मोबाइल रिपेयरिंग खूब कराए अर्निग
गाजियाबाद में रहने वाले मोहन चौधरी किसी तरह बारहवीं तक की पढाई कर सके। उनके परिवार की वित्तीय स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह इसके बाद अपनी पढाई जारी रख सके। उच्च शिक्षा हासिल करने के अपने सपने को ठंडे बस्ते में डालते हुए वह कोई ऐसा शॉर्ट टर्म कोर्स करना चाहते थे, जो या तो उन्हें तुरंत रोजगार दिला सके या फिर वह कोर्स करने के बाद अपना खुद का रोजगार आरंभ कर सके । इस तलाश के दौरान ही एक दिन खुद उनके दिमाग में आया है कि आज जब शहर-देहात, छोटे-बडे हर किसी तक मोबाइल की पहुंच हो गई, तो इसमें खराबी भी जरूर आती होगी। उन्होंने यह भी पाया कि तमाम लोग मोबाइल की खराबी को लेकर परेशान रहते हैं, क्योंकि वे उसे बनवाने पर ज्यादा पैसे नहीं खर्च करना चाहते और मोबाइल कंपनी के सर्विस सेंटर पर देने से न केवल अधिक समय लगता है, बल्कि पैसे भी अधिक चुकाने पडते हैं। उनके दिमाग में ख्याल आया, क्यों न किसी अच्छे संस्थान से मोबाइल रिपेयरिंग का कोर्स करके अपने घर के आस-पास ही शॉप खोल ली जाए। इससे उन्हें रोजगार भी मिल जाएगा और वह अपने परिवार की देख-रेख भी कर लेंगे। परिवार की सहमति से उन्होंने दिल्ली स्थित एक प्रामाणिक संस्थान से मोबाइल रिपेयरिंग का छह माह का कोर्स कर लिया। हालांकि तीन महीने की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के बाद ही मोबाइल की रिपेयरिंग कर वह पैसे कमाने लगे थे। कोर्स की समाप्ति के बाद उन्होंने बैंक से लोन लेकर अपने घर के पास ही एक दुकान ले ली और वहां मोबाइल रिपेयरिंग के साथ-साथ स्थानीय बेरोजगारों को इसकी ट्रेनिंग भी देने लगे। इस तरह उनकी एक साल बीतते-बीतते उनकी मंथली इनकम बीस से तीस हजार होने लगी।
सस्ता है मोबाइल
टेक्नोलॉजी की बदौलत और कंपनियों के बीच बढती होड के चलते जिस तरह मोबाइल से बात करना बेहद सस्ता हो गया है, उसे देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि आज सुरसा की तरह बढती महंगाई के दौर में अगर कुछ सस्ता है तो वह मोबाइल पर कॉल ही है। आज हर परिवार मोबाइल से जुडा है। पढे-लिखों से लेकर अनपढ तक, बच्चों से बूढों तक सभी मोबाइल तकनीक का लाभ उठा रहे हैं।
सब कुछ है यहां
अब मोबाइल का इस्तेमाल सिर्फ बात करने के लिए ही नहीं हो रहा है, बल्कि एमपी 3 की मदद से गीत-संगीत का आनंद, एफ एम रेडियो, मनी ट्रांसफर, रेलवे या हवाई जहाज के टिकट की बुकिंग, मार्केटिंग, नेविगेशन सिस्टम द्वारा दुनिया के किसी भी स्थान की जानकारी पा सकते हैं।
बढते फीचर्स
मोबाइल की पहुंच और डिमांड बढने से देश और दुनिया की तमाम कंपनियां इसकी सेवा देने को तत्पर हैं। कंपनियों के बीच होड होने के कारण न केवल कॉल रेट लगातार सस्ते हो रहे हैं, बल्कि मोबाइल्स में एक से एक नए फीचर्स जुडते जा रहे हैं। युवाओं में इन फीचर्स को लेकर खूब उत्सुकता रहती है।
संभावनाएं
मोबाइल की तकनीक पूरी तरह से कम्प्यूटरीकृत होती है और कम्प्यूटर हार्डवेयर की तरह ही इसके उपकरण भी होते हैं। ऐसे में अगर किसी ने कम्प्यूटर हार्डवेयर की ट्रेनिंग ले रखी है, तो वह कम्प्यूटर के साथ मोबाइल की खराबी भी दूर कर सकता है-बशर्ते कि उसने कार्ड लेवल की बजाय चिप लेवल की हार्डवेयर-नेटवर्किंग ट्रेनिंग ली हो। इसके बढते उपयोग को देखते हुए इसके रख-रखाव, रिपेयरिंग, असेंबलिंग, सॉफ्टवेयर लोडिंग, वायरस रिमूव करने, मोबाइल अपग्रेड करने, पासवर्ड ब्रेक, रींइंस्टॉल, सेल-परचेज आदि के क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं हैं। हालांकि भारत जैसी विशाल आबादी वाले देश में बडे बाजार को देखते हुए मल्टीनेशनल कंपनियां तक इस क्षेत्र में कूद पडी हैं और आकर्षक सैलरी पर जॉब ऑफर कर रही हैं।
कोर्स की उपलब्धता
मोबाइल रिपेयरिंग का कोर्स आठवीं पास से लेकर ग्रेजुएट और बीटेक भी अपनी जरूरत के हिसाब से कर सकते हैं। इस तरह के कोर्स देश के प्राय: सभी बडे शहरों में उपलब्ध हैं। जिसकी अवधि तीन से छ: माह की होती है। ध्यान रखें, कोर्स उसी संस्थान से करें जहां अधिक से अधिक प्रैक्टिकल ट्रेनिंग कराई जाती हो और वह भी एडवांस टेक्नोलॉजी के साथ। चूंकि यह कोर्स इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और डिजिटल तकनीक पर आधारित होता है, इसलिए अगर आपको इसकी पहले से जानकारी है तो आप सीधे प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी ले सकते हैं। एक अच्छे संस्थान में मोबाइल के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों के बारे में बताने के साथ-साथ इसमें होने वाले फॉल्ट्स के बारे में भी बताया जाता है।
कमाई
विश्वसनीय संस्थान से कोर्स के बाद आप किसी मोबाइल कंपनी में आसानी से 8 से 10 हजार रुपये की नौकरी हासिल कर सकते हैं। अनुभव के साथ आय में भी इजाफा तय है। आप चाहें तो अपनी शॉप खोलकर भी काम कर 20 से 30 हजार रुपये की मासिक आय कमा सकते हैं।
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