Monday, 4 January 2016

मेहनत और संघर्ष का असली नाम-दसरथ मांझी


मेहनत और संघर्ष का असली नाम-दसरथ मांझी

कर्म ही पूजा है ये कहावत तो आप सब ने खूब सुनी होगी मगर इसका जीता-जागता उदाहरण आपने बहुत कम ही देखा होगा।लोग काम ठान तो लेते है आज मगर काम को अक्सर पूरा नहीं कर पाते।सच्चे इरादों और कठिन परिश्रम से ही हर काम पूरा हो पाता है।
आज देसी लुटियंस आपको एक ऐसी शख्सियत से रूबरू करायेगा जो असल में मेहनत और संघर्ष का असली नाम है।
देसी लुटियंस पेश करते है-मेहनत और संघर्ष का असली नाम-दसरथ मांझी

मेहनत…संघर्ष…कभी ना हारने का इरादा…बेजोड़ लगन…अथक निश्चिंतता… और न जाने ऐसे ही कितने शब्दों के पर्याय है दशरथ मांझी !
दशरथ मांझी सही मायनो में एक ऐसा नाम जिसे शायद ही आज की तारीख में कोई ना जानता हो | इनका वास्ता बिहार राज्य के गया जिले के गेहलौर गावं से है | इनका जन्म 1934 में हुआ | इनकी परिश्रम की कहानी दूसरों से बहुत अलग है |
इनके बारे में सब लोगों को तब पता चला जब ये पहाड़ के बीच में से सड़क बनाने के अपने काम के लिए लोकप्रिय हुए | इन्होंने 22 साल की मेहनत सिर्फ एक काम के लिए की- पहाड़ों के बीच से सड़क बनाने के लिए | वो भी छैनी और हथोड़े मात्र से ! और ये सब इसलिए क्योंकि एक हादसे ने इन्हे झकझोर कर रख दिया था | 
ये हादसा इनकी जिंदगी का मुख्य पड़ाव था | ये वो वक़्त था जब इनकी धर्मपत्नी इन्हे अकेला छोड़कर इस दुनिया से चली गयी थी और वो भी कैसे ? तो सिर्फ इस वजह से क्योंकि उनके गावं के आस-पास कोई अस्पताल मौजूद नहीं था |ये विडंबना का वाकई एक कड़वा उदाहरण था | इस घटना के बाद कई दिन मांझी अलग मानसिक स्थिति में रहे | वो दिन रात इसी घटना के बारे में सोचते…

 इसके बाद इन्होने इस तकलीफ को दूर करने का संकल्प अपने मन में कायम किया | अपने मन में इन्होने इस काम के लिए एक अमिट हिम्मत पैदा की | उन्होंने ये तय किया कि अब उनके गावं वालों को स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कतें नहीं होनी चाहियें | इन्होने इस दिक्कत को दूर करने के लिए सड़क बनाने का निर्णय लिया | ये काम भले उन्होंने एक छोटे स्तर पर शुरू किया मगर उनका इरादा बहुत पक्का था |इस काम के तहत उन्होंने अपनी 22 सालों की दिन रात की मेहनत से अपने क्षेत्र अतरी से वजीरगंज की दुरी 55 किलोमीटर से सीधे 15 किलोमीटर कर डाली | उन्होंने यह काम 1960 से लेकर 1982 के बीच किया | 40 किलोमीटर की दुरी अकेले ही 22 सालों में तय की | वो दिन रात सिर्फ इसी काम में लगे रहे |
Dashrath_Manjhi

पत्नी से बिछड़ने के गम के बारे में सब लोग जानते है मगर इनकी पत्नी ने इन्हे गम की बजाय इतनी ताकत दी कि इन्होने कभी ना हार मानते हुए 22 सालों की अथक मेहनत के बाद ही सही वो कर दिखाया जो कोई कर नहीं पाता | सबसे ख़ास बात ये कि इन्होने ये सबकुछ अकेले किया | इनके संघर्षों के पथ पर ये अकेले ही डटे रहे |सचमुच ये दिखाता है इनकी जिद्द और इनकी बानगी का एक नमूना | ये व्यक्तिव हर मायने में आज एक प्रेरणा से कम नहीं है | इस व्यक्तिव ने लोगों को मेहनत की महत्वता से रूबरू करवाया |उन्होंने मेहनतकश लोगों को संघर्ष की ख़ुशी से रूबरू कराया | उन्होंने ये बताया की कैसें हर काम को हस-खेलकर पूरी लगन के साथ किया जा सकता है |

Dashrath_Manjhi_A


वो जरुर एक गरीब और छोटे घर से थे मगर उन्होंने कभी हार नहीं मानी | यही कारण है कि वो कभी ना हार मानने की शिक्षा हर इंसान के मन में पैदा करते है |ये व्यक्तित्व एक प्रेरणा है संघर्ष के पथ पर चलने वालों के लिए ! ये प्रेरणा है हमारे भारत के आज और कल को चमकाने वाले मजदूर और किसान भाइयों के लिए ! देश का हर मज़दूर और किसान आज इन्हे अपना आदर्श मानता है |

Related Posts:

0 comments:

Post a Comment