Wednesday, 6 January 2016

परीक्षा का भय चुनौती के रूप में स्वीकारें

परीक्षा का भय चुनौती के रूप में स्वीकारें


वर्तमान समय में शिक्षा के बदलते स्वरूप और पाठयक्रम के भारी भरकम बोझ ने प्रायमरी शिक्षा से लेकर महाविद्यालयीन शिक्षा तक हर उम्र दराज के विद्यार्थियों को समस्याओं के मकड़जाल में उलझाकर रख दिया है। छात्र जीवन में लक्ष्य को हासिल करने के लिये वास्तव में तीन बातों पर एकाग्र चित होना जरूरी है। सबसे पहला प्रयास सकारात्मक सोच के रूप में सामने आना चाहिये। दूसरी इस बात की प्रतिबध्दता की कड़ी मेहनत से हम जी नहीं चुरायेंगे और अंतिम रूप से अपने पक्के इरादों की बैसाखी हमें निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति में सहयोग कर सकती है। परीक्षा का भय विद्यार्थी जीवन में एक अनिवार्य पायदान के रूप में स्वीकार करते हुये उस पर जीत के लिये प्रयास करना ही प्रत्येक विद्यार्थी का कर्तव्य होना चाहिये।
छा त्र जीवन किसी बड़ी और कठिन समस्या से कम नहीं आंका जाना चाहिये। यही वह उम्र है जब बच्चों का मन यहां-वहां भटकता है और यही वह उम्र भी है जो उनका भविष्य निर्धारित कर देती है। अपने सुनहरे भविष्य की धुंधली तस्वीर को स्पष्ट चित्र के रूप में प्राप्त करने का लक्ष्य हमें छात्र जीवन में ही तय करना होता है। साधना का अर्थ तपस्वियों की तरह धुनी रमाकर तप करने से नहीं वरन उन सारे गलत कामों की ओर से ध्यान हटाने से है, जो छात्र जीवन की सुनहरी पगडंडियों पर गंदे कचरे की भांति जमकर उन्हें पथ भ्रमित कर जाती है। व्यसनों से दूर रहना, अपने विषयों की किताबों पर मन लगाना और ऐसे लोगों की संगति करना जो उच्च विचारों  के साथ लड़खडाते कदमों को सही दिशा दे सकें, यही छात्र साधना के मुख्य चरण माने जाने चाहिये। साधना से जुड़ा विद्यार्थी जीवन सत्र शुरू होते ही शिक्षक-शिक्षिकाओं द्वारा पढ़ाये गये पाठयक्रमों की पुनरावृत्ति के रूप में ठीक उसी तरह अमल में लायी जानी चाहिये, जिस तरह गुरूकुल शिक्षा के समय सुबह और शाम नियमित रूप से पूजा आराधना के रूप में गुरूओं के सानिध्य में जरूरी हुआ करता था। प्रत्येक ऐसे क्रियाकलापों को तिलांजलि देना छात्र जीवन में जरूरी समझा जाना चाहिये, जिससे छात्र जीवन भटकन भरी अंधेरी गलियों में खो जाता है। इतिहास के पन्नों में लिखी घटनाएं प्रत्यक्ष प्रमाण है कि साधना की भट्ठी से निखरकर ही ईश्वरचंद विद्यासागर ने जन्म लिया, ऐश्वर्य और आराम को त्याग कर ही बालक नरेन्द्र विवेकानंद बन पाया और गरीब किसान का बेटा लाल बहादुर शास्त्री के रूप में देश का प्रधानमंत्री बन पाया।
भय समाप्त करने आत्म विश्वास जगायें : परीक्षा का भय समाप्त करने के लिये सबसे पहले अपने अंदर आत्म विश्वास जगाना जरूरी है। आत्म विश्वास अथवा 'सेल्फ कान्फीडेन्स' एक ऐसा मनोविज्ञान से परिपूर्ण शब्द है, जो हर प्रकार की चिंता और घबराहट को मिनटों में दूर कर सकता है। विद्यार्थी जीवन में ऐसे मित्राें की भी कमी नहीं होती जो आत्म विश्वास को डिगाने का ही काम करते है। तात्पर्य यह कि समस्याओं से भागने वाले नहीं वरन लड़ने वाले साथियों की तलाश कर और फिर मिलकर गणित जैसे भय पैदा करने वाले विषय के साथ ही याद करने वाले विषयों के मुख्य बिंदुओं पर परस्पर विचार विमर्श करते हुये एक दूसरे की उलझनों को दूर करने की प्रयसा करें। परीक्षा के समय पूरे आत्म विश्वास के साथ परीक्षा कक्ष में जाये। प्रश्ों के उत्तर लिखने की सकारात्मक सोच आत्म विश्वास रूपी वस्त्र पहनकर ही सुंदर दृश्य प्रस्तुत कर सकती है। आत्म विश्वास को स्थायी रूप प्रदान करने के लिये प्रश्ों के उत्तर कंठस्थ कर उसे बार-बार लिखने की आदत डालना ही उचित तरीका हो सकता है। बार-बार लिखने से हाथ और पेन भी उस दिशा में बढ़ चलते है, जिसकी विद्यार्थी को नितांत जरूरत होती है। किसी भी विषय की कठिनाई को छोड़ना विद्यार्थी की सबसे बड़ी असफलता हो सकती है। उसे समझने अथवा हल ढूंढने के लिये शिक्षकों अथवा पारिवारिक सदस्यों की सहायता लेना अच्छा कदम माना जा सकता है। सूर्योदय से पूर्व शांत वातावरण में ऐसे ही कठिन प्रश्ों का हल ढूंढना सफलता का द्वार दिखा सकता है।
परीक्षा को माने प्रभावशाली चुनौती: परीक्षा का समय बच्चों के लिये सबसे अधिक तनाव भरा समय होता है। उठते बैठते बस परीक्षा का भय ही उन्हें सताता रहता है। इस परिस्थिति से सबसे अधिक स्कूली बच्चे संघर्ष करते दिखाई पड़ते है। इस महत्वपूर्ण समय में बच्चों को सकारात्मक एवं प्रभावशाली रूप में हर प्रकार से चुस्त दुरूस्त होना चाहिये। अपने ज्ञान एवं जानकारियों का उचित प्रदर्शन एक अच्छी सोच के साथ परीक्षा के दौरान करना चाहिये, न कि उसके भय से आत्म विश्वास खोना चाहिये। परीक्षा के ठीक पहले पढ़ाई करने की गलत आदत को त्यागते हुये शुरू से ही पढ़ने की आदत डालना परीक्षा के भय को समाप्त करने का सबसे अच्छा तरीका हो सकता है। इस प्रकार की तैयारी आपके मनोबल को ऊंचा करने में सहायक हो सकती है। परीक्षा को चुनौती के रूप में लेते हुये सबसे पहले समय सारणी का निर्धारण करें। कठिन लगने वाले विषयों के लिये अधिक समय निर्धारित करें, जबकि आसान विषयों के समय को कम करते हुये कुछ मनोरंजन का भी समय बना लें। यह भी निश्चित करना जरूरी है कि क्या, कब और कैसे प्रतिदिन पढ़ाई करनी चाहिये। पढ़ाई करते समय कभी भी ढुलमुल स्थिति में न बैठे। सीधे एवं चुस्त स्थिति में बैठकर पढ़ना अधिक लाभकारी हो सकता है।
बेहतर नींद लें : परीक्षा के दौरान बच्चे प्राय: देर रात तक पढ़ाई के लिये जागते है और कभी कभी तो पूरी रात पढ़ते है। यह पढ़ाई का सबसे अनुचित तरीका है। विद्यार्थियों को यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिये कि परीक्षा के दिनों में चेतन और अचेतन मन को सकारात्मक ऊर्जा देने के लिये बेहतर नींद और पर्याप्त भोजन दिया जाना जरूरी है। मनोवैज्ञानिक धारण के अनुसार प्रत्येक अच्छा नंबर लाने की मंशा रखने वाले छात्र को कम से कम 6 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिये, यह भी प्रमाणित तथ्य है कि अच्छी पढ़ाई के लिये सुबह 5 बजे से 7 बजे तक का समय तथा रात में 8 बजे से 11 बजे तक का समय उचित होता है। इन समयों पर वातावरण शांत और मन प्रफुल्लित रहता है। रात 11 बजे के बाद दिमाग भी दिनभर की व्यस्तता के कारण थक चुका होता है। अत: उसे भी आराम की जरूरत होती है। रातभर पढ़ने वाले छात्र का दूसरे दिन का समय केवल नींद में ही खराब हो जाता है और पुन: उसी दिनचर्या पूरी समय सारणी को दूषित कर देती है। परीक्षा के दिनों में भोजन भी उचित मात्रा में लेना चाहिये। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिये कि खाने में पर्याप्त प्रोटीन और विटामिन्स उपलब्ध हो। किसी भी स्थिति में परीक्षा के दिनों में उपवास अथवा भुखे रहने को स्थान नहीं देना ही छात्रहित में हो सकता है। भोजन अच्छा लेने के साथ यह भी ध्यान रखना चाहिये कि वह गरिष्ठ भोजन की श्रेणी में न आता हो। सामान्यत: भोजन में चावल, वसा, मसाले, तले हुये आलू तथा मांस का समावेश नहीं किया जाना चाहिये। इस प्रकार के भोजन जहां दिमागी शक्ति को कमजोर बनाते है, वहीं दूसरी ओर शारीरिक थकावट को बढ़ाते हुये आलस्य की ओर अग्रसर करते है। ऐसे तत्वों को भोजन में शामिल करें, जो लगातार दिमाग को ऊर्जा प्रदान करते रहे। जैसे दूध, दही, शहद अथवा मधु, चॉकलेट (कोको वाली) अधिक प्रोटीन वाली सामग्री जैसे दाल, हरी सब्जियां आदि। सोने के लिये जाने से पूर्व एक गिलास साफ पानी अवश्य पीना चाहिये, जिससे मस्तिष्क के सेल को चार्ज किया जा सके।
बड़े महत्व की हैं ये बातें ...
परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के साथ ही परीक्षा का भय समाप्त करने के लिये विद्यार्थियों को कुछ महत्वपूर्ण बातें अपने दिमाग में बैठा लेनी चाहिये। जो इस प्रकार है:-
1.     किसी भी प्रकार की परीक्षा अथवा प्रश् पत्र को बोझ की तरह न लें और सामान्य रूप से शांत वातावरण में अध्ययन करें।
2.     वर्ष के शुरूआत से ही पढ़ने की आदत डाले, ताकि परीक्षा के समय पूरे पाठयक्रम को पढ़ने के भार से बचा जा सके और लगातार पढ़ते रहने का लाभ भी मिलता रहे।
3.     गणित, भौतिक शास्त्र और एकाउन्ट जैसे विषय की तैयारी ग्रुप स्टडी के रूप में की जानी चाहिये, ताकि एक दूसरे की शंका का समाधान आसानी से हो सके।
4.     किसी भी विषय के प्रश्ोत्तरों को रटने के बजाय उसे बार-बार पढ़े और अपने शब्दों में लिख-लिखकर कुछ बिंदु तैयार कर परीक्षा की  तैयारी करें।
5.     परीक्षा के समय, समय प्रबंधन पर ध्यान देना महत्वपूर्ण हो सकता है। अपनी दिनचर्या को परीक्षा के विभिन्न विषयों के अनुसार बांटकर  पढ़ाई करना वैज्ञानिक तरीका माना जाना चाहिये।
6.     हिंदी, अंग्रेजी तथा संस्कृत जैसे विषयों में वर्तनी की शुध्दता को बनाये रखने के लिये बार-बार लिखना उचित हो सकता है।
7.     परीक्षा के समय प्रश् पत्र हाथ में आने के बाद सबसे पहले उन प्रश्ों के उत्तर लिखना शुरू करें, जिस पर अधिक आत्म विश्वास पूर्वक उत्तर लिख सकते हो।
8.     परीक्षा कक्ष में जाने से पूर्व किसी नये प्रश् को न पढ़ें, और न ही उस प्रश्न पर ध्यान दें जो आपने तैयार नहीं किये हो।

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