हमारे छोटे से प्रयास से भी बहुत बड़ा फर्क पड़ता है
एक दिन वह समुद्र तट पर खड़ा तरंगों को देख रहा था। थोड़ी देर बाद उसने समुद्र में कुछ फेंकना शुरू किया। उसकी इस गतिविधि को एक यात्री ने देखा। पहले तो उसने भी यही समझा कि यह मानसिक रूप से बीमार है, फिर उसके मन में आया कि इससे चलकर पूछें तो। वह व्यक्ति के निकट आकर बोला- भाई ! यह तुम क्या कर रहे हो?
उस व्यक्ति ने उत्तर दिया- देखते नहीं, समंदर बार-बार अपनी लहरों को आदेश देता है कि वे इन नन्हे शंखों, घोंघों और मछलियों को जमीन पर पटककर मार दें। मैं इन्हें फिर से पानी में डाल देता हूं। यात्री बोला- यह क्रम तो चलता ही रहता है। लहरें उठती हैं, गिरती हैं, ऐसे में कुछ जीव तो बाहर होंगे ही।
तुम्हारी इस चिंता से क्या फर्क पड़ेगा?
उस व्यक्ति ने एक मुट्ठी शंख-घोंघों को अपने हाथ में उठाया और पानी में फेंकते हुए कहा – देखा कि नहीं, इनके जीवन में तो फर्क पड़ गया ना? वह यात्री सिर झुकाकर चलता बना और वह व्यक्ति वैसा ही करता रहा।
दोस्तों, हमारी ज़िंदगी में भी ऐसा ही होता है | जैसे बूँद बूँद से घड़ा भरता है वैसे ही छोटे छोटे प्रयासों से हम अपनी और समाज की ज़िंदगी बदल सकते हैं |
इसलिए किसी भी छोटे कार्य कि महत्ता को कम ना समझे | एक दिन ये छोटे छोटे प्रयास ही बहुत बड़ा परिवर्तन ला देंगें |
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