात का पता आपको तभी चल सकता है, जबकि
आप जानते हों कि किस जरूरत या इच्छा को पूरा करने के लिए प्रतिमाह आपको
कितना खर्च करना पड़ता है और ये जानकारी आपको तभी प्राप्त हो सकती है,
जबकि आप आपके दैनिक जीवन में प्रतिदिन होने वाले विभिन्न प्रकार के आय व
व्यय का हिसाब रखें। इसलिए बजट बनाने की शुरूआत हमेंशा दैनिक हिसाब रखने से होती है।
दैनिक-हिसाब लिखने के लिए आप एक Simple सी
Notebook ले लीजिए और Daily Diary की तरह हर रोज रात को सोने से पहले सारे
दिन में होने वाले विभिन्न प्रकार के खर्चों को Date wise Note करते
रहिए। बेहतर यही है कि आप महीने की शुरूआत यानी पहली तारीख से खर्चों का
हिसाब लिखना शुरू कीजिए और जब महीना पूरा हो जाए, तब महीने की आखिरी तारीख
तक होने वाले सभी खर्चों को जोड़ लीजिए। ठीक इसी तरह से पूरे महीने में
अलग-अलग तरीकों से होने वाली सभी प्रकार की आय को भी Note करते रहिए और
महीने के अन्त में उन सभी प्रकार की अायों को भी जोड़ लीजिए।
इस तरह से एक महीने में आपकी कुल आय व
व्यय कितनी होती है, इसका एक मोटा-मोटा अन्दाज आपको हो जाएगा। लेकिन केवल
एक महीने के आय-व्यय के आधार पर Monthly Budget का
अनुमान लगाना सही नहीं है क्योंकि कई बार किसी महीने में कोर्इ त्यौहार आ
जाता है, अथवा अचानक कोई घटना-दुर्घटना हो जाती है, किसी Relative की
शादी-ब्याह या Retirement जैसे किसी Function को Attend करना पड़ जाता है,
कोई महॅंगा Gift देना पड़ जाता है, जिसकी वजह से कुछ Extra खर्च हो जाता
है, लेकिन ये ऐसे खर्चे होते हैं, जो हर महीने नहीं होते।
इसी तरह से सामान्यत: यदि आपके पास दो घर
हैं और अपने दूसरे घर को आपने किराए पर दे रखा है जिससे आपकी कुछ Extra
Income होती है लेकिन आप उस घर का किराया त्रैमासिक तरीके से वसूल करते
हैं, अथवा आपने बैंक में कुछ पैसे जमा करवा रखे हैं, जिस पर आपको Half
Yearly Basis पर Interest प्राप्त होता है, तो इस तरह से त्रैमासिक या
छमाही स्तर पर प्राप्त होने वाली सभी प्रकार की आय काे आप अपने एक ही
महीने के आय-ब्यय ब्यौरे (Budget) में Include नहीं कर सकते।
अत: अपने लगभग सभी प्रकार की आय व सभी
प्रकार के व्ययों का ठीक-ठाक अन्दाजा लगाने के लिए आपको कम से कम 3 से 6
महीने का दैनिक-हिसाब Note करना चाहिए, ताकि आपके आय-व्यय ब्यौरे
(Budget) में न केवल आपकी लगभग सभी प्रकार की आय सम्मिलित हो, बल्कि लगभग
सभी प्रकार के खर्चों का भी आपको अन्दाजा रहे।
जब एक बार आपके पास पिछले 3 से 6 महीनों
के सभी प्रकार की आय (Income) व सभी प्रकार के खर्चों (Expenses) का
ब्यौरा तैयार हो जाता है, तब आप बड़ी ही आसानी से अपनी सभी प्रकार की
Incomes व सभी प्रकार के Expenses को जाेड़कर इस बात का पता लगा सकते हैं
कि आपकी आर्थिक स्थिति (Financial Situation) कैसी है और जिस तरह की जिन्दगी आप जी रहे हैं, उससे आपका आर्थिक भविष्य (Financial Future) क्या होगा।
यानी यदि आपकी मासिक आमदनी मात्र 10000
रूपए प्रतिमाह तथा अन्य माध्यमों से होने वाली आपकी औसत मासिक आय लगभग
2000 रूपए प्रतिमाह है, तो तीन महीने में आपकी कुल आय लगभग 36000 रूपए
होगी। जबकि तीन महीनों का आपका सम्पूर्ण व्यय भी यदि लगभग 36000 रूपए ही
हो, तो उस स्थिति में आप ये मान सकते हैं कि 5 साल बाद भी यदि आप इसी तरह
के Living Standard को Maintain रखते हुए जीना चाहते हैं, तो 5 साल बाद भी
आपको हर रोज ठीक उसी तरह से काम करना होगा, जिस तरह से आज कर रहे हैं और आप
समझ ही सकते हैं कि जितनी मेहनत आप आज कर सकते हैं, उतनी 5 साल बाद नहीं
कर सकेंगे क्योंकि धीरे-धीरे आपके शरीर की ताकत कम होती जाएगी।
यानी आपकी उम्र जैसे-जैसे बढ़ती जाएगी,
आपके पैसा कमाने की क्षमता तो कम होती जाएगी, लेकिन महंगाई बढ़ते जाने के
कारण आज जैसा ही Living Standard Maintain रखने के लिए आपको आज की तुलना
में 5 साल बाद अधिक खर्च करना पड़ेगा, जिसके लिए या तो आपको कर्ज लेना
पड़ेगा या फिर अपने Living Standard को Down करना पड़ेगा और दोनों ही
स्थितियां आपके Financial Freedom वाले Future के लिए ठीक नहीं हैं।
जबकि यदि आपका त्रैमासिक खर्च 36000 के
बजाय 30000 रूपए ही हो, तो उस स्थिति में आप ये मान सकते हैं आपका औसत
मासिक खर्च, आपकी औसत मासिक आय से लगभग 2000 रूपए प्रतिमाह कम है और यदि आप
इसी 2000 रूपए प्रतिमाह को बचा लेते हैं, तो 5 साल (5 x 12 = 60 Months)
बाद आपके पास कम से कम 1.2 लाख रूपए की बचत रहेगी जबकि यदि अाप इसी 2000
रूपए को प्रतिमाह 7.5% की ब्याज दर से किसी Bank के RD Account में Deposit करते हैं, तो 5 साल बाद आपके पास लगभग 145779 रूपए
होंगे। परिणामस्वरूप महंगाई बढ़ने के बावजूद आप 5 साल बाद भी अपने उसी
Living Standard को ज्यादा आसानी से Maintain रखने में सक्षम होंगे, जिसे
आप आज Maintain कर रहे हैं।
लेकिन यदि आपकी कुल त्रैमासिक आय तो 36000
ही है, परन्तु आपका कुल त्रैमासिक खर्च 42000 रूपए हो, तो उस स्थिति में
आप समझ सकते हैं कि आपको आपका Current Living Standard Maintain रखने के
लिए भी प्रतिमाह 2000 रूपए का Directly/Indirectly कर्ज लेना पड़ रहा है और
आप किसी भी तरह से 5 साल बाद अपने Current Living Standard को Maintain
नहीं रख सकते, क्योंकि 5 साल बाद तक इसी Living Standard को Maintain रखते
हुए आप कम से कम 229485 रूपए के कर्जदार हो चुके होंगे
क्योंकि Bank आपको अपने Deposit पर सालाना 7.5% ब्याज देता है, लेकिन यदि
आप किसी अन्य Financial Institution (साहूकार) से कर्ज लेते हैं, तो वो
आपको कम से कम 2% प्रतिमाह यानी 24% सालाना चक्रवृद्धि की दर से कर्ज देता
है और प्रतिमाह 2000 रूपए पर 2% चक्रवृद्धि ब्याज की दर से 5 साल तक आप
कुल 1.2 लाख रूपए कर्ज ले चुके होंगे, जो ब्याज सहित लगभग 229485 रूपए हो
जाएेंगे, जिसे आप कभी भी चुका नहीं पाऐंगे।
अब आप आज जिस तरह की जिन्दगी जी रहे हैं,
उसके अनुसार आप औसतन प्रतिमाह 2000 रूपए की बचत कर रहे हैं या 2000 रूपए
प्रतिमाह के कर्ज में डूब रहे हैं, इस बात का पता आपको केवल तभी चलेगा,
जबकि आप कम से कम अपने 3 महीने के आय-व्यय काे बिना आलस किए हुए Note
करें।
आपका आर्थिक भविष्य (Financial Future)
क्या होगा, आप भविष्य में अपने Current Living Standard को Maintain रख
पाऐंगे या धीरे-धीरे अधिक कर्जदार होते जाऐंगे, आप भविष्य में अपने सपनों
को पूरा कर पाऐंगे या कर्जदारों से मुँँह छिपाते हुए भागते फिरेंगे, इन सभी
सवालों का जवाब आपके केवल तीन महीने का दैनिक-हिसाब यानी आय-व्यय का ब्यौरा दे देगा।
लोग इसलिए गरीब नहीं रह जाते, क्योंकि वे
गरीब घर में पैदा हुए होते हैं, बल्कि जन्मजात अमीर भी इसलिए गरीब हाे
जाते हैं, क्योंकि Highly Educated होने के बावजूद वे Financially Illiterate (वित्तीय रूप से निरक्षर)
होते हैं और आप Financially Educated हैं या Financially Illiterate, ये
बात इसी तथ्य पर निर्भर करता है कि आप अपने सभी प्रकार की आय व व्ययों का
दैनिक-हिसाब रखते हैं या नहीं।
यदि आप अपने सभी प्रकार के आय-व्यय का
दैनिक-हिसाब रखते हैं, तो आपके Current Living Standard के आधार पर आपको
पता होता है कि आपका Financial Future कैसा होगा, परिणामस्वरूप आप समय
रहते सही निर्णय लेते हैं, गलतियों को सुधारते हैं, गलत खर्चों को रोकते
हैं, नए आय के साधन बनाते हैं और अपने Financial Freedom
की ओर बढ़ते हैं, जबकि यदि आप अपने किसी भी प्रकार के आय-व्यय का हिसाब
नहीं रखते, बल्कि अपनी इच्छाओं और जरूरतों में फर्क किए बिना जैसा चाहते
हैं, वैसा जीते हैं, तो आपको कभी अन्दाजा ही नहीं होता कि आप किस
Financial Future की ओर बढ़ रहे हैं। परिणामस्वरूप यदि आप धीरे-धीरे
Financially कमजोर भी होते जा रहे हों, तब भी आप समय रहते कोई उपाय नहीं कर
पाते।
जब एक बार आपको अपने दैनिक-हिसाब के
माध्यम से आपको पता चल जाता है कि किस Want व Need को पूरा करने के लिए
आपको औसतन कितने रूपयों की जरूरत होती है और विभिन्न तरीकों से आपको
प्रतिमाह औसतन कितनी आय होती है, तो आप बड़ी ही आसानी से ये तय करने में
सक्षम हो जाते हैं कि किस Need के लिए आपको प्रतिमाह कितना खर्च करना जरूरी
होता है ताकि एक सामान्य जिन्दगी जी जा सके और सभी प्रकार की Needs को
पूरा करने से सम्बंधित अधिकतम पर्याप्त धनराशि का Allocation करने (बजट
बनाने) के बाद आपकी कुल आय में से जो बचता है, उसे आप अपने Wants को पूरा
करने के लिए Budget कर सकते हैं।
Budget बनाने से सम्बंधित कुछ और बातों
को हम अगले Article में थोड़ा और विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे, ताकि
अपने जीवनस्तर को सुधारने और Financially Secured Future बनाने के लिए आप न
केवल अपने आय-व्यय के बीच संतुलन रख सकें बल्कि भविष्य को सुरक्षित करने
के लिए कुछ बचत करने के बारे में भी सोंच सकें।
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